नयी दिल्ली 11 जून, नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने टिकट रद्द करने की स्थिति में एयरलाइंसों द्वारा मनमाना शुल्क वसूल किये जाने पर लगाम लगाने के लिए अधिकतम कैंसिलेशन शुल्क मूल किराये के बराबर करने का प्रस्ताव किया है। नागिरक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू ने आज यहाँ एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नये प्रस्ताव के तहत किसी भी स्थिति में एयरलाइंस मूल किराये से ज्यादा कैंसिलेशन शुल्क नहीं वसूल पायेंगे। वे रिफंड प्रोसेसिंग के नाम पर भी कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लेंगे। टिकट रद्द कराने या किसी भी कारण से यात्री के समय पर नहीं पहुँचने की स्थिति में भी ये निमय लागू होंगे। इसके अलावा हर स्थिति में रिफंड की जिम्मेदारी एयरलाइंसों पर डालते हुये इसके लिए अधिकतम समय सीमा भी तय की गई है। श्री राजू ने कहा “टिकट रद्द कराने या यात्री के नहीं आने की स्थिति में किराये में शामिल सभी प्रकार के कर तथा यूजर डेवलपमेंट फी/हवाई अड्डा विकास शुल्क/यात्री सेवा शुल्क यात्रियों को वापस किये जायेंगे।” इस स्थिति में भी कंपनियां मूल किराये से अधिक वसूल नहीं कर सकेंगी। ये नियम प्रोमोशनल या विशेष छूटों के तहत जारी किये गये टिकटों समेत हर तरह के टिकट पर लागू होंगे। देश में विमान सेवा देने वाली विदेशी कंपनियों के मामले में उनके देश के कानून उन पर लागू होंगे, हालाँकि रिफंड के तरीके और समयावधि भारतीय कानून के अनुरूप होगी।
शनिवार, 11 जून 2016
मूल किराये से अधिक नहीं होगा कैंसिलेशन शुल्क
Tags
# व्यापार
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
व्यापार
Labels:
व्यापार
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
संपादकीय (खबर/विज्ञप्ति ईमेल : editor@liveaaryaavart या वॉट्सएप : 9899730304 पर भेजें)

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें