पटना 13 जुलाई, बिहार में रोहतास जिले के सासाराम व्यवहार न्यायालय परिसर के समीप आज बम धमाके से हुई मौत ने राज्य की अदालतों की सुरक्षा पर एक बार फिर सवालिया निशान लगा दिया है । सासाराम व्यवहार न्यायालय परिसर इलाके में इस वर्ष बम विस्फोट की यह दूसरी घटना है । इससे पहले 11 मार्च को भी इस अदालत परिसर के समीप बम विस्फोट में एक अधिवक्ता का लिपिक घायल हो गया था। वहीं सारण जिला मुख्यालय छपरा व्यवहार अदालत परिसर में 18 अप्रैल को ही खुशबू कुमारी नामक महिला ने एक मामले में शिकायतकर्ता को निशाना बनाने के इरादे से बम लेकर आयी थी जो अचानक विस्फोट कर गया। इस दुर्घटना में महिला समेत कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गये थे। वर्ष की शुरूआत में ही 23 जनवरी को आरा अदालत परिसर में धमाका हुआ था। इस घटना के बाद 11 मार्च को सासाराम व्यवहार न्यायालय और फिर 11 अप्रैल 2016 को मुजफ्फरपुर न्यायालय परिसर में एक आरोपित की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी। ऐसे कई मामले हो चुके हैं, जिनसे साबित हो रहा है कि न्यायालय परिसर सुरक्षित नहीं हैं।
इस बीच पटना उच्च न्यायालय ने आरा, मुजफ्फरपुर और छपरा अदालत परिसर में धमाकों की घटना को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए कड़ी टिप्पणी कर राज्य सरकार से यहां तक पूछा था कि कब तक ऐसे ही चलता रहेगा । दूसरी तरफ ऐसे घटनाओं के बाद न्यायालय की सुरक्षा बढ़ाने की बातें तो की जाती है लेकिन कहीं कुछ हो नहीं पा रहा है। ऐसे में फिर बड़ी घटना न होगी इसकी कोई गारंटी नहीं है। पिछली घटनाओं के बाद सभी न्यायालय परिसर में मेटल डिटेक्टर लगाना अनिवार्य किया गया । वहीं कार, मोटर , मोटर साइकिल एवं साइकिल की पार्किंग पर रोक लगायी गयी है। वाहनों की पार्किंग न्यायालय परिसर से दूर करनी है। न्यायालय परिसर के अन्दर एवं बाहर सीसीटीवी कैमरे को आवश्यक किया गया है। न्यायालय के मुख्य द्वार पर हैंड मेटल डिटेक्टर से जांच के बाद ही किसी को प्रवेश देना है। परिसर में जिनके मुकदमें की सुनवाई या फिर गवाही न हो उन्हें जाने पर रोक लगाना है। नियमों का अनुपालन सही ढ़ंग से नहीं हो पाने के कारण संभवत: ऐसी घटनाऐं हो रही है।

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