पूंजीपतियों के लिए मोदी सरकार श्रम कानूनों में संशोधन कर रही है : नीतीश - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

पूंजीपतियों के लिए मोदी सरकार श्रम कानूनों में संशोधन कर रही है : नीतीश

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पटना 01 जुलाई, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज आरोप लगाया कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार घरेलू और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के प्रभाव में आकर श्रम कानूनों में संसोधन कर रही है। जनता दल यूनाईटेड :जदयू: के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कुमार ने यहां बयान जारी कर कहा कि सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार विभिन्न श्रम कानूनों में संशोधन कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि विभिन्न श्रम कानूनों में श्रम हितकारी प्रावधानों जिन्हें कामगारों ने लम्बे संधर्ष के बाद प्राप्त किया था, उसमें अब एकतरफा संशोधन होने शुरू हो गये हैं जबकि भारत अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन :आईएलओ: का संस्थापक सदस्य है, उसके ही प्रस्ताव 144 में व्यवस्था है कि श्रम कानूनों में संशोधन त्रिपक्षीय चर्चा से सहमति बना कर किया जाएगा। श्री कुमार ने कहा कि भारत का अपना त्रिपक्षीय तंत्र भारतीय श्रम सम्मेलन 1942 से कार्यरत है । बावजूद इसके मोदी सरकार ने घरेलु और बहुराष्ट्रीय पूंजीपतियों के दबाव में सभी प्रमुख श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी संशोधन प्रारम्भ कर दिया है । 44 केन्द्रीय श्रम कानूनों को 4-5 श्रम संहिताओं में परिवर्तित करने की एकतरफा घोषणा भी की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि भारतीय श्रम सम्मेलन में यह सहमति होने के बावजूद कि लघु उद्योगों के लिए अलग से कोई कानून बनाने की आवश्यकता नहीं है, सरकार ‘लघु कारखाना विधेयक‘ लेकर आई है जो 40 से कम श्रमिक वाले प्रतिष्ठानों पर लागू होगा तथा उन प्रतिष्ठानों में 14 प्रमुख श्रम कानून लागू नहीं होने अर्थात नियोजकों को मनमानी करने का पूरा अवसर दिये जाने की कोशिश की गई है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि इसी तरह से ‘मॉडल शाप एण्ड इस्टेवलिशमेंट विधेयक‘ लागू कर व्यापारियों के हितों की रक्षा का प्रयास किया गया है। इन नये कानूनों, संशोधनों तथा श्रम संहिताओं के लागू हो जाने पर देश के 48 करोड़ श्रमिकों में से 60 प्रतिशत से अधिक श्रमिक बंधुआ मजदूर की दशा में जीने को बाध्य हो जाएंगे जिन्हें श्रम अधिकार प्राप्त नहीं होगा । वे अब यूनियन बनाने, कार्य के घंटे निर्धारित करने आदि की स्थिति में भी नहीं होंगे। 

श्री कुमार ने कहा कि सरकार ‘निश्चित अवधि रोजगार‘ प्रारम्भ कर अनौपचारिक श्रम शक्ति को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। निर्धारित अवधि अथवा कार्य समाप्त हो जाने की दशा में कामगर को किसी तरह की क्षति-पूर्ति अथवा सामाजिक सुरक्षा दिये बगैर ही उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि औद्योगिक विवाद अधिनियम में संशोधन के बाद 300 कर्मचारी नियोजित करने वाले नियोजक को अब बिना सरकार की अनुमति के ही कारखाने में छटनी तथा कारखाने बंदी की आजादी प्राप्त हो गई है। वर्तमान में यह संख्या 100 है।जदयू अध्यक्ष ने कहा कि इसी तरह से 50 ठेका श्रमिक नियोजित करने वाले ठेकेदार पर ठेका कामगार कानून 1970 लागू नहीं होगा। वर्तमान में यह संख्या 20 है। उन्होंने कह कि महिलाओं को सांय काल 7 बजे से प्रातः 6 बजे तक रात्रिपाली में काम पर बुलाया जाना निषेध था लेकिन अब उन्हें रात्रिपाली में भी काम पर बुलाया जा सकता है। श्री कुमार ने कहा कि तीन माह में अधिकतम ओवर टाईम 50 घंटे को बढ़ाकर 125 घंटे तक कर दिया गया है जिससे कर्मचारियों पर अतिरिक्त दबाव भी पड़ेगा । उन्होंने कहा कि श्रमिक संगठनों ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए 9 अगस्त को पूरे देश की प्रांतीय राजधानियों में धरना प्रदर्शन, रैली आदि तथा समस्या का समाधान न हो पाने की स्थिति में 2 सितम्बर को आम हड़ताल का आह्वान किया है। जदयू अध्यक्ष ने उनकी पार्टी सरकार की तमाम श्रमिक विरोधी नीतियों की कड़े शब्दों में निंदा करती है। पार्टी देश के श्रमजीवी वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है तथा उनके आंदोलनों का समर्थन करती है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से जनसाधारण से जुड़ी तमाम समस्याओं पर शुरू किये जा रहे संघर्ष के समर्थन में एकजुट होने का अनुरोध किया । 

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