बिहार : टाॅपर्स घोटाले के खिलाफ विरोध कार्यक्रम के तहत पटना में मार्च - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 27 जून 2016

बिहार : टाॅपर्स घोटाले के खिलाफ विरोध कार्यक्रम के तहत पटना में मार्च

  • घोटालेबाजों की संपत्ति जब्त करे सरकार, पटना विश्वविद्यालय से कारगिल चैक तक हुआ मार्च

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पटना 27 जून 2016,  टाॅपर्स घोटाले के राजनीतिक संरक्षण की संपूर्णता में उच्चस्तरीय न्यायिक जांच के सवाल पर आज पटना में भाकपा-माले, आइसा व इनौस कार्यकर्ताओं ने प्रतिवाद मार्च निकाला. पटनाविश्वविद्यालय गेट से कारिगल चैक तक मार्च निकाला गया और फिर कारगिल चैक पर एक सभा भी आयोजित की गयी. मार्च का नेतृत्व इनौस के राज्य सचिव नवीन कुमार, आइसा नेता तारिक अनवर, मोख्तार, आकाश कश्यप, सुधीर कुमार, बाबू साहेब, इनौस के पटना जिला के नेता साधु शरण, मनीष कुमार सिंह और माले नेता नसीम अंसारी, मुर्तजा अली, अनन्य मेहता आदि नेताओं ने किया. मार्च के उपरांत आयोजित सभा को संबोधित करते हुए नेताओं ने कहा कि  ‘टाॅपर्स घोटाले’ ने बिहार के शैक्षणिक जगत में चल रहे संस्थागत भ्रष्टाचार को पूरी तरह बेनकाब कर दिया है. जगन्नाथ मिश्रा के समय वित्तरहति शिक्षा नीति की शुरूआत हुई, जो लालू यादव के शासन में भी जारी रहा. नीतीश शासन मंे तो पिछले 11 वर्षों से ‘शिक्षा सुधार’ के नाम पर बिहार में जो खेल चल रहा है, उसमें इस तरह के घोटालों को सामने आना ही था. बिहार में जदयू-भाजपा गठबंधन की सरकार थी, जब नीतीश कुमार ने शिक्षा सुधार के लिए मुचकुंद दूबे आयोग का गठन किया था. आयोग ने समान स्कूल प्रणाली की सिफारिश की. लेकिन नीतीश कुमार ने आयोग की सिफारिशों को सिरे से नकारकर ठीक इसके विपरीत शिक्षा में निजी पंूजी को खुलकर बढ़ावा दिया. इसी का नतीजा हैै कि आज प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा महज एक खरीद-पफरोख्त की वस्तु बन गयी है. 

उन्होंने कहा कि आज शिक्षा पर माफियाओं ने कब्जा जमा लिया है, महंगे प्राइवेट स्कूलों की बाढ़ आ गयी है और छात्रों को चूस लेने के लिए कुकुरमुत्ते की तरह कोचिंग संस्थान उग आए हैं. वित्तरहित काॅलेजों से कहा गया कि जो जितना बेहतर परिणाम देगा, सरकार उसे उसी अनुरूप सहायता देगी. नतीजा यह हुआ कि ये वित्तरहित काॅलेज डिग्रियां खरीदने लगे. इंटरमीडिएट को स्कूलों में स्थानांतरित कर दिया गया, लेकिन वहां योग्य शिक्षकों की बहाली नहीं की गयी. और इस तरह पढ़ाई को चैपट कर डिग्रियां खरीदेने की परंपरा को खुल कर प्रोत्साहित किया गया.  सरकारी संरक्षण में घटित इस घोटाले ने पूरे बिहार को झकझोर दिया है, जिसमें जदयू-भाजपा-राजद नेताओं समेत शिक्षा मापिफयाओं का एक पूरा तंत्र शामिल है. इस समूचे तंत्र ने मिलकर बिहार के युवाओं का भविष्य अंध्ेारे में ढकेल दिया है. यहां के युवक-युवतियों की मेहनत व लगन से हासिल डिग्रियों पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं और आज दूसरे प्रांतों में अनावश्यक तौर पर प्रताड़ित हो रहे हैं.

इतना ही नहीं, मेडिकल-इंजीनियरिंग जैसी उच्चतर शिक्षा में दलित-ओबीसी छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति में भी भारी कटौती की जा रही है, जिसकी वजह से छात्र बीच में ही पढ़ाई छोड़ने को विवश हो रहे हैं. शिक्षा को गत्र्त में ढकेलने वाली यह सरकार नौजवानों से किए वादों से भी लगातार विश्वसाघात कर रही है. न तो नौजवानों को सम्मानजनक रोजगार मिल रहा है और न ही बिना शत्र्त बेरोजगारी भत्ता. ऐसी स्थिति में बिहार के छात्रा-युवा पलायन को आज भी मजबूर हैं.  प्रत्येक नागरिक के लिए शिक्षा व रोजगार उपलब्ध् कराना सरकार का संवैधनिक दायित्व है. लेकिन जो कुछ चल रहा है. वह सामाजिक न्याय, लोकतांािक अधिकार और मानवीय मूल्यों का सृजन करने वाली शिक्षा व्यवस्था से पूरी तरह विश्वासघात है. इसके खिलाफ हम सबको आगे आना होगा और एक लंबी लड़ाई में उतरना होगा. 

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