भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) ने 24 जून 2016 को लखनऊ में अपनी 18वीं वार्षिक सामान्य बैठक आयोजित की। सिडबी के सीएमडी डॉ. क्षत्रपति शिवाजी, आईएएस, ने वित्तीय वर्ष 2016 के दौरान बैंक के जोरदार कार्य-निष्पादन की जानकारी देने के साथ-साथ, एमएसएमई पारितंत्र में विद्यमान विभिन्न वित्तीय एवं गैर-वित्तीय अंतरालों को पाटने की दिशा में इसकी अन्य बहुत-सी गतिविधियों का भी उल्लेख किया। डॉ. शिवाजी ने बताया कि 31 मार्च 2016 तक बैंक की बैलेंस शीट का आकार 25.7ः बढ़कर रु. 76,478 करोड़ और बकाया 18.6ः बढ़कर रु. 65,632 करोड़ तक पहुँच गया। बैंक की नेटवर्थ में 18.7ः की वृद्धि हुई और वह 10,836 करोड़ हो गई। वर्ष 2015-16 के लिए बैंक का निवल लाभ रु. 1117 करोड़, जबकि प्रति शेयर अर्जन (ईपीएस) रु. 24.87 रहा। यथा 31 मार्च 2016, निवल बकाया के प्रतिशत के रूप में सकल एनपीए 1.51ः रहा, जबकि निवल बकाया के प्रतिशत के रूप में निवल एनपीए 0.73ः रहा। बैंक की स्थापना से अब तक संचयी सहायता रु. 4.50 लाख करोड़ तक पहुँच गई है, जिससे 350 लाख से अधिक व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं। वर्ष के दौरान भारत सरकार के रु. 750 करोड़ के टियर-प् बॉण्डों को रु. 202.80 प्रति शेयर के बही मूल्य पर ईक्विटी में परिवर्तित किया गया, जिसके लिए बैंक के 36,982,250 ईक्विटी शेयर भारत सरकार को आवंटित किए गए। वार्षिक सामान्य बैठक में उपस्थित शेयरधारकों ने वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए 20ः लाभांश के भुगतान का अनुमोदन किया।
डॉ. शिवाजी ने वित्तीय वर्ष के दौरान सिडबी द्वारा किए गए विभिन्न प्रयासों पर प्रकाश डाला। एक महत्त्वपूर्ण प्रयास था, सिडबी के पूर्ण स्वामित्व में माइक्रो यूनिट्स डेवलमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी (मुद्रा) की स्थापना। मुद्रा की स्थापना माननीय प्रधान मंत्री ने 08 अप्रैल 2015 को की। इसका उद्देश्य वित्त से वंचित रह गए अत्यंत लघु एवं स्व-स्वामित्व युक्त उद्यमों को वित्त देना है। मार्च 2016 के अंत तक मुद्रा ने रु. 3,783.20 करोड़ स्वीकृत किए, जिसमें से रु. 3,337.20 संवितरित किए जा चुके हैं। माननीय प्रधान मंत्री ने 5 अप्रैल 2016 को ‘स्टैंड-अप इंडिया’ का शुभारंभ किया। इसके अधिदेश को पूरा करने के उद्देश्य से सिडबी ने वेब-पोर्टल विकसित किया है, जो पंजीकरण करने, वित्तीय सहायता के लिए आवेदन स्वीकार करने, विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन के लिए लिंक देने, आवेदनों पर कार्रवाई की स्थिति जानने और उनकी निगरानी आदि को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इस पोर्टल पर 1.07 लाख से अधिक बैंक-शाखाओं और 17,000 मार्गदर्शक एजेंसियों का डाटाबेस उपलब्ध है और यह किसी सत्याभासी ऋण-बाजार की तरह काम कर रहा है। डॉ. शिवाजी ने किसी भी अर्थ-व्यवस्था के समग्र विकास में स्टार्ट-अप्स की भूमिका पर प्रकाश डाला। इसलिए स्टार्ट-अप्स और खास तौर से एसएमई वर्ग के स्टार्ट-अप्स की मदद के लिए सिडबी ने रु. 2,000 करोड़ का ‘इंडिया ऐस्पिरेशन फंड’ (आइएएफ) बनाया है। इसका उपयोग उद्यम पूँजी निधियों (वीसीएफ) में निवेश करने के लिए निधियों की निधि के रूप में किया जाएगा। ये उद्यम पूँजी निधियाँ एमएसएमई में निवेश करेंगी। यह निवेश सिडबी की वचनबद्धता के दुगने तक या वीसीएफ की समूह-निधि के 50प्रतिशत तक (जो भी अधिक हो) होगा।
सिडबी ने ऑनलाइन प्लैटफॉर्म भी विकसित किया है। यह प्लैटफॉर्म विभिन्न हितधारकों, जैसे- इन्क्यूबेटर्स, मेंटर्स, ऐंजल नेटवर्क्स, उद्यम पूँजी निधियों आदि से संपर्क करने में स्टार्ट-अप्स की मदद कर रहा है। बैंक ने कई और पहलकदमियाँ भी की हैं, जैसे- ‘ट्रेड रिसीवेबल्स ई-डिस्काउंटिंग सिस्टम’ (ट्रेड्स) की स्थापना, जो नैशनल स्टॉक एक्स्चेंज की एनएसई स्ट्रैटजिक इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएसआईसीएल) के साथ स्थापित संयुक्त उपक्रम है, और भारतीय रिजर्व बैंक से ‘सिद्धान्ततः’ अनुमति के बाद लगाया गया है। ट्रेड्स एमएसएमई को अपनी प्राप्य-राशियों को सिस्टम