इराक पर हमले का फैसला अवैध था : प्रेस्कोट - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 10 जुलाई 2016

इराक पर हमले का फैसला अवैध था : प्रेस्कोट

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लंदन 10 जुलाई, पूर्व ब्रिटिश उप प्रधानमंत्री जॉन प्रेस्कोट ने इराक हमले के 13 साल के लंबे अंतराल के बाद आज माना कि इराक पर हमला करने का ब्रिटेन का फैसला अवैध था। वर्ष 2003 में अमेरिका के नेतृत्व में इराक पर किये गये हमले में शामिल हुए ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के कार्यकाल में उप प्रधानमंत्री रहे श्री प्रेस्कोट ने एक समाचार पत्र में लिखे अपने आलेख में कहा कि उन्होंने इराक हमले की वैधता के बारे में अपने विचार बदल लिये हैं। उन्होंने लिखा है,“ वर्ष 2004 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी अन्नान ने कहा था कि इराक हमले का मुख्य ध्येय सत्ता परिवर्तन है और यह गैरकानूनी है। बहुत दुख और आक्रोश के साथ मुझे भी आज यह मानना पड़ रहा है कि वह सही थे। एक भी दिन ऐसा नहीं जाता, जब मैं इराक हमले में शामिल होने के अपने देश के फैसले के बारे में नहीं सोचता। ” 

श्री प्रेस्कोट ने कहा,“ ऐसा एक भी दिन नहीं होता ,जब मुझे इराक हमले में ब्रिटेन के लिए जान गंवाने वाले और जख्मी होने वाले ब्रिटिश सैनिकों और सद्दाम हुसैन को हटाने के लिए की गयी इस लड़ाई में जान गंवाने वाले एक लाख 75 हजार लोगों का ख्याल नहीं आता। मुझे ताउम्र इस अफसोस के साथ जीना होगा कि हमने इराक पर हमला करने का निर्णय लिया ।” उन्होंने यह भी खुलासा किया कि श्री ब्लेयर ने इराक हमले से आठ महीने पहले तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को पत्र लिखा था कि वह हर परिस्थिति में उनके साथ होंगे। उन्होंने साथ ही मंत्रिमंडल संचालन के श्री ब्लेयर के तरीके पर टिप्पणी करते हुए बताया कि मंत्रिमंडल को बहुत ही कम कागजी दस्तावेजों के आधार पर ही फैसले लेने पड़ते थे। उन्होंने कहा कि तत्कालीन एटॉर्नी जनरल लॉर्ड स्मिथ अचानक एक दिन कैबिनेट के सामने आये और मौखिक घोषणा कि इराक हमला वैध है। यह घोषणा जिस समय की गयी उससे साफ पता चलता है कि वे तत्काल ही हमारा निर्णय चाहते थे कि हम युद्ध में शामिल हों। उल्लेखनीय है कि श्री ब्लेयर ने भी इस सप्ताह इराक युद्ध के दौरान हुई भूलों पर दुख और पछतावा प्रकट करते हुए माफी मांगी लेकिन साथ ही यह भी कहा कि युद्ध जायज था।

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