नयी दिल्ली. 01 जुलाई, बचपन में भटक कर पाकिस्तान पहुँची गीता को स्वदेश लाने के करीब नौ माह बाद भी उसके माँ-बाप की तलाश कामयाब नहीं रही और अब गीता भारतीय रेल की मेहमान बनकर बिहार और झारखंड में नगर -नगर घूमेगी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने आज यहां नियमित ब्रीफिंग में बताया कि गीता इंदौर में मूक बधिर संस्थान में बहुत खुशी से रह रही है। उसने पिछले दिनों उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ में स्नान किया और अखिल भारतीय मूक बधिर महोत्सव में भाग लिया। यहीं नहीं इस महोत्सव में उसने भरतनाट्यम नृत्य प्रतियोगिता में भाग लिया और नाटकाें में अभिनय किया। वह सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण ले रही है।
श्री स्वरूप ने बताया कि जहां तक गीता के माता-पिता की तलाश का सवाल है तो विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने व्यक्तिगत रूप से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अनुरोध करके राज्य के हर थाने पर गीता की तस्वीर भिजवायी है। अभी तक उसके माता-पिता का पता नहीं चला है। उसके बाद विदेश मंत्री ने रेल मंत्री सुरेश प्रभु से बात की है और गीता को रेल के माध्यम से बिहार और झारखंड के हर शहर में ले जाने की बात तय की है क्योंकि गीता ने संकेतों के माध्यम से बताया है कि उसका घर रेलवे स्टेशन के पास था और उसे अपना घर खूब याद है। प्रवक्ता ने कहा कि उम्मीद है कि गीता को रेलवे की मेहमान बनकर अपने माँ बाप की तलाश का मौका मिल सकेगा। उल्लेखनीय है कि बॉलीवुड फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ की सफलता के बाद पाकिस्तान में गीता की कहानी सामने आयी थी कि एक आठ-नौ साल की लड़की भटक कर पाकिस्तान पहुँच गयी थी और मशहूर धर्मार्थ संगठन ईदी फाउण्डेशन ने उसे पनाह दी और वह हिन्दू रीति रिवाजों का पालन करते हुए वहां कई साल पली बढ़ी। बाद में भारत सरकार खासतौर पर श्रीमती स्वराज की पहल पर उसे पिछले साल भारत लाया गया। माता-पिता की तलाश पूरी नहीं हो पायी। वह इस समय इंदौर में रह रही है।

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