झारखंड में 71 हजार तलाबों का निर्माण पूरा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 14 जून 2016

झारखंड में 71 हजार तलाबों का निर्माण पूरा

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रांची, 13 जून, झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव एन एन सिन्हा ने आज कहा कि राज्य सरकार ने इस वर्ष राज्य के प्रत्येक राजस्व ग्राम में 20 तलाबों एवं पूरे राज्य में लगभग 5 लाख तलाब निर्माण का लक्ष्य रखा है। श्री सिन्हा ने आज यहां सूचना भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विभाग ने मानसून के पूर्व लगभग 5 तलाब प्रति राजस्व ग्राम पूर्ण करने का लक्ष्य रखा है। उन्हें इस बात की खुशी है कि अब तक पूरे राज्य में 71 हजार तलाबों का निर्माण पूरा कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष राज्य में 85 प्रतिशत मजदूरों के मजदूरी का भुगतान समय पर कर दिया गया जिसे वर्तमान वित्तीय वर्ष में 95 प्रतिशत करने की कोशिश की जा रही है जबकि देश में यह अनुपात 65 प्रतिशत है। श्री सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार ने कुछ नीति मूलक निर्णय भी लिये है। मनरेगा के अंतर्गत विलंबित मजदूरी भुगतान के लिए क्षतिपूर्ति नियमावली 2015 गठित की गयी है। जिसके अधीन मास्टर रोल बंद होने पर 15 दिन के भीतर मजदूरी भुगतान नहीं होने पर क्षतिपूर्ति भुगतान का प्रावधान किया गया है। मनरेगा के अंतर्गत काम की मांग के 15 दिनों के अंदर रोजगार प्राप्त न होने पर बेरोजगारी भत्ते के भुगतान के लिए बेरोजगारी भत्ता भुगतान नियमावली 2015 का गठन किया गया है। 

प्रखंड के गठन के लिए नये मानक निर्धारित किये गये। जिला परिषद के अध्यक्ष को जिला ग्रामीण विकास अभिकरणों के अध्यक्ष के रुप में 2 अक्टूबर 2015 से नामित किया जा चुका है। स्वयं सहायता समूहों के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम अंतर्गत सुविधा प्रदान करने के लिए 70 प्रतिशत सदस्यों के गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के होने की शर्त समाप्त कर दी गयी है एवं राज्य के सभी स्वयं सहायता समूहों के निबंधन का दायित्व झारखण्ड राज्य आजीविका प्रवर्तन समिति को सौंपा गया है। श्री सिन्हा ने कहा कि विधायकों की अनुंशसा पर ली जानेवाली योजना और मुख्यमंत्री विकास योजना का एकीकरण कर दिया गया है एवं प्रत्येक विधायक के लिए अलग-अलग निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी बनाने का निर्णय लिया गया है। योजना के अंतर्गत राशि अब दो किश्तों में विमुक्त होगी। उन्होंने बताया कि उप विकास आयुक्तों को महात्मा गांधी नरेगा कार्यक्रम का जिला कार्यक्रम समन्वयक बनाया गया है जबकि प्रखण्ड विकास पदाधिकारियों को दस लाख रुपये तक की मनरेगा योजनाओं को प्रशासनिक स्वीकृति देने की शक्तियां दी जा चुकी है। 

मनरेगा योजना स्वीकृति की प्रक्रिया सरलीकृत करते हुए छोटी योजनाओं का स्वामित्व प्रतिवेदन के लिए वार्ड आयुक्तग्राम प्रधान को प्राधिकृत किया गया है तथा अभिलेखों में समरूपता लाई गयी है। पुराने मेटों को बदलकर नये मेट नियुक्त करने तथा सीएफटी प्रखण्डों में शत प्रतिशत स्वयं सहायता समूह द्वारा प्रायोजित महिलाओं को मेट के रुप में चुनने का निर्णय लिया गया है जबकि अन्य क्षेत्रों में 50 प्रतिशत महिलाएं मेट बनेंगी। 
श्री सिन्हा ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत 20 जिलों के 63 प्रखंडों में 24334 स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से 32 लाख ग्रामीण परिवारों को स्वयं सहायता समूहों में जोड़ा जा चुका है एवं 1144 ग्राम संगठन एवं 25 संकुल संगठन तैयार किये गये है। करीब 1 लाख 11 हजार 366 परिवारों के साथ श्री विधि तकनीक से खेती एवं 8365 परिवारों के साथ लाह की खेती को बढ़ावा दिया गया। झारखण्ड राज्य आजीविका प्रवर्त्तन सोसाइटी द्वारा विकसित समुदाय आधारित अनुश्रवण प्रणाली देश की उत्तम विधा के रूप में चिह्नित की गयी है एवं देश के अन्य राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों को इसे अपनाने का निर्देश भारत सरकार ने दिया है। जापान सरकार के सहयोग से ड्रीप सिंचाई से बागवानी के गहनीकरण की 282 करोड़ रुपये की योजनाएं स्वीकृत की गयी है जिससे 30 प्रखंडों के 30 हजार किसान लाभान्वित होंगे। 

श्री सिन्हा ने बताया कि 7646 ग्रामीण युवक-युवतियों को कौशल प्रशिक्षण दिया जा चुका है जिसमें से 1812 को प्रशिक्षणोपरांत नौकरी उपलब्ध करायी जा चुकी है। इंदिरा आवास योजना अंतर्गत 49 हजार 046 आवास इकाई का निर्माण पूर्ण किया जा चुका है। पुराने लंबित आवासों को पूर्ण करने के लिए 152 करोड़ की राशि जिलों को उपलब्ध करा दी गयी है जबकि राज्य में विधवाओं को प्राथमिकता के आधार पर आवास उपलब्ध कराने के लिए बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर आवास योजना लागू कर दी गयी है। उन्होंने कहा कि राज्य के अति उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए 15 क्षेत्रों को चिह्नित कर समग्र विकास संबंधी योजनाएं गठित की गयी है जो सारंडा क्षेत्र में ली गई योजनाओं के पैटर्न पर गठित की गयी है। इसके माध्यम से बुनियादी सेवाओं की उपलब्धता, प्रशासनिक व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण, संपर्क माध्यमों का विस्तार एवं आजीविका के साधनों की वृद्धि इत्यादि संबंधी कार्य लिये जायेंगे। 

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