माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि मुजफ्फरपुर के बेनीबाग में विनाशकारी बागमती बांध परियोजना पर रोक लगाने के साथ-साथ अन्य मांगों को लेकर पिछले दिनों 7 से 14 फरवरी तक सत्याग्रह अनशन हुआ, लेकिन सरकार का रवैया बेहद नकरात्मक रहा. भाकपा-माले सरकार के इस रवैये की कड़ी भत्र्सना करती है. उन्होंने कहा कि बागमती बांध परियोजना पर रोक लगाने, पुरानी बागमती बांध परियोजना की रिव्यू मौजूदा भौगोलिक स्थिति के आधार पर करने हेतु उच्च स्तरीय रिव्यू कमेटी का गठन करने, विस्थापितों के वास-आवास की गारंटी करने तथा आंदोलनकारियों पर दर्ज हास्यास्पद व फर्जी मुकदमा खारिज करने की लोकप्रिय मांग रही है. लेकिन सरकार कार्रवाई करने की बजाए दमन पर उतारू है. उन्होंने कहा कि बागमती बांध परियोजना 46 साल पुरानी है. इस बीच नदी की भौगोलिक स्थिति में काफी बदलाव आ गया है, इसलिए किसानों की लोकप्रिय मांग रही है कि परियोजना के लिए फिर से रिव्यू कमिटी का गठन किया जाए, लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं हो रही है. पुराने ढर्रे पर बांध निर्माण की वजह से लगभग 130 गांवो के किसानों की खेती की जमीन नष्ट हो जाएगी. इसके पूर्व भी बांध निमाण की वजह से विस्थापित लोगों को आज तक न पुनर्वास हो सका न उन्हें मुआवजा मिल सका. जब कभी किसान इसके खिलाफ आवाज उठाते हैं, आंदोलनकारियों पर मुकदमा थोप दिया जाता है. पिछली 7 फरवरी से 14 फरवरी तक किसानों ने भाकपा-माले और चास-वास-जीवन बचाओ बागमती संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में फिर से सत्याग्रह किया. माले महासचिव ने 14 फरवरी को अनशन समाप्त कराया..
गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017
विनाशकारी बागमती बांध परियोजना पर रोक लगाए सरकार: कुणाल
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