समस्तीपुर में अनशनकारी पिंकी की मौत नीतीश सरकार की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा: माले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 2 जुलाई 2016

समस्तीपुर में अनशनकारी पिंकी की मौत नीतीश सरकार की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा: माले

  • समस्तीपुर में निकाला गया प्रतिरोध मार्च, दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग केआरपी को स्थायी करे सरकार.

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पटना 2 जुलाई 2016, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने समस्तीपुर में सर्वशिक्षा अभियान में फैले भ्रष्टाचार-मनमानी के खिलाफ अपने बकाये भत्ते के भुगतान व अन्य मांगों को लेकर अनशन पर बैठीं मुख्य साधन सेवियों (केआरपी) में पिंकी कुमारी की मौत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा है कि यह नीतीश सरकार की संवेदनहीनता की पराकष्ठा है. घटना की जानकारी मिलते ही माले का एक प्रतिनिधिमंडल ने पीड़िता के परिजनों से मुलाकात की और घटना का जायजा लिया. इस घटना के लिए स्थानीय प्रशासन ने जिस तरह की संवेदनहीनता, कर्मियों की मांगों के प्रति उपेक्षा का रवैया अपनाया, वह पूरी तरह आपराधिक प्रवृत्ति का है. इसलिए भाकपा-माले ने इस घटना के लिए दोषी अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है. उसने मांग की है कि योजना से संबंधित डीपीओ, पीओ और डीईओ को गिरफ्तार कर अविलंब जेल भेजा जाना चाहिए और मृतक परिजन को सरकारी नौकरी व तत्काल उचित मुआवजा प्रदान किया जाना चाहिए.

माले राज्य सचिव ने यह भी कहा कि आज बिहार में अधिकांश कार्य ठेका-मानदेय पर चल रहा है. जहां कर्मियों को न्यूनतम मानदेय भी नहीं मिल रहा है. इस घटना से बेहद स्पष्ट हो गया है कि ठेका-मानदेय की नीति आम लोगों के हित में बिलकुल नहीं है. लेकिन केंद्र की सरकार हो या फिर बिहार की नीतीश सरकार, दोनों इन्हीं नीतियों पर चल रही है. जहां कर्मियों की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है. वे पूरी तरह असुरक्षित हैं. यह सरासर अन्याय है. इसलिए हम एक बार फिर से इस मांग को दुहराते हैं कि सरकार ठेका-मानदेय की नीति से बाज आए और तमाम पदों पर कर्मियों की स्थायी बहाली की जाए और उन्हें पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा दी जाए.

उन्होंने आगे कहा कि आज नीतीश कुमार का एकतरफा काम रह गया है, शराबबंदी को लेकर राजनीति करना. लेकिन ये वही नीतीश कुमार हैं, जिन्होंने पहले गांव-गांव में शराब की दुकानें खुलवायीं. जबरदस्त आंदोलनों के दबाव में ही उन्हें शराबबंदी करनी पड़ी. लेकिन अब इसके प्रचार भर से बिहार की समस्याओं का हल नहीं हो जाएगा. उन्होंने मांग की कि कोरी लफ्फाजी करने की बजाए बिहार सरकार को राज्य की मौजूद ज्वलंत सवालों पर ध्यान देना चाहिए. राज्य में महिलाओं पर हिंसा की घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, पूर्वी चंपारण के सामूहिक बलात्कार कांड ने तो दिल्ली गैंग रेप की याद दिला दी. प्रशासन की भूमिका बेहद नकारात्मक रही है. मानसून के आसार अच्छे नहीं लग रहे. किसानों में एक बार फिर से चिंता है। सरकार के लिए ये सब कोई विषय ही नहीं है.

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