असहिष्णुता और टकराव के माहौल में गांधीवादी रास्ता दिखायें : नीतीश - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 11 अप्रैल 2017

असहिष्णुता और टकराव के माहौल में गांधीवादी रास्ता दिखायें : नीतीश

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पटना 10 अप्रैल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज देश में असहिष्णुता और टकराव के बढ़ते माहौल पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि सभी गांधीवादी विचारकों को मिलकर समाज को रास्ता दिखाना चाहिए। श्री कुमार ने यहां सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर के ज्ञान भवन में चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष का उद्घाटन करते हुए कहा कि वर्ष 1917 में आज ही के दिन महात्मा गांधी बिहार आये थे और मुजफ्फरपुर होते हुए चम्पारण गये थे। इसी चम्पारण सत्याग्रह आंदोलन के 30 वर्ष के बाद देश को आजादी मिल गयी। उन्होंने कहा कि आज देश में जो असहिष्णुता, टकराव बढ़ रहा है, कुतर्क गढ़े जा रहे हैं और भौतिकतावादी चीजें हावी हो रही है, ऐसे समय में बापू के विचारों से प्रभावित लोग विमर्श कर देश के लिए एजेंडा तय करें और रास्ता दिखायें तो यह देश और समाज के लिये महत्वपूर्ण होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज चारो तरफ कुतर्क गढ़े जा रहे हैं और एकतरफा संवाद चल रहा है। ऐसे में इस राष्ट्रीय विमर्श में हिस्सा ले रहे गांधी के विचारों से प्रभावति लोग देश में जो प्रासंगिक है उसपर विमर्श कर देश के लिए एक एजेंडा तय करें, रास्ता दिखायें और लोगों पर छोड़ दें कि वह कौन सा रास्ता चुनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि गांधी जी को केवल नोटों में छाप देने से कुछ होने वाला नहीं है, आज जरूरी है उनके सिद्धांतों, उनके विचारों को आत्मसात करने की। श्री कुमार ने कहा कि आज जो लोग गांधी के विचारों को नहीं मानते और उसके विपरीत चलते हैं, वह भी चम्पारण सत्याग्रह का शताब्दी वर्ष और महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनायेंगे तथा यात्रा भी निकालेंगे। उन्होंने कहा कि गांधी के नाम में दम है इसलिये वह उसका उपयोग करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार का मार्गदर्शक सिद्धांत महात्मा गांधी का विचार ही रहा है। उनकी सरकार ने समाज को जोड़ने और समाज में अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को फायदा जरूर मिले, इसकी कोशिश की है। उनकी सरकार सिर्फ विकास की बात नहीं करती है बल्कि न्याय के साथ विकास में विश्वास रखती है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने कभी किसी वर्ग जाति या धर्म को ध्यान में रखकर कोई योजना नहीं बनायी है। उसकी सारी योजनाओं का लाभ सभी को मिलता है । श्री कुमार ने कहा कि उनकी सरकार की मुख्यमंत्री साइकिल योजना हो या मुख्यमंत्री पोशाक योजना, इसका लाभ सभी को प्राप्त होता है। ऐसी ही कई अन्य योजनाएं हैं जिन्हें वह गिनाने लगें तो घंटो लग जायेगा। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार पूर्ण शराबबंदी के बाद अब नशामुक्ति का अभियान भी चला रही है जिसे व्यापक जन समर्थन मिल रहा है। सरकार अब अन्य सामाजिक बुराइयां जैसे दहेज और बाल विवाह के खिलाफ भी अभियान चलायेगी। 


