लखनऊ 26 जनवरी, उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित विधायक मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल(कौएद) का आज बहुजन समाज पार्टी(बसपा) में विलय हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कौएद का बसपा में विलय करते हुए मुख्तार अंसारी को मऊ सदर, उनके बेटे अब्बास अंसारी को घोसी और भाई सिगबत उल्ला अंसारी को विधानसभा की मोहम्मदाबाद सीट से उम्मीदवार बनाने की भी घोषणा कर दी। इनके साथ ही न्यायमूर्ति (अवकाश प्राप्त) सभाजीत यादव ने भी बसपा की सदस्यता ग्रहण की। बसपा अध्यक्ष मायावती ने अंसारी बंधुओं को बसपा में शामिल करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी(सपा) और भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) में अतीक अहमद, बृजभूषण शरण सिंह, राजा भैया, बृजेश सिंह, धनन्जय सिंह, उमाकान्त यादव, रमाकान्त यादव और डी पी यादव जैसे आपराधिक छवि के लोग हैं। उनकी तरह बसपा अंसारी बंधुओं को कुछ भी करने की छूट नहीं देगी। सुश्री मायावती ने कहा कि यदि कोई सुधरना चाहता है तो उसे मौका मिलना चाहिए। सुश्री मायावती ने कहा कि उनकी सरकार में किसी को मनमानी करने की छूट नहीं रहती। सरकार बनी तो आपराधिक गतिविधियां नहीं होने दी जायेंगी लेकिन यदि कोई सुधरना चाहता है तो उसे पूरा मौका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व विधायक कृष्णानन्द राय की हत्या की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) कर चुकी है। श्री अंसारी के परिजनों के मुताबिक सीबीआई ने मुख्तार को क्लीनचिट दे दी है। इसलिए वह मामला भी समाप्त ही है।
भाजपा पर आक्रामक सुश्री मायावती ने कहा कि धर्म का सहारा लेकर चुनाव लड़ने की कोशिश में एक पार्टी लग गयी है। उसे पता चल गया है कि उसकी पराजय तय है। इसीलिए राम मन्दिर निर्माण का मुद्दा फिर से उछाला जा रहा है। अमर्यादित बातें की जा रही हैं। उन्होंने निर्वाचन आयोग से भाजपा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने दोहराया कि नोटबन्दी से नाराज जनता भाजपा को चुनाव में सबक सिखायेगी। बसपा अध्यक्ष ने कहा कि सपा भी जान गयी है कि उसकी सरकार नहीं आ रही है इसीलिए सपा अध्यक्ष ने पश्चिम के बजाय सुलतानपुर से प्रचार अभियान शुरु किया। पश्चिमी क्षेत्र में चुनाव प्रथम और द्वितीय चरण में है जबकि सुलतानपुर में पांचवें चरण में मतदान होना है। इस अवसर पर मुख्तार अंसारी के बड़े भाई और पूर्व सांसद अफजाल अंसारी ने सपा को धोखेबाज बताया और कहा कि उनके परिवार के साथ की गयी धोखेबाजी से मुलायम सिंह यादव का वह बयान सही ही लगता है जिसमें अखिलेश यादव को मुस्लिम विरोधी बताया गया था। उन्होंने अखिलेश यादव पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाया और कहा कि इसका खामियाजा उन्हें गाजीपुर से गाजियाबाद तक भुगतना पड़ेगा। उन्होंने सुश्री मायावती को शिकायत का मौका नहीं देने का आश्वासन दिया। गौरतलब है कि ‘यादव परिवार’ में कौमी एकता दल के विलय को लेकर ही राजनीतिक विवाद शुरु हुआ था। गत 21 जून को कौएद का सपा में विलय हुआ। अखिलेश यादव ने सख्त नाराजगी जतायी और बलराम यादव को मंत्रिमण्डल से बाहर कर दिया। 25 जून को सपा संसदीय बोर्ड की बैठक में विलय निरस्त कर दिया गया। विवाद थोड़ा सा थमा था कि मुलायम सिंह यादव ने एक बार फिर कौएद का विलय सपा में कर लिया लेकिन अखिलेश यादव अपने रुख पर अड़े रहे और अन्तत: अंसारी बन्धुओं से सपा का दामन छूट गया।

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