बिहार के दस में से नौ बच्चों को नहीं मिलता पर्याप्त आहार : क्राई - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 6 अप्रैल 2017

बिहार के दस में से नौ बच्चों को नहीं मिलता पर्याप्त आहार : क्राई

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पटना 05 अप्रैल, स्वास्थ्य सेवाओं की चिंताजनक स्थिति और लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता की कमी के कारण बिहार और झारखंड में प्रत्येक दस में से नौ बच्चे ऐसे हैं जिन्हें पर्याप्त आहार नहीं मिल पाता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस 2015-16) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बाल अधिकारों की रक्षा के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) ने आज कहा कि बिहार और झारखंड में छह से 23 माह के आयुवर्ग वाले दस में से नौ बच्चों को पर्याप्त आहार नहीं मिल पाता है, जो राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार में छह से 23 माह आयुवर्ग के केवल 7.5 प्रतिशत और झारखंड में 7.2 प्रतिशत बच्चों को ही पर्याप्त आहार मिल पाता है जबकि तमिलनाडु में यह आंकड़ा 31 प्रतिशत है। रिपोर्ट के अनुसार शुरुआती वर्षों में बच्चों में होने वाला कुपोषण मां के स्वास्थ्य की स्थिति से जुड़ा होता है। इन दोनों राज्यों में प्रसव पूर्व महिलाओं की देखरेख के लिए की जाने वाली व्यवस्था और गर्भावस्था में पोषक तत्वों की विशेष जरूरतों की पूर्ति नहीं हो पाना चिंताजनक है, जो बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है। 


क्राई की कार्यक्रम प्रमुख (पूर्वी भारत) महुआ चटर्जी ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि बिहार में केवल 3.3 प्रतिशत और झारखंड में आठ प्रतिशत महिलाओं को ही प्रसव पूर्व देखरेख की पर्याप्त व्यवस्था उपलब्ध हो पाती है। इस कारण दोनों राज्यों में जन्म लेने वाले कुल बच्चों में एक तिहाई से अधिक का जन्म घर में ही होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वास्थ्य सेवाओं की बदतर स्थिति के अलावा इन दोनों राज्यों के लोगों में बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं की बेहतर चिकित्सीय देखभाल की जानकारी की कमी भी चिंता का विषय है। रिपोर्ट में बच्चों के स्तनपान एवं उनके स्वास्थ्य की वास्तविक स्थिति पर चिंता प्रकट करते हुये कहा गया है कि इन राज्यों में तीन साल तक की उम्र के ऐसे करीब दो तिहाई बच्चे हैं (बिहार में 65 प्रतिशत और झारखंड में 67 प्रतिशत) जिन्हें जन्म के पहले घंटे के दौरान मां का दूध नहीं पिलाया गया है। सुश्री चटर्जी ने कहा, “बच्चों के जीवन में कुपोषण एक ऐसी दशा है जिसे बदला नहीं जा सकता है। यह बचपन से बड़े होने तक बढ़ता ही चला जाता है। इन राज्यों में कुछ ही महिलाएं हैं जिन्हें गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान आंगनबाड़ी केंद्र से पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। ऐसे में बच्चों और महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के साथ ही इसके लिए बेहतर नीति एवं योजना तैयार किये जाने की जरूरत है।” उन्होंने कहा कि जन्म के पहले घंटे के दौरान शिशु को स्तनपान कराना उनके पोषण का संकेतक है। यह शिशुओं के लिए सर्वोत्तम पोषक तत्व होने के साथ ही उनमें रोग निरोधक क्षमता को बढ़ाता है। रिपोर्ट के अनुसार बिहार में छह से 59 माह आयुवर्ग के 63.5 प्रतिशत और झारखंड में 69.9 प्रतिशत बच्चे एनीमिया (खून की कमी) से ग्रसित हैं। वहीं, बिहार में 15 से 49 वर्ष आयुवर्ग की 58.3 प्रतिशत और झारखंड में 63.5 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया की शिकार है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्भावस्था के 100 दिन में बिहार में केवल नौ प्रतिशत और झारखंड में 15 प्रतिशत महिलाएं ही आयरन और फॉलिक एसिड की टैबलेट का सेवन करती हैं। 

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