इस मौके पर पूर्व राज्यपाल और महात्मा गांधी के पौत्र गोपाल कृष्ण गांधी ने कहा कि गांधीजी का प्राकृतिक परिवार से बड़ा है उनका वैचारिक परिवार और उनके इस वैचारिक परिवार का ज्यादा महत्व है। उन्होंने कहा कि संतों और महात्माओं की कोई कुल परम्परा नहीं होती बल्कि अनुयायी परम्परा होती है। आज भी गांधी जी का नाम लिये बिना अनेकों लोग उनके बताये मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं, वही असली गांधीवादी है। श्री गांधी ने कहा कि सिद्धार्थ गौतम और सम्राट अशोक से लेकर आज तक बिहार ने अंधकार में प्रकाश को देखा है, यह एक एेतिहासिक सच है। वर्ष 1917 में महात्मा गांधी ने चंपारण में सत्याग्रह आंदोलन और वर्ष 1977 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन के जरिये इस प्रकाश को पुनर्जीवित किया था। उन्होंने कहा कि वर्ष 1917 में जमीन के लिये जुल्म और जबर्दस्ती हो रही थी जबकि वर्ष 1970 में राजनीति और समाज में जुल्म और जबर्दस्ती हो रही थी। पूर्व राज्यपाल ने कहा कि आज भी देश में जुल्म और जबर्दस्ती हो रही है। भूमि अधिग्रहण कानून को अध्यादेश के जरिये लाकर जमीन छीनी जा रही है। ऐसा अंग्रेजों के राज में भी नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि अध्यादेश के जरिये किसी भी कानून को आपात स्थिति में लागू किया जाता है लेकिन इस सरकार ने सामाजिक प्रभाव की चिंता किये बगैर जल्दबाजी में कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि उद्योग के लिये जमीन की आवश्यकता हो सकती है लेकिन जिस तरीके से बिना सहमति बनाये इसे लागू किया गया वह तरीका सही नहीं है। श्री गांधी ने आधार नम्बर को हर योजना और कार्यों से जोड़े जाने पर आपत्ति जाहिर करते हुए कहा कि जिस तरह परमाणु बम बनाने वाले को पश्चाताप हुआ था उसी तरह का पश्चाताप भारतीय विशिष्ट पहचान पत्र प्राधिकरण (यू आईडीएआई) के अध्यक्ष नंदन नीलेकणि को भी हो रहा होगा। उन्होंने कहा कि बच्चों के खाने का अधिकार प्राप्त करने के लिये भी आधार नम्बर जरूरी कर दिया गया है। इसी तरह चलता रहा तो चाभी हमारे हाथ से दूसरे के हाथ में चली जायेगी और उसके बाद ऐसे दरवाजे और खिड़कियां खुलने लगेंगी जिससे जुल्म और जबर्दस्ती बढ़ेगी इसलिये लोगों को जागरूक रहने की जरूरत है ताकि आधार का दुरुपयोग न हो और हम फिर से अंधेरे में चले जायें। गांधी संग्रहालय के अध्यक्ष डॉ. रजी अहमद ने कहा कि वर्ष 1917 से 1947 तक जो लोग गांधी जी के साथ रहे वे भी सत्ता में आने के बाद उनका साथ छोड़ दिया। तब महात्मा गांधी ने खुद कहा था .. मैं अकेला रह गया हूं..। उन्होंने कहा कि गांधी जी का नाम लेना आसान है लेकिन उनकी राह पर चलना कठिन है। गांधीवादी विचारक न्यायमूर्ति चंद्रशेखर धर्माधिकारी ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद जैसे शब्दों को संविधान की उद्देशिका में बाद में जोड़ा गया। सारे शोषण से मुक्ति ही समाजवाद की बुनियाद है। उन्होंने कहा कि संविधान में समाजवाद की व्याख्या नहीं की गई है तो उसे उद्देशिका से हटाना देना ही प्रासंगिक होगा। उन्होंने इस मौके पर उपस्थित लोगों को खादी के इस्तेमाल का संकल्प दिलाया।  


नर्मदा आंदोलन की राष्ट्रीय समन्वयक और सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर ने कहा कि आज देश में सहमति को लोग भूल गये हैं। ऐसे में इस राष्ट्रीय विमर्श से कोई एजेंडा या रास्ता निकलता है तो यह बहुत महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि जमीन को जबरन छीनकर पूंजीवादियों को हस्तांतरित करने का अधिकार देना बेहद खतरनाक है। जल, जंगल और जमीन छीनी जा रही है इसके खिलाफ सभी को एकजुट होने की जरूरत है। सुश्री पाटेकर ने कहा कि शराबबंदी कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जो राजनीतिक इच्छा शक्ति दिखाई है उसी तरह की राजनीतिक इच्छा शक्ति दहेज प्रथा और विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों के गलत इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिये भी दिखानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस विमर्श के दौरान नदियों को बचाने के लिये भी संदेश जाना चाहिए। इस मौके पर न्यायमूर्ति राजेन्द्र सच्चर, गांधीवादी सच्चिदानंद सिन्हा, एस. एन. सुब्बा राव और सुश्री प्रेरणा देसाई ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम के दौरान गांधी जी के परिवार के तीन अन्य सदस्य राजमोहन गांधी, तारा गांधी और तुसार गांधी, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और शिक्षा मंत्री आशोक चौधरी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने किया। 

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