स्वदेशी क्रायोजेनिक प्रणोदक प्रौद्योगिकी की दिशा में सफल परीक्षण - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 27 जनवरी 2017

स्वदेशी क्रायोजेनिक प्रणोदक प्रौद्योगिकी की दिशा में सफल परीक्षण

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बेंगलुरु, 27 जनवरी, क्रायोजेनिक अपर स्टेज के प्रयोगशाला में सफल परीक्षण के साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने स्वदेशी क्रायोजेनिक प्रणोदक प्रौद्योगिकी युक्त जीएसएलवी एमके3 प्रक्षेपण यान के विकास की ओर एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ा दिया है। तमिलनाडु के महेंद्रगिरी स्थित इसरो प्रोपल्सन कॉम्प्लेक्स में बुधवार को क्रायोजेनिक स्टेज के सी25 का 50 सेंकेंड के लिए परीक्षण किया गया। इसरो ने बताया कि इस दौरान सभी मानकों पर परीक्षण सफल रहा तथा उसका प्रदर्शन उम्मीद के अनुरूप रहा। इस स्टेज का अगला परीक्षण 640 सेकेंड के लिए किया जायेगा। इसरो ने परीक्षण के बारे में कहा “स्वदेशी क्रायोजेनिक प्रणोदक प्रौद्योगिकी के विकास में 50 सेकेंड का यह परीक्षण एक मील का पत्थर है। पहले ही प्रयास में इस स्टेज का सफल हॉट टेस्ट क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी जैसे नये क्षेत्रों में काम करने की इसरो की क्षमता को दर्शाता है।” जीएसएलवी एमके3 प्रक्षेपण यान के विकास के लिए मंजूरी मिलने के साथ इसके लिए सी25 क्रायोजेनिक स्टेज विकसित करने की दिशा में काम शुरू हो गया था। जीएसएलवी एमके3 इसरो की अगली पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है जो चार टन तक के उपग्रहों को भूस्थैतिक स्थानांतरण कक्षा में स्थापित करने की क्षमता रखेगा। जीएसएलवी का मौजूदा उपयोग किया जाने वाला संस्करण अभी करीब सवा दो टन तक के उपग्रह को सफलता पूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित करने की क्षमता दर्शा चुका है। सी25 स्टेज का विकास इसरो के लिक्विड प्रोपल्सन सिस्टम सेेंटर ने किया है। इसमें इसरो के अन्य केंद्रों का भी सहयोग रहा। यह इसरो द्वारा अब तक विकसित सबसे शक्तिशाली अपर स्टेज है। इसमें शून्य से 253 डिग्री सेल्सियस कम तापमान पर तरल हाइड्रोजन और शून्य से 195 डिग्री सेल्सियस कम तापमान पर तरल ऑक्सीजन को मिलाया जाता है तथा ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इसरो ने बताया कि जीएसएलवी एमके3-डी1 मिशन की पहली उड़ान की तैयारी अब अग्रिम चरण में पहुँच चुकी है।




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