नयी दिल्ली 13 जुलाई, हवाई टिकट रद्द कराना एक अगस्त से सस्ता हो जायेगा क्योंकि नये नियमों के अनुसार, विमान सेवा कंपनियाँ मूल किराया और ईंधन शुल्क से ज्यादा कैंसिलेशन चार्ज के रूप में नहीं काट सकेंगी। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा नागर विमानन नियम में संशोधन को अंतिम रूप दे दिया गया है। इसमें कहा गया है “टिकट रद्द कराने/इस्तेमाल नहीं करने या यात्री के उड़ान छोड़ देने की स्थिति में विमान सेवा कंपनी सभी संवैधानिक कर तथा उपभोक्ता विकास शुल्क/हवाई अड्डा विकास शुल्क/यात्री सेवा शुल्क यात्रियों को वापस करेंगी। यह नियम सभी प्रकार के ऑफरों के तहत बुक कराये गये टिकटों पर भी लागू होगा; उन टिकटों पर भी जिनमें मूल किराया नॉन-रिफंडेबल है।” महानिदेशालय ने स्पष्ट किया है कि कोई भी कैंसिलेशन चार्ज मूल किराया और ईंधन शुल्क के योग से अधिक नहीं हो सकता। इसके अलावा एयरलाइंस रिफंड प्रक्रिया के नाम पर प्रोसेसिंग शुल्क भी नहीं ले सकतीं।
डीजीसीए ने कहा कि एयरलाइंसों के खिलाफ यात्रियों की शिकायतों का बड़ा अनुपात रिफंड को लेकर होता है। आम तौर पर उनकी शिकायत होती है कि इस्तेमाल नहीं किये गये टिकट के रिफंड में एयरलाइंस देरी करती हैं। टिकट रद्द कराने पर बेहद कम रिफंड मिलता है। एयरलाइंस टिकट रद्द कराने पर रिफंड देने की बजाय सीमित अवधि के लिए बाद की यात्राओं के लिए टिकट खरीदने पर कुछ पैसा उसमें समायोजित कर देती हैं। उसने कहा कि हालाँकि सरकार विमान सेवा कंपनियों के वाणिज्यिक क्रियाकलाप में कोई दखलअंदाजी नहीं करना चाहतीं, लेकिन जितनी बड़ी संख्या में शिकायतें आ रही थीं उसे देखते हुये यात्रियों के हितों की रक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठाना जरूरी हो गया था। नये नियमों के अनुसार, हर हाल में रिफंड 30 दिन के अंदर मिल जाना चाहिये। यदि पेमेंट कार्ड से किया गया है तो रिफंड सात दिन के अंदर मिलना चाहिये। यदि यह नकद खरीदा गया था तो जिस कार्यालय से टिकट खरीदा गया था वहाँ से तत्काल रिफंड होना चाहिये। ट्रैवल एजेंटों या पोर्टलों से लिये गये टिकट के रिफंड के लिए भी विमान सेवा कंपनियों को ही जिम्मेदार बनाया गया है क्योंकि वे एयरलाइंस द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि हैं। इस स्थिति में अधिकतम 30 दिन में रिफंड देने की बात कहीं गई है। विमान सेवा कंपनियों से अपनी वेबसाइट और टिकट पर या इसके साथ फॉर्म जारी कर कैंसिलेशन के बारे में पूरी जानकारी उपभोक्ताओं को देने के निर्देश दिये गये हैं। हालाँकि, विदेशी विमान सेवा कंपनियों पर उनके अपने देश के नियम लागू होंगे।
डीजीसीए ने कहा कि एयरलाइंसों के खिलाफ यात्रियों की शिकायतों का बड़ा अनुपात रिफंड को लेकर होता है। आम तौर पर उनकी शिकायत होती है कि इस्तेमाल नहीं किये गये टिकट के रिफंड में एयरलाइंस देरी करती हैं। टिकट रद्द कराने पर बेहद कम रिफंड मिलता है। एयरलाइंस टिकट रद्द कराने पर रिफंड देने की बजाय सीमित अवधि के लिए बाद की यात्राओं के लिए टिकट खरीदने पर कुछ पैसा उसमें समायोजित कर देती हैं। उसने कहा कि हालाँकि सरकार विमान सेवा कंपनियों के वाणिज्यिक क्रियाकलाप में कोई दखलअंदाजी नहीं करना चाहतीं, लेकिन जितनी बड़ी संख्या में शिकायतें आ रही थीं उसे देखते हुये यात्रियों के हितों की रक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठाना जरूरी हो गया था। नये नियमों के अनुसार, हर हाल में रिफंड 30 दिन के अंदर मिल जाना चाहिये। यदि पेमेंट कार्ड से किया गया है तो रिफंड सात दिन के अंदर मिलना चाहिये। यदि यह नकद खरीदा गया था तो जिस कार्यालय से टिकट खरीदा गया था वहाँ से तत्काल रिफंड होना चाहिये। ट्रैवल एजेंटों या पोर्टलों से लिये गये टिकट के रिफंड के लिए भी विमान सेवा कंपनियों को ही जिम्मेदार बनाया गया है क्योंकि वे एयरलाइंस द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि हैं। इस स्थिति में अधिकतम 30 दिन में रिफंड देने की बात कहीं गई है। विमान सेवा कंपनियों से अपनी वेबसाइट और टिकट पर या इसके साथ फॉर्म जारी कर कैंसिलेशन के बारे में पूरी जानकारी उपभोक्ताओं को देने के निर्देश दिये गये हैं। हालाँकि, विदेशी विमान सेवा कंपनियों पर उनके अपने देश के नियम लागू होंगे।

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