सिदो-कान्हु के वंशज को सौंपे नियुक्ति पत्र और आवास - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

सिदो-कान्हु के वंशज को सौंपे नियुक्ति पत्र और आवास

siddho-kahno-faimily-get-job-home
साहेबगंज, 30 जून, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने साहेबगंज जिले के भोगनाडीह में आज संथाल क्रांति दिवस की 161वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में संताल हूल के महानायक सिदो-कान्हु के वंशजों को आवास और नियुक्ति पत्र सौंपे। श्री दास ने समारोह में लगभग 108 करोड रुपये की योजनाओं का शिलान्यास एवं उद्घाटन भी किया । उन्होंने दावा किया कि चाईबासा के सरंडा के जंगलों से साहेबगंज के गंगा के कछार तक विकास की आंधी चल रही है और अब इसे कोई रोक नहीं सकता। उन्होंने कहा कि संथाल परगना के पिछड़ेपन को दूर करना ही संथाल हुल के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मुख्यमंत्री ने हुल के अमर शहीद सिदो कान्हु के वंशजों से मिलकर उन्हें सम्मानित किया तथा 11 वंशजों के लिए बनाये गये नये आवासों को उन्हें सौंपा। उन्होंने कहा कि संथाल हूल के वीर सपूतों सिदो,कान्हु,चान्द,भैरव,फुलो और झानो के प्रति पूरा राज्य हमेशा कृतज्ञ रहेगा। उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में चालू वित्त वर्ष के अंत तक सिंचाई सुविधा के लिए चार लाख कुआें और पचास हजार तालाब का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जल जंगल और जमीन हमारी पहचान है इसलिए इस वर्ष तीन करोड वृक्ष लगाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि मुखिया हो या मुख्यमंत्री किसी की एकाधिकार नहीं चलेगा। उन्होंने दोहराया कि सभी जनता के सेवक हैं और कोई भी व्यवस्था से ऊपर नहीं है। 

श्री दास ने कहा कि साहेबगंज झारखण्ड का सबसे स्मार्ट शहर होगा। बंदरगाह हो या अन्य आधारभूत संरचना हो साहेबगंज का विकास एक आधुनिक एवं डिजिटल शहर के रूप में किया जायेगा। साहेबगंज और राजमहल का ऐतिहासिक गौरव फिर से लौटेगा। मुख्यमंत्री ने राज्य में इस वर्ष एक लाख सोलह हजार पदों पर नियुक्ति करने की घोषणा करते हुए कहा कि 17000 शिक्षकों की बहाली हो चुकी है। इस वर्ष और 18000 शिक्षकों की बहाली होगी। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता परीक्षा में जनजातीय भाषा का पर्चा जोड़कर एक सुनहरा अवसर प्रदान किया गया है। स्थानीयता की नीति का विरोध करने वालों को आड़े हाथों लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसे स्पष्ट किया गया है तथा इससे स्थानीय लोगों एवं जनजातीय युवकों को जिला स्तर पर बहाली में हक प्रदान किया गया है। स्थानीयता अलग है एवं आरक्षण अलग है। जनजातीय हितों का कोई नुकसान इससे नहीं होगा बल्कि उन्हें पहले की तुलना में व्यापक अवसर मिलेगे। गांवों की गरीबी दूर करना हमारी प्राथमिकता है। श्री दास ने कहा,“गावों की गरीबी दूर करने के लिए अब तक केवल नारे लगाये जा रहे थे जबकि हमने ठोस पहल की है। मेरा मानना है कि शिक्षा के प्रसार से, नशा मुक्ति से तथा कर्ज से दूर रहकर हम गांव वाले अपना विकास कर सकेंगे और हमारी गरीबी दूर हो सकेगी। नशा मुक्ति कानून से नहीं जन जागरण से मिलेगी। महाजनों से कर्ज की तुलना में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का लाभ उठाने की जरूरत है।” 

इससे पहले मुख्यमंत्री ने प्रातः शिवगादी में पूजा अर्चना कर झारखण्ड के विकास के मंगल कामना की। इसके साथ ही पंचकठिया शहीद स्मारक में और भोगनाडीह में सिदो कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अमर शहीद सिदो कान्हु को श्रद्धांजलि अर्पित की। हुल दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने संथाल परगना के विभिन्न जिलों के ग्राम प्रधानों को शाॅल देकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री द्वारा अमर शहीद सिदो कान्हू के वंशजों रूपचांद मुर्मू, भागवत मुर्मू, रसका मुर्मू, रामेशल मुर्मू, सुमी टुडू, चूण्डा मुर्मू, बड़ा मंडल मुर्मू, बड़का मुर्मू, लीला मुर्मू, छोटा भादो मूर्मू एवं राम मुर्मूको आवास दिये गये। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न विभागों में नियुक्त लोगों के बीच नियुक्ति पत्रों का भी वितरण किया। उन्होंने नवनियुक्त ग्राम प्रधानों के बीच प्रधानी पट्टे का वितरण किया । हुल दिवस के अवसर पर श्री दास ने कुल तेरह ग्रामीणों को वनाधिकार पट्टे वितरित किये जिनके नाम हैं - चमरू मालतो, मोंगला पहाड़िया, बेंजामिन पहाड़िया, मानसिंह हांसदा, छोटा मरांग हांसदा, नोहा किस्कू, संझला किस्कू, चूण्डा मुर्मू, दुर्गा मुर्मू, रूपाय टूडू, पटवारी हांसदा, प्रागना हांसदा एवं जेठा किस्कू। 

कोई टिप्पणी नहीं: