पटना, 16 अगस्त। 17 अगस्त, 2016 को महंगाई और नौ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एफडीआई के लिए मनमानी छूट के खिलाफ तथा बाढ़ एवं सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों को राहत की मांग को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बिहार सहित संपूर्ण भारत में जिला मुख्यालयों एवं प्रखंड मुख्यालय में प्रदर्षन और धरना आयोजित करेंगी। आज यहां जारी बयान में पार्टी के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने यह जानकारी दी और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कथनी और करनी का फर्क देष का हर व्यक्ति अब महसूस करने लगा है। जिन वादों पर सवार होकर भाजपा केन्द्रीय सत्ता तक पहुँची, उन वादों पर कही भी अमल दिखायी नहीं पड़ता । पिछले लोकसभा चुनाव में यू.पी.ए. सरकार की हार और भाजपा के नेतृत्व वाले एन.डी.ए. की जीत में महंगाई एक बड़ा मुद्दा था। मगर दो साल से भी अधिक मोदी शासन काल में महंगाई बेकाबू है। पिछले महीने की तुलना में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में 6.07 प्रतिषत की वृद्धि हुई। जुलाई में खाद्य मुद्रास्फीति 8.3 प्रतिषत, दालों में 27.5 प्रतिषत, चीनी एवं कन्फेक्षनरी में 21.9 प्रतिषत, सब्जियों में 14.6 प्रतिषत, अंडों में 9.3 प्रतिषत, कपड़ा एवं जूतों में 5.23 प्रतिषत की साल दर साल वृद्धि हुई। देष के लोग महंगाई, बेरोजगारी, छंटनी एवं ले आॅफ, स्वास्थ्य सेवा एवं गुणवत्तापूर्ण षिक्षा के अभाव, बढ़ती असमानताओं, आदि हर किस्म की बंचनाओं एवं मुसीबतों को झेल रहे हैं। कृषि गंभीर संकट का षिकार हैं।
राष्ट्रीय हितों की अनदेखी करते हुए मोदी सरकार विष्व बैंक, अन्तरराष्ट्रीय मुद्राकोष एवं विष्व व्यापार संगठन द्वारा थोपी गई नव उदारवादी आर्थिक नीतियों पर अमल करना जारी रखे हुए है। जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी अमरीका की अपनी यात्री से लौटे, तुरंत उन्होंने राष्ट्रीय हित को ताक पर रखकर नौ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एफ.डी.आई. के मानदंडों को ढील दे दी और भारत को विदेषी पूंजीपतियों के चारागाह के रूप में बदल दिया। रक्षा क्षेत्र में एफ.डी.आई. का शत प्रतिषत, 49 प्रतिषत आॅटोमिटि तरीके से और उससे ऊपर सरकारी अनुमति से खोल दिया गया। इसी प्रकार वत्र्तमान फार्मास्युटिकल कंपनियों में 74 प्रतिषत एफ.डी.आई. आटोमेटिक तरीके से और उससे ऊपर सरकारी अनुमोदन के साथ, नागरिक उड्डयन में 49 प्रतिषत एफ.डी.आई. आटोमेटिक और उससे ऊपर सरकारी अनुमोदन के साथ टेलीपोर्ट, डायरेक्ट टू होम, टीवी केवल नेटवर्क एवं मोबाइल टीवी में आटोमेटिक रास्ते से शत-प्रतिषत एफ.डी.आई., ईन्कामर्स समेत ट्रेडिंग, भारत में निर्मित या उत्पादित उत्पादनों के लिए शत प्रतिषत एफ.डी.आई., निजी सुरक्षा एजेन्सियों में आटोमेटिक रास्ते से 49 प्रतिषत और इससे ऊपर सरकारी अनुमोदन से एफ.डी.आई. को इजाज दे दी गई । प्रधानमंत्री कार्यालय का दावा है कि एफ.डी.आई. को इस तरह खोलने से रोजगार बढ़ेगा। मगर यह छलावा हैं। इससे न तो कोई परिसंपत्ति बनती है, न कोई नया कल-कारखाना अस्तित्व में आता है। महज पहले से मौजूद परिसंपत्ति , कल-कारखाना अस्तित्व में आता है। महज पहले से मौजूद परिसंपत्ति, कल-कारखाने पर विदेषी कंपनी का स्वामित्व होजाता है। इससे रोजगार कैसे बढ़ेगा। खाद्य क्षेत्र में शत-प्रतिषत एफ.डी.आई. का अर्थ है इस क्षेत्र में मल्टी ब्रांड, खुदरा कारोबार में विदेषी कंपनियों को इजाजत। वालमार्ट एवं अन्य विदेषी बहुराष्ट्रीय निगम भारत में खुदरा बाजार को पूरी तरह खोले जाने का लाविंग करती आ रही है। मोदी सरकार का फैसला उसी दिषा की ओर है। आंकड़ों से पता चलता है कि आर्थिक सुधारों और एफ.डी.आई. के तमाम शेरगुल और दावों के बावजूद मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र की वृद्धि दर सकल धरेलू उत्पादन की वृद्धि दर से काफी नीचे चल रही है।
मोदी सरकार के कामों को देखने से यही लगता है कि जनता की समस्याओं और परेषानियों को दूर करने में सरकार की कोई रूचि नहीं है। उसकी रूचि सिर्फ बड़े देषी-विदेषी पूंजीपतियों को खुष करने में ही है। एक ओर देष की जनता केन्द्र सरकार की जनविरोधी नीतियों से परेषान हैं तो दूसरी ओर प्राकृतिक आपदाओं से मार भी झेल रही है। बिहार सहित देष के कई हिस्सों में बाढ़ की तबाही है तो कई हिस्सों में सूखा पड़ा हैं। सरकार तुरंत प्राकृतिक आपदाओं के पीड़ितों को पर्याप्त राहत कार्य शुरू करें। देश के लिए आर्थिक समस्याओं के अतिरिक्त दूसरी भी समस्याएं है, जो चिन्ता का विषय है। मोदी सरकार और संघ परिवार के सभी संगठन ऐसे मुद्दों को उठाने और पैदा करने में सक्रिय होकर लगे हैं जो समाज को जाति और धार्मिक आधारों पर बांटते हैं और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करते हैं। राष्ट्रीय स्वयं संघ, भाजपा और संघ परिवार से जुड़े विभिन्न संगठन देष में माहौल विगाड़ने और झगड़ा-फसाद करने वाले आज सबसे बड़े संगठन है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जनता से अपील करती है कि केन्द्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के विरूद्ध संघर्ष करे और 17 अगस्त को जिला मुख्यालयों एवं प्रखंड मुख्यालयों में धरना एवं प्रदर्षन आयोजित करें।

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