पटना 12 अगस्त, बिहार भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) ने आज कहा कि केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने अब जब विकास दर में फिसड्डी होने पर आईना दिखाया है तो राज्य सरकार अपनी नकामियों पर पर्दा डालने के लिए उसे ही आरोपित करते हुए फर्जी आंकड़ों के उत्पादन में लग गई है। भाजपा विधान मंडल दल के नेता एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यहां कहा कि केन्द्रीय करों में हिस्सेदारी के तौर पर बिहार को पहली बार वर्ष 2015-16 में 12 हजार करोड़ रूपये अतिरिक्त प्राप्त हुआ है। केन्द्र पर अनर्गल आरोप लगाने वाली राज्य सरकार को यह बताना चाहिए कि इसके पहले किसी एक वर्ष में 3-4 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा अतिरिक्त राशि मिली है।
श्री मोदी ने कहा कि इसी तरह सरकार को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि विभिन्न योजनाओं में केन्द्र सरकार से सहायक अनुदान के तौर पर राज्य को 19,565 करोड़ रुपये प्राप्त नहीं हुआ है जो राज्य के मूल बजट अनुमान का 107 प्रतिशत और वर्ष 2012-13 की तुलना में 9 हजार करोड़ रुपये ज्यादा है। वहीं, राज्य सरकार अपने स्रोत से 5 हजार करोड़ रुपये राजस्व संग्रह करने में फिसड्डी क्यों रह गई। पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि 11 मुख्यमंत्रियों की समिति की अनुशंसा पर देश के लिए नए फंडिंग पैटर्न के कारण यदि बिहार को राज्यांश में 3-4 हजार करोड़ रूपये ज्यादा भी खर्च करना पड़ रहा है फिर भी केन्द्रीय करों में हिस्सेदारी के तौर पर 8 हजार करोड़ रुपये ज्यादा मिला है। इसी तरह पिछले पांच वर्षों में केन्द्र से राज्य के नगर निकायों एवं पंचायतों को मात्र 5 हजार करोड़ रुपये मिले थे जबकि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने पिछले एक वर्ष में ही उससे आधी राशि करीब 2500 करोड़ रुपये दी है। श्री मोदी ने कहा कि वहीं, राज्य सरकार ने पंचायतों एवं नगर निकायों को 1000 करोड़ रुपये देने की पंचम राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा के बावजूद एक पैसा भी नहीं दे पाई है। राज्य सरकार को यह बताना चाहिए कि पिछले वर्ष अपने स्रोत से 30,875 करोड़ रुपये राजस्व संग्रह के प्रावधान के बावजूद मात्र 25,449 करोड़ ही संग्रह क्यों कर पाई। उन्होंने कहा कि इससे सरकार की वित्तीय प्रबंधन की विफलता उजागर हो रही है।

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