बिहार सरकार आखिर मानी, राज्य में लागू होगी फसल बीमा योजना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 11 अगस्त 2016

बिहार सरकार आखिर मानी, राज्य में लागू होगी फसल बीमा योजना

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पटना 10 अगस्त, बिहार सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर एक बार फिर ..यू टर्न.. लेते हुए इसे राज्य में छह महीने के लिए प्रयोग के तौर पर खरीफ मौसम में लागू करने का फैसला लिया है। राज्य के सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा करते हुए बताया कि सरकार ने प्रयोग के तौर पर छह महीने के लिए खरीफ मौसम में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को राज्य में लागू करने का निर्णय लिया है । उन्होंने कहा कि इस प्रयोग के नतीजे को देखने के बाद इसे आगे लागू किये जाने के संबंध में फैसला लिया जायेगा । गौरतलब है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर केन्द्र और राज्य सरकार के बीच पिछले कई दिनों से मतभेद चल रहा था । बिहार में इस योजना को लागू करने में आ रही परेशानी को दूर करने के लिए दिल्ली में केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह और राज्य के सहकारिता मंत्री आलोक मेहता के साथ दोनों सरकारों के अधिकारियों की बैठक बेनतीजा समाप्त होने के बाद कल ही केन्द्रीय मंत्री श्री सिंह ने श्री मेहता को पत्र लिख कर कहा था कि वे ही तय करें कि किसकी नीयत कैसी है । यह तो तय है कि राज्य में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू नहीं होने से किसानों को नुकसान होगा । इस योजना में किसानों को क्षतिपूर्ति राशि जल्द और अधिक दिलाने की व्यवस्था है । 


श्री मेहता ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों का हित कम और बैंक एवं बीमा कंपनी का हित ज्यादा सधता दिख रहा है । इसके विरूद्ध राज्य सरकार ने हर स्तर पर आवाज बुलंद की लेकिन केन्द्र सरकार ने अपनी नीति में कोई परिवर्तन नहीं किया । इसलिए राज्य सरकार ने प्रदेश के किसानों के हित में तत्काल खरीफ फसल के लिए प्रयोग के तौर पर इस योजना को लागू करने का निर्णय लिया है । सहकारिता मंत्री ने कहा कि पूर्व में लागू राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना में किसानों के लिए प्रीमियम दर निर्धारित था । धान के लिए 2.5 प्रतिशत और गेहूं के लिए 1.5 प्रतिशत था ,जो काफी कम था । वहीं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में एक ही बीमा कंपनी का अलग-अलग जिले में प्रीमियम दर भिन्न है । बिहार के बक्सर में जहां प्रीमियम दर 16 प्रतिशत है वहीं पड़ोस के उत्तर प्रदेश के बलिया में मात्र चार प्रतिशत है । श्री मेहता ने कहा कि बिहार में जहां लगभग 15 प्रतिशत प्रीमियम देना होगा वहीं पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश को चार प्रतिशत ही देना पड़ेगा, जबकि बिहार में फसलों की क्षति की आशंका अन्य राज्यों की अपेक्षा कम है. क्योंकि यहां किसानों को फसल बचाने के लिए डीजल सब्सिडी दी जाती है. यह सुविधा अन्य राज्यों में किसानों को नहीं मिलती है । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में प्रीमियम दर भारत सरकार द्वारा प्राधिकृत निजी एवं सरकारी क्षेत्र की 16 बीमा कंपनियों के बीच निविदा के आधार पर निर्धारित होना है । बीमा कंपनियों को प्रीमियम का दर निविदा में देने के लिए कोई अधिकतम सीमा नहीं निर्धारित की गयी है । 


सहकारिता मंत्री ने कहा कि अब तक का अनुभव रहा है कि बिहार में फसलों की अधिकतम क्षति 685 करोड़ रुपये की हुई है । अब बीमा कंपनियों को बिहार से 1500 करोड़ रुपये देना होगा, इसका साफ अर्थ है कि क्षति से अधिक बीमा कंपनियों को प्रीमियम में देना होगा । उन्होंने कहा कि इस फसल बीमा योजना में किसानों को कम और बीमा कंपनियों को अधिक लाभ मिलने वाला है । श्री मेहता ने कहा कि बिहार सरकार अपने पूर्व की बातों पर अभी भी कायम है । बीमा योजना के तरीके पर बिहार का विरोध जारी रहेगा । उनकी सरकार ने सिर्फ सहकारी संघवाद के कारण इस योजना को बिहार में लागू करने का निर्णय लिया है । उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की पैनी नजरों में यह योजना लागू होगी । राज्य सरकार देखेगी कि इस बीमा योजना से कितने किसानों को लाभ मिलता है और इसके लिए कितना प्रीमियम देना पड़ा है । सहकारिता मंत्री ने केन्द्र सरकार से इस योजना में केन्द्रांश बढ़ाने और गैर ऋणी किसानों को बीमा कराने के लिए समय बढ़ाने की मांग करते हुए कहा कि बिहार में प्रधानमंत्री फसल बीमा के लिए केंद्र सरकार ने अंतिम तिथि 15 अगस्त तय की है । उन्होंने कहा कि राज्य में कुल 1.62 करोड़ किसान हैं । इसमें से मात्र किसान क्रडिट कार्ड :केसीसी: वाले 16 लाख ऋणी किसानों को ही बीमा का लाभ मिलेगा । पिछले साल मात्र 65 हजार गैर ऋणी किसानों ने ही फसल बीमा कराया था । 

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