सामाजिक कुरीतियों पर विजय पाने के लिए सम्मिलित प्रयास की जरूरत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 8 जुलाई 2016

सामाजिक कुरीतियों पर विजय पाने के लिए सम्मिलित प्रयास की जरूरत

सामाजिक कुरीतियों पर विजय पाने के लिए सम्मिलित प्रयास की जरूरत
दरभंगा 08 जुलाई, संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में देश के बड़े विश्वविद्यालयों में शामिल कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. देवनारायण झा ने छुआछूत जैसी कुरीतियों के खिलाफ लोगों से आगे आने का आह्वान करते हुए कहा कि सभी के भागीदारी से ही सामाजिक कुरीतियों पर विजय प्राप्त की जा सकती है। श्री झा ने आज यहां ‘अस्पृश्यता निवारण में धर्मशास्त्र के योगदान’ विषय पर आयोजित विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) सम्पोषित संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कहा कि कर्म हमेशा प्रधान होता है लेकिन आजकल इसे जातिगत भावना से जोड़कर देखा जा रहा है जो निंदनीय है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में छुआछूत की कुरीति से समाज जूझ रहा है , जो गंभीर चिंता का विषय है। 

उन्होंने कहा कि छुआछूत के निवारण के लिए हमारे धर्मशास्त्रों में कई विधाएँ है जिसपर अमल करने की जरूरत है। वहीं मुख्य अतिथि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति डा. साकेत कुशवाहा ने कहा कि आज भी समाज में छुआछूत के मामले सामने आ रहे हैं , जो चिंता का विषय है। संस्कृति के रक्षक खासकर धर्मशास्त्रियों का कर्तव्य बनता है कि वे आगे आएं और इस सामाजिक कुरीति को दूर करें। उन्होंने कहा कि दुनिया कितना आगे निकल चुकी है , ऐसे मे सभी प्रबुद्ध जनों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे भी इस कुरीतियो के निवारण में हाथ बटाएं। कई उदाहरणों को पेश करते हुए श्री कुशवाहा ने इसे समाज के लिए घातक बताया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मिथिला स्नातकोत्तर संस्कृत शोध संस्थान के निदेशक डॉ देवनारायण यादव ने कहा कि हिन्दू धर्मशास्त्रों मे कहीं भी जाति आधार पर अस्पृश्यता की बात नहीं कही गयी है। उन्होंने प्राचीन धर्म शास्त्रियों की चर्चा करते हुए कहा कि उनकी भावनाओं को समाज मे बताने की जरूरत है। मुख्य वक्ताओं मे पूर्व कुलपति डॉ. उपेन्द्र झा, कुलसचिव डॉ. सुरेश्वर झा, डॉ. वाचस्पति शर्मा त्रिपाठी, डॉ. दिलीप झा,डॉ. अशोक आजाद, डॉ. श्रीपति त्रिपाठी और कालेज के प्रधानाचार्य डॉ दिनेश्वर यादव शामिल थे। 

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