नयी दिल्ली,12 अप्रैल, उच्चतम न्यायालय ने आज महानियंत्रक एवं लेखा परीक्षक (कैग) को दाे हफ्ते में इस अाशय की आडिट रिपोर्ट पेश करने को कहा कि निर्माण कार्याें में लगे मजदूराें के कल्याण कें लिए निहितार्थ धनराशि में से करोडाें रूपए कहां और किस मद में खर्च किए जा रहे हैं। न्यायाधीश मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली खंड़पीठ ने एक गैर सरकारी संगठन “ नेशनल कैंपेन कमेटी फाॅर सेंट्रल लेजिस्लेशन आन कंस्ट्रक्शन लेबर” की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सालिसिटर जनरल महिंदर सिंह से कहा“ 26 हजार कराेड़ रूपए में से पांच हजार करोड़ रूपए की धनराशि खर्च हो चुकी है और हमें यह नहीं पता है कि यह कहां खर्च हुई है। आपको यह सुनिश्चित करना है कि यह सिर्फ चाय या नाश्ते पर खर्च नहीं की जाए। ” इस संगठन का अारोप है कि निर्माण कार्यों में लगे मजदूराें के कल्याण के लिए रिएल एस्टेट फर्माें से वैधानिक उपकर के रूप में वसूली जाने वाली इस राशि का उपयोग समुचित तरीके से नहीे हाे रहा है और न ही एेेसी कोई प्रकिया है जिसमें इसके लाभार्थियों की पहचान की जा सके। उच्चतम न्यायालय ने इस बात पर भी गाैर किया कि इस बात का भी कोई रिकार्ड नहीं है कि पांच हजार करोड़ रूपए की यह धनराशि कहां अौर कैसे खर्च हो गई। इस मामले में कैग को दो हफ्ते में रिपाेर्ट पेश करने को कहा गया है। न्यायालय ने अपनी प्रतिक्रिया में यह भी कहा “ इस मामले में काफी धनराशि शामिल है अौर इसका उपयोग देश के गरीब लोगों के हितों के लिए किया जाना था लेकिन यह उन तक नहीं पहुंच पा रही है और कहीें आेर जा रही है। यह काफी गंभीर मसला है और इस धनराशि का इस्तेमाल गरीब लोगों की भलाई के लिए किया जाना चाहिए था। ’’ श्री सिंह ने न्यायालय को अवगत कराया कि यह धनराशि राज्य सरकारों के पास है अौर यह नहीे कहा जा सकता है कि यह गायब हो गई है। इस पर खंड़पीठ ने कहा“ अापने हमें जो बताया है वह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है और आपको इसका समाधान निकालना है। यह 26 हजार करोड़ रूपए का मामला है। ”मामले की अगली सुनवाई पांच मई को तय की गई है। याचिकाकर्ता केे वकील कोलिन गाेनसाल्विज ने तर्क देते हुए कहा कि इस धनराशि में से काफी राशि स्थानांतरित की जा चुकी है और इसका इस्तेमाल सभी प्रकार के विविध कामों के लिए हो रहा है।
बुधवार, 12 अप्रैल 2017
मजदूरों की कल्याण राशि की आडिट रिपोर्ट पेश करने का कैग को निर्देश
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