- बंद की तैयारी को लेकर माले राज्य कार्यालय में हुई बैठक
पटना 6 जुलाई 2016, टाॅपर घोटाले की उच्चस्तरीय राजनीतिक संरक्षण, शिक्षा नीति की विफलता और उसके आपराधिक पहलू की संपूर्णता में जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन के सवाल पर माले ने 11 जुलाई के बिहार बंद में वाम दलों व अन्य प्रगतिशील ताकतों से सक्रिय समर्थन मांगा है. माले राज्य सचिव कुणाल ने सीपीआई, सीपीआईएम, एसयूसीआइसी, फारवर्ड ब्लाॅक व आरएसपी के राज्य सचिव के नाम पत्र लिखकर कहा है कि बिहार में शिक्षा को बचाने की चुनौती आज सबसे बड़ी चुनौती बन गयी है. शिक्षा के नाम पर जो गोरखध्ंाधा चल रहा है, उसने बिहार न केवल बिहार के छात्र-युवाओं बल्कि पूरे बिहार को अंधकारमय कर रहा है. इसके खिलाफ सभी ताकतों को एक साथ लड़ाई के मैदान में उतरना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि लालू-नीतीश ‘सामाजिक न्याय’ की नहीं सामाजिक अन्याय की सरकार है. यह कैसी सामाजिक न्याय की सरकार है जो दलितों व वंचित तबके के छात्रों की ही छात्रवृत्ति काट रही है. उन्हें शिक्षा से बेदखल कर रही है और समाज में आगे आने से उन्हें रोक रही है. उन्होंने कहा कि हमने प्रगतिशील, अंबेदकरवादी, बुद्धिजीवियों और अन्य शिक्षाविद्ों से भी अपील की है कि इस पूरे प्रकरण में शिक्षा नीति की विफलता के सवाल को प्रमुखता से आंदोलनों का हिस्सा बनाया जाए. हमारी मांग है कि मुचकुंद दूबे आयोग की सिफारिशों केा अविलंब लागू किया जाए, समान स्कूल प्रणाली लागू किया जाए.
बंद की तैयारी को लेकर माले राज्य कार्यालय में हुई बैठक
इधर, बंद की तैयारी को लेकर और बंद को पूरी तरह सफल बनाने के लिए माले राज्य कार्यालय में माले नेताओं और कार्यकर्ताओं की बैठक हुई. बैठक में माले राज्य सचिव कुणाल, पटना जिला सचिव अमर, केंद्रीय कमिटी सदस्य सरोज चैबे, राज्य कमिटी सदस्य अभ्युदय, उमेश सिंह, रणविजय कुमार, कमलेश शर्मा, नवीन कुमार, मुर्तजा अली, नसीम अंसारी आदि नेताओं ने भाग लिया. बैठक में तय किया गया कि आगामी बंद को लेकर मुहल्ला स्तर पर प्रचार अभियान संगठित किया जाएगा. 9-10 जुलाई को पूरे शहर में व्यापक प्रचार अभियान चलाया जाएगा और पर्चा, पोस्टर, माइकिंग के जरिए बिहार बंद को सफल बनाने की अपील की जाएगी. इस प्रचार अभियान में आइसा-इनौस के साथी स्कूल-काॅलेजों में कैंप करेंगे और सरकार की गलत शिक्षा नीति से आम जनता को वाकिफ करायेंगे.

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