बिहार : बच्चा राय और लालकेश्वर पूछताछ से बचने के हुए भूमिगत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 10 जून 2016

बिहार : बच्चा राय और लालकेश्वर पूछताछ से बचने के हुए भूमिगत

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पटना 09 जून, बिहार इंटरमीडियेट की परीक्षा में टॉपर्स फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद से वैशाली जिले के विशुनदेव राय इंटरमीडियेट कॉलेज के प्राचार्य सह कर्ताधर्ता बच्चा राय और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके प्रो. लालकेश्वर प्रसाद सिंह विशेष जांच दल (एसआईटी) की पूछताछ से बचने के लिए भूमिगत हो गये हैं । एसआईटी की जांच की जिम्मेवारी संभाल रहे पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनु महाराज ने आज यहां बताया कि मामला उजागर होने के बाद से बच्चा राय एसआईटी के समक्ष उपस्थित नहीं हुये । इस संबंध में श्री राय को नोटिस भी भेजा गया है और इश्तेहार भी चस्पा किया गया है। श्री महाराज ने बताया कि इसी तरह श्री सिंह को कल पूछताछ के लिए बुलाया गया था लेकिन वह उपस्थित नहीं हुये । इसके बाद उनके राजधानी पटना के बहादुरपुर स्थित आवास पर गयी एसआईटी की टीम को खाली हाथ लौटना पड़ा । श्री सिंह का मोबाइल फोन भी अभी तक बंद है । 

टॉपर्स फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद छह मई की देर रात पटना के कोतवाली थाना में शिक्षा विभाग की ओर से एक प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी । प्राथमिकी में कुछ टॉपर्स की उत्तर पुस्तिकाओं में हेरफेर किये जाने का आरोप लगाया गया था । विशुनदेव राय इंटर कॉलेज के प्राचार्य सह कर्ताधर्ता बच्चा राय की पुत्री शालिनी राय जो विज्ञान संकाय की टॉपर थी, उसकी उत्तर पुस्तिका का एक कोना फटा हुआ मिला, जहां उत्तर पुस्तिका का नंबर अंकित रहता है । प्राथमिकी में कहा गया है कि शालिनी के फटे हुए उत्तर पुस्तिका पर जालसाजी की कॉपी की संख्या अंकित है । उत्तर पुस्तिका का कोना फटा होना और जालसाजी कर कॉपी संख्या अंकित करना इस बात का संकेत है कि उत्तर पुस्तिका बदली गयी है। शालिनी विशुनदेव राय इंटर कॉलेज की छात्रा है । विज्ञाान संकाय से ही टॉपर रहे सौरभ श्रेष्ठ की उत्तर पुस्तिका तथा फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद शिक्षा विभाग की ओर से बनायी गयी विशेषज्ञों की कमेटी के समक्ष उनके दिये गये जवाब में काफी अंतर मिला है। इससे भी यह साबित होता है कि जालसाजी की गयी है। सौरभ भी विशुनदेव राय इंटर कॉलेज का ही छात्र है । 

वैशाली जिले का कीरतपुर विशुनदेव राय इंटर कॉलेज वित्त रहित कॉलेज है और इसे बिहार इंटरमीडियेट शिक्षा परिषद से वित्त रहित स्वीकृति प्राप्त है । बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में इंटरमीडियेट शिक्षा परिषद के विलय होने के बाद यह उच्च माध्यमिक प्रभाग के रुप में है । वित्त रहित संबद्ध डिग्री कॉलेजों तथा वित्त रहित प्रस्वीकृत एवं स्थापना की अनुमति प्राप्त उच्च विद्यालयों की तरह ही सरकार वित्त रहित इंटरमीडियेट कॉलेजों को भी प्रत्येक वर्ष वहां के छात्रों के परिणाम के आधार पर अनुदान राशि दी जाती है । इसके तहत कॉलेजों के लिए उसके छात्र- छात्राओं को परीक्षा में मिलने वाले श्रेणी के आधार पर अनुदान राशि तय होती है । इसके तहत जिस कॉलेज में ज्यादा प्रथम श्रेणी से छात्र उत्तीण होंगे,उसे अनुदान राशि भी ज्यादा मिलेगी । यदि प्रथम श्रेणी में छात्राएं अधिक उत्तीर्ण हुयी तो अनुदान राशि और ज्यादा होगी । इसी आधार पर अनुदान की राशि तय किये जाने के कारण ऐसे स्कूल और कॉलेजों में बेहतर परिणाम की होड़ रही है । इसमें विशुनदेव राय इंटर कॉलेज भी लगा रहा जिसे 50 लाख रुपये अनुदान मिला करता था । 

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