पर पोस्ट करने और वित्त प्राप्त करने में मदद करेगा। इससे एमएसएमई क्षेत्र में विलंब से भुगतान मिलने की समस्या का समाधान हो पाएगा। वर्ष के दौरान बैंक ने रु.10,000 करोड़ की निधि ‘सिडबी मेक इन इंडिया सॉफ्ट लोन फंड फॉर माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेस (स्माइल)’ आरंभ की। इसका उद्देश्य एमएसएमई को अर्ध-ईक्विटी के रूप में सुलभ ऋण प्रदान करना है, ताकि वे नए एमएसएमई स्थापित करने के लिए अपेक्षित ऋण-ईक्विटी अनुपात की पूर्ति कर सकें और अपेक्षाकृत उदार शर्तों पर सावधि ऋण पा सकें और साथ ही, मौजूदा एमएसएमई अपने विकास के अवसरों का लाभ ले सकें। वित्तीय वर्ष 2016 के दौरान सिडबी ने एनएसई-एसएमई प्लैटफॉर्म ‘’इमर्ज” के अपने ग्राहकों में से एक के सफल सार्वजनिक निर्गम के लिए सह-अग्रणी प्रबन्धक के रूप में काम करते हुए व्यापारिक बैंकिंग की भी शुरुआत की।
डॉ. शिवाजी ने कहा कि वित्तीय समावेशन की दृष्टि से सिडबी अल्प वित्त क्षेत्र की अपनी गतिविधियों के माध्यम से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अल्प वित्त संस्थाओं को इसने कुल रु. 10,769 करोड़ की सहायता प्रदान की है। सिडबी की अल्प वित्त सहायता से लगभग 345 लाख वंचित लोगों को लाभ पहुँचा है, जिनमें से अधिकतर महिलाएँ हैं। यह लाभ जीवन की गुणवत्ता में सुधार, सामाजिक सुरक्षा में वृद्धि, माली हैसियत और स्वास्थ्य एवं शिक्षा की दृष्टि से सुधार के रूप में रहा है। अपनी स्थापना के समय से ही सिडबी कई प्रकार की संवर्द्धनपरक एवं विकास परक सहायता मुहैया कराता आ रहा है, जिसमें एमएसएमई सलाह केन्द्रों के माध्यम से सलाकारिता सेवाएंय क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों का क्षमता-निर्माण, आदि शामिल है। इसका उद्देश्य सूक्ष्म इकाइयों को अधिकाधिक ऋण प्रदान करना, कौशल विकास, ग्रामीण उद्योगीकरण, क्लस्टर विकास आदि रहा है। सिडबी की इस विकासपरक सहायता से 80,000 से अधिक इकाइयाँ स्थापित करने और 1.5 लाख से अधिक रोजगारों के सृजन में मदद मिली है और इससे एमएसएमई क्षेत्र के 2.3 लाख से अधिक लोग लाभान्वित हुए हैं। डॉ. शिवाजी ने बताया कि विगत कुछ वर्षों में सिडबी एमएसएमई के पारितंत्र को सुदृढ़ता देनेवाला ‘संस्था-निर्माता’ बनकर उभरा है, ताकि वे अपनी विविध आवश्यकताओं, जैसे- जोखिम पूँजी, संपार्शि्वक रहित सहायता, एनपीए-समाधान, रेटिंग, प्रौद्योगिकी संबंधी सेवाओं आदि की पूर्ति कर सकें।
एमएसएमई की सेवा के लिए प्रवर्तित संस्थाओं की श्रेणी में वृद्धि करते हुए, सिडबी ने हाल ही में नैशनल स्टॉक एक्स्चेंज की साझेदारी में रिसीवेबल एक्स्चेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड की स्थापना की है, जिसकी चुकता पूँजी रु. 25 करोड़ है। इसमें भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और येस बैंक ने भी निवेश किया है। कंपनी को भारतीय रिजर्व बैंक की अन्तिम अनुमति का इन्तजार है, ताकि इसे शीघ्र आरम्भ किया जा सके। यह एमएसएमई के प्राप्यों की नीलामी-आधारित इलेक्ट्रॉनिक भुनाई का पहला ट्रेड्स प्लैटफॉर्म है। वर्ष 2015-16 के दौरान बैंक को कई राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। सर्वोत्कृष्ट विकास परियोजना के अंतर्गत ‘मुद्रा’ के लिए एडीएफआईएपी पुरस्कार के साथ-साथ, सिडबी को ऐक्सेस असिस्ट से माइक्रोफाइनैन्स इंडिया अवार्ड 2015य ऊर्जा दक्षता ब्यूरो से वित्तीय संस्था वर्ग में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार 2015 के अंतर्गत प्रथम पुरस्कारय पीसी क्वेस्ट की ओर से ‘सर्वश्रेष्ठ आईटी क्रियान्वयन पुरस्कार 2016’य इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एंटरप्राइजेस, हैदराबाद की ओर से बैंक क्षेत्र वर्ग में ‘सतर्कता उत्कृष्टता पुरस्कार’य और उत्कृष्ट राजभाषा कार्यान्वयन के लिए गृह मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से अखिल भारतीय राजभाषा कीर्ति पुरस्कार योजना के अन्तर्गत लगातार तीसरी बार द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ।

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