भाकपा-माले की उच्चस्तरीय जांच टीम ने किया जुमाई टोला (रामगढ़वा) का दौरा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 29 जून 2016

भाकपा-माले की उच्चस्तरीय जांच टीम ने किया जुमाई टोला (रामगढ़वा) का दौरा

  • पिपरा कांड के पीड़ितों से पीएमसीएच में ऐपवा नेताओं ने की मुलाकात.
  • सभी बलात्कारियों को अविलंब गिरफ्तार कर स्पीडी ट्रायल चलाए सरकार.
  • संबंधित डीएम व एसपी का तबादला करे सरकार, बलात्कारियों को दंडित नहीं किये जाने की वजह से घट रही हंै गैंगरेप की घटनायें
  • 4 जुलाई से एक सप्ताह का राज्यव्यापी प्रतिवाद.

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पटना 29 मई 2016 , जुमाई टोला (रामगढ़वा, पूर्वी चंपारण) बलात्कार कांड के सिलसिले में भाकपा-माले राज्य स्थायी समिति के सदस्य काॅ. वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता के नेतृत्व में भाकपा-माले की जांच टीम ने घटनास्थल का दिनंाक 28 जून को दौरा किया. वहीं पिपरा बलात्कार कांड की पीड़िता से भाकपा-माले केंद्रीय कमिटी की सदस्य व ऐपवा की राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे के नेतृत्व में ऐपवा प्रतिनिधिमंडल ने पीएमसीएच में जाकर पीड़िता से मुलाकात की. पहली जांच टीम में वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता के अलावा भाकपा-माले नेता ताराचंद भगत, सुनील यादव, प्रभुदेव यादव और भैरोदयाल सिंह शामिल थे. जबकि दूसरी टीम में विभा गुप्ता, मधु और समता शामिल थीं. उन्होंने कहा कि दोनों मामलों में साफ है कि प्रशासन और सरकार की नकरात्मक भूमिका और इस संवेदनशील मामले केा बेहद असंवेदनशील तरीके से लिया गया है. इसलिए सबसे पहले पूर्वी चंपारण के डीएम व एसपी को हटाया जाना चाहिए. मोतिहारी सदर अस्पताल में कार्यरत डाॅक्टरों व अधीक्षक भी लापरवाह रहे हैं. मार्च 2015 से अब तक 213 बलात्कार के मामले सामने आए हैं, लेकिन एक भी बलात्कार का मामला साबित नहीं किया जा सका है. तथ्य साबित करता है कि मोतिहारी सदर अस्पताल बलात्कारियों का संरक्षक बना हुआ है. इस संवेदनहीनता के खिलाफ आगामी 4 जुलाई को पूरे बिहार में प्रतिवाद का आयोजन होगा.

जुमाई टोला कांड में हमारी जांच टीम ने पाया कि प्रशासन की भूमिका बेहद नकारात्मक रही है. 13 जून को दोपहर में शौच जाने के क्रम में 16 साल की एक युवती से उसी गांव के समीउल्लाह ने बालात्कार किया. उस क्रम में लड़की ने ब्लेड और अन्य तरीकों से प्रतिवाद भी किया. लेकिन जब वह मुकदमा करने थाना जाने लगी तो उसे जान से मार देने की धमकी दी जाने लगी. और 14 जून तक वह दबाव में मुकदमा नहीं कर सकी. उलटे बलात्कारियों ने 15 जून की सुबह को पीड़िता के घर पहुंचकर उसके घर का दरवाजा तोड़ दिया और पीड़िता को मारते-पीटते घर से निकाला, उसे सरेआम नंगा किया, मारना-पीटना शुरू कर दिया और बंदूक की नाल पर उसके गुप्तअंगों में लकड़ी घुसेड़ दिया. जिसकी वजह से युवती बेहोश हो गयी. ग्रामीणों की सूचना के आधार पर पुलिस दो-तीन घंटे बाद पहुंची. 15 जून को ही ग्रामीणों की सूचना के आधार पर रामगढ़वा थाने की पूलिस दो-तीन घंटो बाद पहुंची, और लड़की को ले जाकर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, रामगढ़वा में उपचार कराया। डाॅक्टर द्वारा उसे मोतिहारी सदर अस्पताल भेजने की बात का दरोगा ने विरोध किया, और लड़की एवं उसकी माॅ को गाॅव में दूसरे के घर छोड़ यह हिदायत दी की पुलिस कब तक रहेगी, तुम्हंे अभी दूसरे के घर ही रहना है, एफआईआर की खानापूर्ति पुलिस ने उस दिन की। लेकिन लड़की की मां और पीड़िता के अनुसार जैसा उन्होने बयान दिया पुलिस ने वैसा नहीं लिखा। लड़की के माॅ का कहना है कि चर्चा यह है कि छोटा दरोगा ने 1.50 लाख रूपैया घूस लिया है।

