मोदी की फटकार के बाद भी स्वामी पुराने रुख पर कायम - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


बुधवार, 29 जून 2016

मोदी की फटकार के बाद भी स्वामी पुराने रुख पर कायम

dispite-modi-s-reprimand-swami-stands-firm
नयी दिल्ली, 28 जून, देश के नीति निर्धारकों पर छींटाकशी करने और वित्त मंत्री अरुण जेटली का मखौल उड़ाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सार्वजनिक फटकार के एक दिन बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रह्मणयम स्वामी ने आज गीता के श्लोक को उद्धृत करते हुए अपने रुख में कोई बदलाव नहीं लाने के संकेत दिये। हाल ही में मनोनयन के माध्यम से राज्यसभा में पहुँचने वाले डॉ. स्वामी ने श्री मोदी के कल के टेलीविजन इंटरव्यू के बाद मीडिया से कोई बातचीत नहीं की। आज वह सोशल मीडिया के अपने पसंदीदी माध्यम ट्विटर पर दार्शनिक अंदाज में पेश आये। उन्होंने कहा, “विश्व एक प्रकार से तुला के समान है। एक मानक में जरा से भी बदलाव से उससे जुड़ी सभी बातों में परिवर्तन आता है। इसीलिये कृष्ण ने कहा है, सुखदु:खे .....” डॉ. स्वामी ने गीता के जिस श्लोक के आरंभिक शब्दों का उल्लेख किया है, वह पूरा श्लोक इस प्रकार है - “सुखदु:खे समे कृत्वा लाभालाभो जयाजयौ । ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि ।।” अर्थात् जय-पराजय, लाभ-हानि और सुख-दु:ख को समान समझ कर, उसके बाद युद्ध के लिये तैयार हो जा। इस प्रकार युद्ध करने से तू पाप को नहीं प्राप्त होगा। गीता के दूसरे अध्याय के इस 38वें श्लोक के माध्यम से श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्मयोग के सिद्धान्त से युद्ध का औचित्य बतलाया था। 

हालांकि डॉ. स्वामी की ओर से आज किसी पर हमला करने संबंधी कोई ट्वीट नहीं आने पर पार्टी मुख्यालय में राहत महसूस की गयी जहां पिछले कई दिनों से पार्टी के प्रवक्ता एवं उच्च पदाधिकारी डाॅ. स्वामी के हमलों को लेकर प्रतिक्रिया देने से बच रहे थे। पार्टी नेताओं में उन्हें शीर्ष नेताओं का वरदहस्त होने संबंधी धारणा ने उनकी दुविधा को बढ़ा दिया था। लेकिन कल टाइम्स नाउ को दिये साक्षात्कार में श्री मोदी का बहुत स्पष्ट संदेश आ जाने के बाद पार्टी नेताओं ने राहत की सांस ली। श्री मोदी ने कहा था, “'मेरी पार्टी में हों या न हो, फिर भी मैं मानता हूं कि ये चीजें अनुचित हैं। पब्लिसिटी के शौक से किसी का भला नहीं हो सकता। कोई खुद को सिस्टम से ऊपर नहीं मान सकता।” भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन पर डॉ. स्वामी के हमले के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा, “ इस मामले में विवाद खड़ा कर रहे लोग श्री राजन के साथ अन्याय कर रहे हैं। हममें से किसी की भी तुलना में राजन की देशभक्ति जरा भी कम नहीं है। कुछ लोग कहते हैं कि वह किसी अहम पद पर हों, तभी वह देश की सेवा करेंगे, लेकिन राजन किसी भी पद पर हों, कहीं पर भी हों, वह भारत की सेवा करने वाले इंसान हैं, देश को प्रेम करने वाले इंसान हैं। उनके भविष्य के लिए मेरी शुभकामनाएं हमेशा रहेंगी।”

कोई टिप्पणी नहीं: