पटना 15 फरवरी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन और कानून के राज के दावों को विफल बताते हुये आज कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पूर्व बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को सीवान से तिहाड़ जेल स्थानांतरित करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश से साबित हो गया है कि राज्य की कानून व्यवस्था ऐसी नहीं है जिसमें मामले की निष्पक्ष सुनवाई कराई जा सकती है। भाजपा विधानमंडल दल के नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यहां कहा कि राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और महागठबंधन के नेता कुख्यात शहाबुद्दीन को तिहाड़ जेल भेजने का फैसले से साबित हो गया है कि बिहार में कानून-व्यवस्था की ऐसी स्थिति नहीं है कि शहाबुद्दीन जैसे सत्ता संरक्षित अपराधी को वहां रख कर उसके मामले की निष्पक्ष सुनवाई कराई जा सके। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से मुख्यमंत्री के कथित सुशासन और कानून के राज की एक बार फिर हवा निकल गई है। गौरतलब है कि न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की पीठ ने आशा रंजन और चंदा बाबू की याचिका पर सुनवाई के बाद शहाबुद्दीन को एक सप्ताह के भीतर तिहाड़ भेजने का आदेश दिया। आशा रंजन एक हिन्दी दैनिक के सीवान ब्यूरो प्रमुख राजदेव रंजन की पत्नी हैं, जिनकी दिनदहाड़े हत्या कर दी गयी थी, जबकि चंदा बाबू के दो बेटों की हत्या करके तेजाब में डाल दिया गया था। घटना के चश्मदीद गवाह तीसरे बेटे को गवाही देते जाते वक्त गोलियों से भून डाला गया था।
श्री मोदी ने कहा कि सीवान जेल में रहते चंदा बाबू के तीसरे बेटे की हत्या कराने, गवाहों को धमकाने, आतंक कायम रखने और जेल में दरबार लागने जैसे संगीन आरोपों के बावजूद राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के दबाव में नीतीश सरकार नहीं चाहती थी कि शहाबुद्दीन को तिहाड़ जेल भेजा जाए। इसलिए इससे संबंधित याचिका पर सरकार ने अपना कोई स्पष्ट मंतव्य नहीं दिया और चुप्पी साधे रही। पूर्व उप मुख्यमंत्री ने नीतीश सरकार पर शहाबुद्दीन को मदद करने का आरोप लगाते हुये कहा कि इसके पहले उच्च न्यायालय में जहां राज्य सरकार ने शहाबुद्दीन को जमानत दिलाने में मदद की वहीं उच्चतम न्यायालय में उसकी जमानत को निरस्त कराने के लिए प्रख्यात वकील प्रशांत भूषण की पहल का इंतजार करती रही। भाजपा नेता ने मुख्यमंत्री को चुनौती देते हुये कहा कि उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के बाद यदि श्री कुमार में साहस है तो राजद अध्यक्ष पर दबाव बना कर कई संगीन मामलों में सजायफ्ता शहाबुद्दीन को राजद से निष्कासित करायें और जेल में शहाबुद्दीन से मिलने एवं दरबार लगाने वाले मंत्री अब्दुल गफूर के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही शहाबुद्दीन से जुड़े तीन साल से बंद पड़े सभी मामले की ट्रायल शुरू करायें।

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