16 और 17 जून को पीड़िता की हालत बिगड़ने लगी, अंततः उसे 18 जून को रामगढ़वा एक निजी क्लिनिक चलाने वाले डाक्टर के पास उसकी मां और मामा ले गए, डाक्टर ने उसे सरकारी अस्पताल में इलाज के बाद जाने के लिए कहा। फिर रामगढ़वा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के डाक्टर ने उसे मोतिहारी सदर अस्पताल में रेफर कर दिया। लड़की की मां के अनुसार मोतिहारी में सदर अस्पताल में एक डाक्टर द्वारा पीड़िता को भगाने की कोशिश की गई। लेकिन मोतिहारी आने के बाद सोशल मिडिया, पिं्रट और इलेक्ट्रोनिक मिडिया, और सामाजिक, राजनीतिक क संगठनों के प्रतिवाद के बाद ऐसा संभव नहीं हो सका। लेकिन पीड़िता की मेडिकल जाॅच रिपोर्ट बनाने की कोई कोशिश नहीं की गई। अंततः पीड़िता की 22 जून को मेडिकल जाॅच हुयी, जिसमें बलात्कार की पुष्टि नहीं की गई। बाद में प्रतिवाद के बाद उसकी मुजफ्फरपुर में फोरेंसिक जाॅच का निर्णय लिया गया। 24 जून तक पुलिस ने एक भी गिरफ्तारी नहीं किया। बाद में 5 अभियुक्त 27 जून तक हाजिर हुए हंै, एक अभियुक्त फरार है। ठीक उसी तरह, पिपरा बलात्कार कांड का मुख्य अभियुक्त अभी तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है. इसलिए हमारी समझ और मांग है कि 
  • 1. 13 जून के बलात्कार की घटना का एफआईआर हो गया होता, और पुलिस सक्रिय हो गयी होती, तो 15 जून की घटना नहीं होती।
  • 2. 15 जून को पुलिस ने पीड़िता को मोतिहारी सदर अस्पताल में ले जाने उसकी मेडिकल रिपोर्ट बनवाने के बदले उसके गांव ले जाकर छोड़ दिया, इससे उसकी संलिप्तता साबित होती है। वहां के थानाध्यक्ष और उक्त कांड के अनुसंधानकर्ता समेत दोषी पुलिस कर्मियों को बरखास्त करना चाहिए, वे समाज व कानून के दुश्मन की तरह कार्य कर रहे हैं।
  • 3. मोतिहारी सदर अस्पताल में मेडिकल जांच कराने में की गई देरी यह साबित करती है कि वहां के सिविल सर्जन, हाॅस्पीटल अधीक्षक और इलाज एवं जांच से सम्बन्धित डाक्टर या तो लापरवाह हैं, या पीड़िता के विरोधियों और पुलिस के प्रभाव में थे, इसकी जांच हो और दोषियों पर कार्यवाही हो। मोतिहारी सदर अस्पताल के बारे में यह भी तथ्य सामने आया है कि मार्च 2015 से मार्च 2016 के बीच वहां बलात्कार के 213 मामले आए, जिसमें एक भी बलात्कार का मामला साबित नहीं हुआ। यह तथ्य साबित करता है कि मोतिहारी सदर अस्पताल बलात्कारियों का संरक्षक बना हुआ है।
  • 4. बलात्कारी परिवार जिस तरह पीड़ित परिवार को धमकी दे रहा है, और गांव में उस परिवार की दबंगता है, अतः सम्बन्धित कांड 49/16 रामगढ़वा का स्पीडी ट्रायल हो उसके गवाहों को सुरक्षा दी जाए, और दोषियों को सख्त से सख्त सजा हो। एफआईआर में अब तक जो लीपापोती की गयी है, उसमें बलात्कार और मानवीय उत्पीड़न की धारायें मजबूत की जाय।
  • 5. पूर्वी चम्पारण में पीपरा बच्ची बलात्कार कांड, जुमाई टोला बलात्कार कांड और बढ़ते अपराध के आधार पर वहां के एस0पी0 और डी0एम0 का तबादला होना चाहिए। ऐसे मामलों में जिला पुलिस प्रशासन की संज्ञानहीनता बनी हुयी है।
  • 6. नीतीश सरकार में सामंतों, दबंगों, अपराधियों का नंगा नाच चल रहा है। जुमाई टोला बलात्कार कांड में दिन दहाड़े मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आयी है, लेकिन अभी तक सरकार का कोई मंत्री या उच्चाधिकारी पीड़िता से नहीं मिल सका है। यह सरकार की घोर संवेदनहीनता है, हम मांग करते है की नीतीश सरकार जुमाई टोला और पिपरा कांड की स्पीडी ट्रायल की घोषणा करे, और पीड़िता को 10 लाख रूपया मुआवजा राशि दे। उसके भावनात्मक जख्मों को ठीक करे, और उसके सम्मानजनक जीवन जीने की व्यवस्था करे, पीड़िता के प्रतिरोध की बहादुरी को सम्मानित करे। सरकारी खर्च पर इनका बेहतर इलाज करवाया जाए और निर्भया फंड से इन्हें मदद पहंुचाई जाए.

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