सरकार दबा रही है दूरसंचार कंपनियों का 45 हजार करोड़ का घोटाला: कांग्रेस - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 7 जुलाई 2016

सरकार दबा रही है दूरसंचार कंपनियों का 45 हजार करोड़ का घोटाला: कांग्रेस

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नयी दिल्ली, 07 जुलाई, कांग्रेस ने मोदी सरकार पर पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि वह एयरटेल और वोडाफोन सहित छह दूरसंचार कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए उनके 45 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले पर पर्दा डालने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीपसिंह सुरजेवाला ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(कैग) की 11 मार्च 2016 की रिपोर्ट के अनुसार देश की छह प्रमुख दूरसंचार कंपनियों ने अपनी आय कम बतायी है जिसके सरकारी खजाने को साढ़े चार हजार रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। इन छह कंपनियों में भारती एयरटेल, वोडाफोन, रिलायंस, टाटा, आइडिया और एयरसेल शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद कैग ने इन कंपनियों के खातों का ऑडिट किया था। इससे पहले ये सभी कंपनियां इस तर्क के साथ न्यायालय गयी थीं कि निजी कंपनियां होने के कारण उनके खातों की जांच कैग नहीं कर सकता लेकिन न्यायालय ने कहा कि यह लाइसेंस और स्पेक्ट्रम शुल्क से जुड़ा मामला है और यह पैसा सरकारी खजाने में जाता है इसलिए कैग इसकी जांच कर सकता है। यह घोटाला 2006 से 2009 के बीच का है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि इस आय को छिपाने के लिए इन दूरसंचार कंपनियों से बकाया राशि की वसूली की जानी चाहिए थी और उन पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए था लेकिन मोदी सरकार ने ऐसा नहीं किया और उल्टा उन्हें फायदा पहुंचाने और उनका बचाव करने में जुटी है। उन्होंने कहा कि कैग की रिपोर्ट के अनुसार इन कंपनियों ने 2006-07 से 2009-10 तक अपनी आय वास्तविक आय से 46,045 हजार करोड़ रुपये कम बतायी है और उसने इन कंपनियों से 12488 करोड़ 93 लाख रुपये लाइसेंस, स्पेक्ट्रम और दूसरे शुल्क के रूप में वसूलने को कहा था। उन्होंने आरोप लगाया कि कैग की रिपोर्ट पर तत्काल कदम उठाने की बजाय सरकार ने दोबारा एक सीए से इन आंकड़ों का मूल्यांकन करवाने का फैसला लिया। कैग की जांच के काम को एक चाटर्ड अकाउंटेंट को सौंपने को उन्होंने कैग की भूमिका पर सरकार की तरफ से सवाल उठाना करार दिया और कहा कि सरकार के इस कदम ने स्पष्ट कर दिया है कि मोदी सरकार पूंजीपतियों को बचाना चाहती है और उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए काम करती है। उन्होंने कहा कि सरकार को इन कंपनियों से बकाया राशि की वसूली के लिए कड़े कदम उठाने थे और उन पर इसकी एवज में जुर्माना भी लगाना चाहिए था लेकिन सरकार कंपनियों के हित में काम कर रही है इसलिए वह जानबूझ मामले को टालना चाहती है या फिर पूरी तरह से इसे खत्म कर देना चाहती है।

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