प्रद्योत कुमार,बेगुसराय। वंशवाद परम्परा को ढ़ोते ढ़ोते भले ही नेताओं के राजनीतिक काँधे ना थके हों पर जनता की आँखें ज़रूर थक गई हैं।क्षेत्रीय राजनीति में लालू यादव ने अपने ही पुत्रों को मंत्री बनाया जबकि उन दोनों से अधिक अनुभवी,राजनीति कुकर्म के विद्वान और अधिक सूझबूझ वाला नेता उनकी पार्टी में मौजूद हैं लेकिन उपमुख्यन्त्री बने लालू यादव के सपूत।सबसे हैरत की बात तो ये है कि इतनी बड़ी बात के ख़िलाफ़ एक भी नेता ने आवाज़ नहीं उठाई इसे कहते हैं पार्टी में ख़ौफ़ का अनुशासन।यही हाल है रामबिलास पासवान की पार्टी लोजपा का हालांकि ये इस तरह की जितनी भी पार्टियां हैं ये पार्टी नहीं बल्कि "सिंडिकेट" हैं।राजनीति में वंशवाद परंपरा की वजह से सबसे ज़्यादा नुकसान देश को हो रहा है,आज जनता के पास विकल्प नहीं होने के कारण एक अच्छी,सुव्यवस्थित और ईमानदार(ईमानदार लिखना बेमानी है)सरकार नहीं चुन पा रही है।आज भाजपा का पूर्णरूपेण "कॉंग्रेसीकरण" हो चुका है तो सवाल ये उठता है कि फिर भाजपा क्यूँ?लेकिन आज कोंग्रेस जिस राह पर चल पड़ी है आने वाले 2019 के चुनाव में जनता फिर अकबकाहट की स्थिति में भाजपा को ही वोट दे देगी और तब कोंग्रेस का अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा।इससे उबरने और देश हित में सोचने के लिए कोंग्रेस पार्टी को वंशवाद के दलदल से निकलना होगा और इन ढाई वर्षों में कोंग्रेस पार्टी के तमाम शीर्ष नेता को ये गहरी आत्मचिंतन करना होगा कि किस वजह से जनता ने उन्हें सत्ता से बाहर निकाल फेंका।एक भी कोंग्रेसी नेता ज़मीनी स्तर से काम करते नज़र नहीं आ रहे हैं।उदाहरण के तौर पर आप देख सकते हैं कि सहरसा लोक सभा से अपने काम के बदौलत जीत रही हैं कोंग्रेस की नेत्री रंजीता रंजन,2014 का मोदी लहर भी उनके काम की आस्था से जनता को डिगा नहीं सकी ये बड़ी बात है।ये सच है कि आपको जनता के हक़ के लिए काम करना होगा,कभी सोचा है आपने भ्रष्टाचार में क्यूँ होती है आपकी संलिप्तता,अरे दो वक़्त की रोटी के लिए क्यों करते हो ऐसे कुकर्म,अरे पैसा चाहे जितना कमा लो,लोग जीने के लिए खाते हैं दो वक्त की रोटी ही और ऐसे लोगों यानि पैसे वालों के पास तो उस रोटी को खाने से पहले देखना होता है डॉक्टर के लिखे पर्चे को,रोटी खाने के लिए भी इजाज़त की आवश्यक्ता होती है,फिर किस काम के ये ग़लत पैसे।संभल जाओ कोंग्रेसियों देश की ज़रूरत आप हैं।देश हित में सोचते हुए वंशवादी परम्परा को तोड़ते हुए पार्टी हित में सोचें चूँकि पार्टी है तो आप हैं,आपकी राजनीति है आपका अस्तित्व है।अगर नहीं सम्भले तो 2019 आपके अस्तित्व पर सवाल नहीं खड़ा करेगी बल्कि जनता आपके अस्तित्व को ढूंढेगी।
शनिवार, 29 अप्रैल 2017
विशेष : वंशवाद से शापित कोंग्रेस
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