छात्र आंदोलन और दलित आंदोलन की एकता ने शुरू कर दी है मोदी सरकार की उलटी गिनती : दीपंकर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 11 अगस्त 2016

छात्र आंदोलन और दलित आंदोलन की एकता ने शुरू कर दी है मोदी सरकार की उलटी गिनती : दीपंकर


  • आइसा के 12 वें राज्य सम्मेलन के अवसर पर ‘शिक्षा बचाओ-बिहार बचाओ’ कन्वेंशन का आयोजन.
  • माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य के अलावा प्रो. भारती एस कुमार, प्रो. विनय कंठ, प्रो. डेजी नारायण, प्रो. शरदेन्दु कुमार ने किया कन्वेंशन को संबोधित.

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पटना 11 अगस्त 2016, आइसा के 12 वें राज्य सम्मेलन के अवसर पर आज अंजुमन इस्लामिया हाॅल में आयोजित ‘शिक्षा बचाओ-बिहार बचाओ’ कन्वेंशन को संबोधित करते हुए भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि देशव्यापी छात्र आंदोलन और दलित आंदोलन की आज अभूतपूर्व एकता दिख रही है, यह एकता स्वागतयोग्य है. इस एकता ने मोदी सरकार की उलटी गिनती शुरू कर दी हैै और देश के हर कोने से आवाज उठ रही है. छात्र आंदोलनों के दबाव में यदि मोदी सरकार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय से स्मृति ईरानी को हटाना पड़ा तो दलित आंदेालन के दबाव में आनंदी पटेल को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से हटाया गया. कन्वेंशन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा जिस गुजरात माॅडल की दुहाइयां दिया करती थी, उसका सच पूरी दुनिया के सामने आ गया है. आबादी के लिहाज से गुजरात में दलितों की आबादी कम है और वह संधियों का सबसे मजबूत किला माना जाता रहा है. आज दलितों के जबरदस्त उभार ने उस गुजरात माॅडल की हवा निकाल दी है.


उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र हो या फिर बिहार की सरकार, उनकी नीतियांे में कोई फर्क नहीं है. केंद्र सरकार जो नई शिक्षा नीति ला रही है, वह पूरी तरह संविधान विरोधी है और इसका पूरा विरोध किया जाना चाहिए. बिहार में टाॅपर घोटाले ने बिहार में शिक्षा व्यवस्था की सड़ांध को सामने ला दिया है. घोटाले के न्यायिक जांच की मांग की गई, बिहार बंद तक किया गया लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं है. बिहार सरकार के पास शिक्षा सुधार के लिए कोई इच्छाशक्ति नहीं है. नए आयोग की जरूरत भी नहीं, सरकार के पास पहले से एक आयोग की रिपोर्ट है, लेकिन उसे लागू करने की बजाए मुचकुंद दूबे आयोग की रिपोर्ट आज रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया है. टाॅपर घोटाला के संबंध में नीतीश कुमार कहते हैं कि भगवान ने शिक्षा सुधार का मौका दिया है. लेकिन आज से 11 वर्ष पहले बिहार की जनता ने बिहार में विकास-सुशासन, भूमि सुधार व शिक्षा सुधार के लिए मौका दिया था, लेकिन क्या हुआ? भूमि सुधार और शिक्षा सुधार के बिना बिहार में बदलाव संभव नहीं है.

उन्होंने कहा कि बिहार सरकार दलित छात्रों पर हमला कर रही है, उनके अधिकारों पर हमला कर रही है. यह सामाजिक न्याय से विश्वासघात है. लोग समझते हैं कि डाॅ. अंबेडकर महज आरक्षण के लिए लड़ने वाले योद्धा थे, जबकि ऐसा नहीं था. डाॅ. अंबेडकर का मतलब है जाति व्यवस्था को खत्म करना. तो आज छात्र-युवाओं को भगत सिंह-अंबेडकर के रास्ते आगे बढ़ना होगा. संघ परिवार इस देश को पीछे ले जाना चाहती है, इसके खिलाफ चैतरफा लड़ाई की जरूरत है. कन्वेंशन को संबोधित करते हुए प्रो. भारती एस कुमार ने कहा कि शिक्षा-व्यवस्था में आमूल-चूल बदलाव की आवश्यकता है. आज प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों की हालत बेहद खराब है. जेएनयू जैसे कुछेक संस्थान बचे हुए थे, तो उस पर भी हमला किया जा रहा है. मोदी सरकार ने देश के युवाओं से वादा किया था, उससे सरकार पूरी तरह विश्वासघात कर रही है. बिहार में भी शिक्षा की लगातार दुर्गति हो रही है.

प्रो. विनय कंठ ने कहा कि आज आजादी के इतने सालों बाद भी शिक्षा की हालत दयनीय है, परीक्षाफल में गड़बड़ियां हो रही हैं, दलितों-शिक्षकों पर लाठीचार्ज हो रहा है, तो यह बहुत बड़ी विडंबना है. शिक्षा पर कारपोरेट सेक्टर का कब्जा हो गया है, लेकिन यह एक आशा का स्रोत है कि बिहार में इन कारपोरेट सेक्टर का कब्जा अभी उस स्तर का नहीं है और यह आंदोलन व संघर्ष की भी धरती रही है. इसलिए बिहार से ही कारपोरेटपरस्त शिक्षा नीति के खिलाफ जनपक्षीय शिक्षा नीति की लड़ाई की आवाज बुलंद करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि शिक्षा पर हमले पहले भी हो रहे थे, लेकिन भाजपा शासन में जो नई बात हो रही है, वह यह है कि लोकतंत्र और संविधान पर हमला किया जा रहा है. प्रो. डेजी नारायण ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को नौकरशाही से पूरी तरह मुक्त किये जाने की लड़ाई शुरू करनी होगी. आज जो केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति का प्रस्ताव कर रही है, वह पूरी तरह खतरनाक है. इसका जोरदार विरोध करना चाहिए. उनके अलावा कन्वेंशन को प्रो. शरदेन्दु कुमार, आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप सौरभ और इस्वा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमर आजाद ने संबोधित किया. जबकि कार्यक्रम का संचालन आइसा के राज्य सचिव अजीत कुशवाहा ने किया.


11 बजे भगत सिंह चैक से निकला मार्च 
इसके पूर्व 12 वें राज्य सम्मेलन के अवसर पर आए प्रतिनिधियों ने भगत सिंह चैक से जुलूस निकाला. सबसे पहले भगत सिंह की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया. मार्च अंजुमन इस्लामिया हाॅल में पहुंचा और वहां पर शहीदों केा श्रद्धांजलि दी गयी. शाम 5 बजे से प्रतिनिधि सत्र की शुरूआत हुई. माले के पोलित ब्यूरो सदस्य काॅ. धीरेन्द्र झा, एआइएसफ, एसएफआई, एआइडीएसओ के प्रतिनधियों ने भी संबोधित किया.

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