नयी दिल्ली 11 अगस्त, भारतीय जनता पार्टी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आज संयुक्त प्रतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का हिसाब किताब रखने के लिए बनाई गई कंपनी जीएसटीएन में अधिकांश हिस्सेदारी निजी कंपनियों को देने का आरोप लगाते हुये कहा कि इससे कर से जुड़ी संवेदनशील सूचनाओं के साझा होने का खतरा है। श्री स्वामी ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में संप्रग सरकार पर आरोप लगाया है कि पिछली सरकार ने जीएसटी का हिसाब किताब रखने के लिए बनाई गई कंपनी जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) में एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड जैसी निजी कंपनियों को अधिकांश हिस्सेदारी देने के फैसले से देश की संवेदनशील सूचनाएँ विदेशों में साझा होने की आशंका है।
उन्होंने कहा, “कंपनी अधिनियम की धारा 25 के तहत बनी जीएसटीएन में केंद्र एवं राज्यों की संयुक्त हिस्सेदारी महज 49 फीसदी है जबकि शेष अधिकांश हिस्सेदारी इन निजी कंपनियों को देकर संप्रग सरकार ने काफी चालाकी से काम लिया है। इन कंपनियों में अधिकांश शेयरधारिता विदेशी कंपनियों की है। श्री स्वामी ने कहा, “इस विधेयक पर गृहमंत्री ने उनसे कोई सलाह नहीं ली, ना ही एक निजी कंपनी को ये संवेदनशील काम सौंपने से पहले उनसे पूछा गया।” उन्होंने कहा कि कर मामलों से जुड़े इतने संवेदनशील डेटा किसी निजी कंपनी को सौंपना सही नहीं है। श्री स्वामी ने इससे पहले देश की संवेदनशील वित्तीय सूचनाएँ अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ साझा करने की आशंका जताते प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन और मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम को उनके पद से हटाने की माँग कर चुके हैं। गौरतलब है कि जीएसटीएन को केंद्र एवं राज्यों ने स्थापित किया है। यह कंपनी इसलिए बनाई गई है ताकि केंद्र और राज्य सरकारों, करदाताओं एवं अन्य भागीदारों को साझा सूचना प्रौद्योगिकी बुनियादी ढाँचा तथा सेवाएँ उपलब्ध कराई जा सके।

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