मुंबई, 28 जून, स्टार स्पोर्ट्स प्रो कबड्डी लीग में पुरूष खिलाड़ियों को लाखों रूपये मिल रहे हैं लेकिन मंगलवार से शुरू हो रही महिला कबड्डी लीग का आलम यह है कि उसमें हिस्सा लेने वाली तीन टीमों की खिलाड़ियों को कोई पैसा नहीं मिल रहा है। अर्जुन अवार्डी और विश्वकप विजेता कबड्डी टीम की सदस्य रहीं अभिलाषा म्हात्रे का कहना है कि पुरूषों की तरह महिला कबड्डी को नयी ऊंचाइयों तक ले जाने के लिये पहचान और पैसे दोनों की जरूरत है। लेकिन इस लीग में महिला खिलाड़ियों को कोई पैसा नहीं दिया जा रहा है। अभिलाषा इसके बावजूद इस बात से संतुष्ट हैं कि महिला कबड्डी को कम से कम खुद को दिखाने के लिये एक बड़ा मंच मिल रहा है। पुरूषों की प्रो कबड्डी की तरह महिला कबड्डी लीग की शुरूआत मंगलवार से हो रही है जिसमें तीन टीमें आईस दीवा, फायर बर्ड्स और स्ट्रॉम क्वीन्स शामिल हैं जिनकी कप्तान क्रमश: अभिलाषा म्हात्रे, ममता पुजारी और तेजस्विनी बाई के हाथों में है। ये तीनों खिलाड़ी भारत की राष्ट्रीय कबड्डी टीम की सदस्य हैं और अर्जुन अवार्ड से नवाजी जा चुकीं हैं। हालांकि यह दिलचस्प है कि प्रो कबड्डी लीग के पुरूष खिलाड़ियों को नीलामी में जहां भारी भरकम कीमत मिली है वहीं महिला कबड्डी लीग के पहले संस्करण में उतरने जा रहीं खिलाड़ियों को इस लीग में खेलने के लिये किसी तरह का भुगतान नहीं किया जा रहा है। 28 जून से महिला लीग की शुरूआत हो रही है और इसका फाइनल 31 जुलाई को हैदराबाद में खेला जाएगा। इसके मैच छह शहरों मुंबई, जयपुर, हैदराबाद,बेंगलुरू,कोलकाता और नयी दिल्ली में होंगे। आईस दीवा की कप्तान अभिलाषा ने ‘यूनीवार्ता’ से विशेष बातचीत में कहा कि वह इस लीग का हिस्सा इसलिये बनीं हैं ताकि महिला कबड्डी काे एक बड़ा मंच मिल सके। उन्होंने कहा“ हमें फिलहाल तो इस प्रो कबड्डी लीग में खेलने के लिये कोई पैसा नहीं मिल रहा है लेकिन यह एक बड़ा मंच है जहां से हमें अपनी एक अलग पहचान मिल सकेगी।
महिला लीग में तीन टीमों को उतारने के संदर्भ में मुंबई के राईगढ़ गांव की रहने वाली अभिलाषा ने कहा“ मैं भी चाहती हूं कि हमें लीग में खेलने के लिये भविष्य में पैसा मिले। लेकिन फिलहाल यह प्राथमिकता नहीं है। महिला कबड्डी को पहचान दिलाने के लिये बड़े मंच और पैसे दोनों की जरूरत होती है।” 28 वर्षीय अभिलाषा ने बताया कि प्रो कबड्डी लीग में उतरने से पहले वह अन्य खिलाड़ियों के साथ मुंबई में एक महीने तक अभ्यास कैंप का हिस्सा रहीं जिसमें बेहतरीन और आधुनिक सुविधाएं तथा ट्रेनर मौजूद थे और यह सुविधाएं राष्ट्रीय टीम से बेहतर हैं। मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली अभिलाषा वर्ष 2007 और 2008 में घुटने की चोट के कारण प्रभावित रहीं थीं लेकिन इसके बाद वह सैफ खेलों, एशियाई खेलों और विश्वकप विजेता स्वर्ण पदक भारतीय टीम का हिस्सा रहीं। वर्ष 2006 में अंतरराष्ट्रीय पदार्पण करने वाली अभिलाषा ने प्रो लीग को अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों के लिये तैयारी के लिहाज से उपयोगी बताते हुये कहा“ मेरे हिसाब से इस लीग में खेलने पर हमारा खेल भी सुधरेगा और हम राष्ट्रीय टीम में और बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे।” आठ वर्ष तक रेलवे का भी प्रतिनिधित्व कर चुकीं अभिलाषा पहली बार प्रो लीग से कप्तानी का अनुभव हासिल करने जा रही हैं।

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