सोच से शौचालय तक का सफर
अरुण कुमार,मटिहानी,बेगुसराय। बबुरबन्नी,मर्रे टोल,सिहमा स्थित,राजकीयकृत मध्य विद्यालय के प्रांगण में बेगुसराय अनुमंडल पदाधिकारी,विनय कुमार, मटिहानी,बिडिओ एवं सीओ के साथ दिल्ली भारत सरकार की ओर से आए सुलभ शौचालय अभियान के प्रशिक्षक निशिकान्त गिरी,मंचासीन हुए।सर्व प्रथम मटिहानी बिडिओ सबों का परिचय कराते हुए सादर एसडीओ विनय कुमार से दो शब्द बोलने के लिए मंच पर आमंत्रित किए।श्री विनय कुमार ने जन समूह को सम्बोधित करते हुए बोले की गंगा नदी को स्वच्छ और पवित्र रखने के लिए हम सबको यह संकल्प लेना होगा की हम खुले में शौच नहीं करेंगे।हम सरकार के फण्ड के भरोसे भी नहीं रहेंगे हम अपनी हर आवशयकताओं की पूर्ति हम स्वयं ही करते हैं तो फिर हम स्वयं अपनी स्वच्छता के लिए शौचालय क्यूँ नहीं बनवाएँगे।जिससे हमारा आने वाला पीढ़ी स्वच्छता और स्वास्थ्य भरा जीवन का आनन्द ले।खुले में शौच से नाना प्रकार के बीमारियों से बचाव की व्यवस्था हम क्यों नहीं करें।चलिए इसकी विशेष जानकारी हम दिल्ली से आए प्रशिक्षक गिरी जी सर्व प्रथम सबों का अभिवादन करते हुए बोले की आपके गाँव में कितनी आबादी है ?लोगों ने एक स्वर में बोला 3000।फिर गिरी जी ने पूछा दवाई पर कितना खर्च होता है ?तो सबों ने बोला की लगभग 2000 रुपये प्रत्येक महीना।गिरी जी बोले ये फिजुल खर्ची से बचा जा सकता है।अगर हम अन्य खर्चों में शौचालय भी बनवाने का संकल्प ले लें तो।उन्होंने बोला की हम जो शौच करते हैं खुले में उस पर मक्खी बैठती है,उस शौच को कुत्ते,कौए आदि कितने जीव खाते हैं,उसमे मक्खी हमारे खाने पर भी बैठते हैं जिससे नाना प्रकार की बीमारियाँ फैलती है।जिससे हम बच सकते हैं। हम अगर स्वयं से ही शौचालय घर घर बनाने का यदि संकल्प ले लें। उन्होंने पानी से भरा ग्लास लेकर दो तीन आदमी को पिला कर स्वयं भी पीए,फिर एक बाल अपने सिर का तोड़कर एक बच्ची के चप्पल के निचले भाग से रगड़ कर पानी में डुबोकर फिर वहाँ उपास्थि लोगों से पीने को कहा गया तो कोई भी पीने के लिए तैयार नहीं हुए,इस प्रकार मक्खी का उदाहरण प्रस्तुत कर कहा की जो मक्खी टट्टी पर बैठती है वही हमारे भोजन सामग्री भात-रोटी पर बैठती है तो हम उस भात-रोटी पर बैठी मक्खी को हटाकर उसी खाने को हम खाकर बीमारियों को आमंत्रित करते हैं तो अगर इससे बचना है तो हमें हर घर में खुद के पैसे से शौचालय बनवाना होगा तभी हम बीमारियों से होनेवाले दुष्प्रभाव से बच सकते हैं।गिरी जी से पूछने पर मालुम हुआ की यह योजना भारत सरकार की है यह प्रशिक्षण और प्रचार का कार्य देश के हर प्रान्त के हर जिले के शहर और पंचायत में किया जा रहा है शायद लोगों में इसी तरीके से जागरूकता आए। मटिहानी बी डी ओ ने बताए की एन जी ओ के द्वारा कार्य सम्पादन सही ढंग से नहीं हो पाया इसीलिए सरकार ने इस तरीके से कार्य करने के लिए कदम उठाया है।हमे पूर्ण विश्वास है की इस तरीके से कार्य करने पर अवश्य ही सफलता मिलेगी।सूत्रों की मानें तो सरकार शौचालय बनवाने के लिए प्रोत्साहन राशि दे रही है अगर वो राशि मिली तो लोग जागरूक हो कर तत्परता से शौचालय अवश्य बनवाएंगे।वैसे ये सब को पता है कि बाहर में शौच करने से क्या क्या परेशानी होती है लेकिन चाहत तो सबकी है पर आर्थिक परेशानियों की वजह लोग सोच तो रखते हैं शौचालय नहीं बनवा पाते हैं,इस ज़मीनी हक़ीक़त से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।समझाने से हम सोच बदल सकते हैं दशा नहीं।

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