जन्म के पहले छह महीने में बच्चों को स्तनपान कराना जरूरी : आईसीडीएस - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


गुरुवार, 6 अप्रैल 2017

जन्म के पहले छह महीने में बच्चों को स्तनपान कराना जरूरी : आईसीडीएस

पटना 06 अप्रैल, बाल कल्याण क्षेत्र में प्रत्यनशील बिहार के एकीकृत बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस) ने जन्म के पहले छह महीने में बच्चों को स्तनपान कराने की जरूरत पर बल देते हुये आज कहा कि इस अवधि में स्तनपान कराने से बच्चों को आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होने के साथ ही उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। आईसीडीएस के निदेशक रमाशंकर प्रसाद दफ्तुआर ने आज यहां एक कार्यक्रम में कहा, “जन्म के पहले घंटे के अंदर और अगले छह माह तक बच्चे को स्तनपान कराना काफी महत्वपूर्ण है। इस अवधि में नवजात को पानी नहीं पिलाना चाहिए क्योंकि बच्चे को स्तनपान से ही सभी जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं और उसे गर्मी के महीनों में भी अतिरिक्त पानी की जरूरत नहीं पड़ती।” आईसीडीएस निदेशक ने कहा कि यह प्रमाणित हो चुका है कि विश्व के कई देश कुपोषण के कारण एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती का सामाना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म-पोषक तत्वों की कमी का औसत एशिया तथा अफ्रीका में 11 प्रतिशत है, जो 2008-10 में आई वैश्विक आर्थिक मंदी से हुए नुकसान से काफी अधिक है। बच्चों के कमजोर विकास से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर प्रभावित होती है। इसलिए बच्चों को स्तनपान कराने के प्रति महिलाओं को प्रेरित करने के लिए व्यापक स्तर पर जागरुकता अभियान चलाने की जरूरत है। श्री दफ्तुआर ने इस दिशा में जागरुकता फैलाने में मीडिया के सहयोग को जरूरी बताया और कहा कि मीडिया ने लोगों के बीच अच्छी प्रथाओं के लिए जागरूकता फैलाने में काफी अहम भूमिका निभाई है और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों के लिए जागरूकता निर्माण करने में उनका सहयोग महत्वपूर्ण रहेगा।



निदेशक ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस 2015-16) का हवाला देते हुये कहा कि बिहार ने बाल स्वास्थ्य एवं राज्य के पोषण स्तर में महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की है। उन्होंने कहा कि जन्म के पहले एक घंटे में स्तनपान कराये जाने वाले तीन साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या में नौ गुणा यानि वर्ष 2005-06 में यह संख्या महज चार प्रतिशत थी, जो वर्ष 2015-16 में 34.9 प्रतिशत पर पहुंच गई। उन्होंने कहा कि इस आंकड़े को शत-प्रतिशत तक ले जाने के लिए लोगों को जागरूक बनाना बेहद जरूरी है। श्री दफ्तुआर ने बच्चों को स्तनपान कराये जाने के मामले में पिछले एक दशक में लगभग 30 प्रतिशत वृद्धि यानि प्रतिवर्ष करीब तीन प्रतिशत की धीमी रफ्तार रहने में जागरुकता की कमी के अलावा अन्य कारणों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इस दिशा में धीमी प्रगति का एक बड़ा कारण लोगों में जागरुकता की कमी तो है ही। इसके अलावा अन्य फ्रंट पर बेहतर परिणाम के लिए सरकार अब मातृत्व लाभ और अन्नप्रासन जैसे कार्यक्रम शुरू करने जा रही है।




निदेशक ने केयर इंडिया के विभिन्न सर्वेक्षणों के आधार पर कहा कि आमतौर पर यह देखा गया है कि ठंड से लेकर गर्मी के महीने तक में सिर्फ स्तनपान के मामलों में 16 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं, 71 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने ठंड के महीनों (नवंबर एवं दिसंबर) में बच्चों को केवल स्तनपान कराने की बात स्वीकार की है। यह संख्या गर्मी के महीनों (मई एवं जून) में 55 प्रतिशत तक कम हुई है। उन्होंने कहा कि पिछले दशक के दौरान राज्य में प्रमुख भोजन प्रथाओं में सुधार हुअा है। एनएफएचएस के आंकड़ों के मुताबिक स्तनपान कराए गए छह माह से कम आयु के बच्चों की संख्या में लगभग दोगुनी वृद्धि हुई है, जो 2005-06 के 28 प्रतिशत से बढ़कर 2015-16 में 53.5 प्रतिशत पर पहुंच गई। हालांकि, माता-पिता अभी भी काल्पनिक बातों पर भरोसा करते हैं जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर अब भी जोखिम बना हुआ है। उन्होंने कहा कि प्राय: ऐसा देखा गया है कि माता-पिता गर्मी के महीनों में छह माह से कम आयु के बच्चों को पानी पिलाते हैं। ऐसा करके वे संक्रमण का खतरा बढ़ाते हैं जिससे छोटी अवधि और लंबी अवधि के दुष्परिणाम हो सकते हैं। इस अवसर पर डॉ. सुरेंद्र कुमार, एसपीओ (बाल स्वास्थ्य), राज्य स्वास्थ्य समितिय डॉ. प्रबीर मोहराना, क्वालिटी एश्योरेंस स्पेशलिस्ट (आरएमएनसीएएच) और डॉ. सेबांती घोष, कार्यक्रम निदेशक, एलाइव एंड थ्राइव ने भी जन्म के छह माह तक बच्चों को केवल स्तनपान कराने के महत्व पर जोर दिया।

कोई टिप्पणी नहीं: