नयी दिल्ली 03 जुलाई, टिकट रद्द कराने का शुल्क कम करने तथा उड़ान में देरी होने पर जुर्माना बढ़ाने संबंधी नियमों को इस सप्ताह के अंत तक अंतिम रूप दे दिया जायेगा। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने सिविल एविएशन रेगुलेशन (सीएआर) में इन संशोधनों का प्रारूप गत 11 जून को जारी किया गया था। इस पर 27 जून तक आम लोगों तथा अन्य संबद्ध पक्षों से सुझाव एवं टिप्पणियाँ आमंत्रित की गई थीं। नागर विमानन महानिदेशक एम. सत्यवती ने यूनीवार्ता को बताया कि अंतिम तिथि तक 20 टिप्पणियाँ आई हैं। उन्होंने कहा कि इस सप्ताह के अंत तक नियमों को अंतिम रूप दे दिया जायेगा। डीजीसीए ने 11 जून को तीन संशोधनों का प्रस्ताव किया था। एक टिकट रद्द कराने की स्थिति में कैंसिलेशन शुल्क के बारे में था। इसमें कहा गया था कि किसी भी स्थिति में कैंसिलेशन शुल्क मूल किराये से अधिक नहीं हो सकता। दूसरा यात्रियों को टिकट देने के बावजूद बोर्डिंग से मना करने, उड़ान रद्द होने या इसमें देरी होने से संबंधित था। इसमें अधिकतम हर्जाना बढ़ाकर 20 हजार रुपये करने की बात थी। तीसरा संशोधन हवाई अड्डों पर तथा विमान के भीतर विकलांग यात्रियों को अनुकूल सुविधाएँ प्रदान करने से था। डीजीसीए का कहना है कि प्रारूप तैयार करने से पहले सभी घरेलू विमान सेवा कंपनियों को विश्वास में लिया जा चुका है इसलिए, उनकी तरफ से कोई विशेष आपत्ति नहीं होनी चाहिये।
प्रस्तावित नियमों के अनुसार, टिकट रद्द कराने या यात्री के नहीं आने की स्थिति में किराये में शामिल सभी प्रकार के कर तथा यूजर डेवलपमेंट फी/हवाई अड्डा विकास शुल्क/यात्री सेवा शुल्क वापस किये जायेंगे। इन परिस्थितियों में कंपनियाँ मूल किराये से अधिक वसूल नहीं कर सकेंगी। हालाँकि, विदेशी एयरलाइंसों के मामले में उनके देश के कानून उन पर लागू होंगे।
इसके अलावा घरेलू यात्रा के लिए बुक कराई गई टिकटों का रिफंड 15 दिन के भीतर तथा अंतरराष्ट्रीय यात्रा की टिकटों का रिफंड 30 दिन के भीतर देना अनिवार्य करने का भी प्रस्ताव है। फिलहाल, ट्रैवल एजेंटों या पोर्टलों के माध्यम से टिकट बुक कराने पर यात्री रिफंड के लिए ट्रैवल एजेंटों पर निर्भर करते हैं। लेकिन, अब इसके लिए सीधे एयरलाइंस को जिम्मेदारी बनाया जायेगा क्योंकि ये एजेंट उनके द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि हैं।
यदि एयरलाइंस क्षमता से अधिक बुकिंग करती हैं और बाद में यात्री को यात्रा की अनुमति नहीं देती है या उड़ान में देरी होती है तो इसके लिए दी जाने वाली क्षतिपूर्ति को मूल किराये तथा ईंधन शुल्क पर आधारित कर दिया गया है। उड़ान के तय समय से एक घंटे के अंदर उड़ान भरने वाले दूसरे विमान में सीट देने की स्थिति में यात्री को कोई हर्जाना नहीं मिलेगा।
एक घंटे के बाद और 24 घंटे के भीतर उड़ान भरने वाले विमान में सीट उपलब्ध कराने पर एयरलाइंस मूल किराये का 200 प्रतिशत और ईंधन शुल्क के योग के बराबर हर्जाना भी देगी लेकिन, यह हर्जाना 10 हजार रुपये से अधिक नहीं होगा। चौबीस घंटे के बाद उड़ान भरने वाले विमान में सीट देने पर मूल किराये का 400 प्रतिशत तथा ईंधन शुल्क के योग के बराबर हर्जाना दिया जायेगा। हालाँकि, यह 20 हजार रुपये से अधिक नहीं होगा।
उड़ान रद्द होने की स्थिति में कम से कम दो सप्ताह पहले यात्रियों को सूचना देने और उनकी सुविधा के अनुसार किसी भी दिन दूसरी उड़ान में उन्हें सीट देने की स्थिति में कोई हर्जाना नहीं देना होगा। यदि एयरलाइंस दो सप्ताह से कम लेकिन, न्यूनतम 24 घंटे पहले यात्री को सूचना देती है और रद्द उड़ान के समय के दो घंटे के भीतर किसी दूसरी उड़ान में सीट देती है तो उस स्थिति में भी हर्जाना देय नहीं होगा। इनके अलावा अन्य सभी परिस्थितियों में उड़ान रद्द होने पर मूल किराया और ईंधन शुल्क का योग जुर्माने के रूप में देना होगा। हालाँकि, एक घंटे की उड़ान के लिए अधिकतम क्षतिपूर्ति पाँच हजार रुपये, दो घंटे की उड़ान के लिए 7,500 रुपये तथा दो घंटे से अधिक की उड़ान के लिए 10 हजार रुपये तय करने का प्रस्ताव है।

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