भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता काॅ. रमेश चंद्र पांडेय का निधन. माले राज्य कार्यालय में दी गयी श्रद्धांजलि. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 11 अप्रैल 2017

भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता काॅ. रमेश चंद्र पांडेय का निधन. माले राज्य कार्यालय में दी गयी श्रद्धांजलि.

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भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता काॅ. रमेशचंद्र पांडेय का आज 11  अप्रैल को तड़के 3 बजे निधन हो गया. उनकी उम्र 78 वर्ष थी. उनका जन्म भोजुपर जिले के बड़हरा प्रखंड के लौहर फरना गांव में 12 फरवरी 1940 को हुआ था. उन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई की थी और राजनीति के साथ-साथ साहित्य में गहरी रूचि रखते थे. पिछले कई वर्षों से वे भाकपा-माले राज्य कार्यालय में महत्वपूर्ण जिम्मेवारियों को निभा रहे थे. उनके निधन पर माले राज्य कार्यालय में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ. जिसमें पार्टी के राज्य सचिव काॅ. कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य अमर व धीरेन्द्र झा, काॅ. रामजतन शर्मा, नंद किशोर प्रसाद, बृज बिहारी पांडेय, केंद्रीय कमिटी की सदस्य राजाराम सिंह, केडी यादव, मीना तिवारी, राजाराम, पवन शर्मा, विधायक सुदामा प्रसाद, पूर्व विधायक एनके नंदा, शंभूनाथ मेहता, नसीम अंसारी, नवीन कुमार, गोपाल रविदास, सत्यनारायण सहित बड़ी संख्या में पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं ने काॅ. पांडेय के पार्थिव शरीर पर फूल चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. उनकी अंतिम यात्रा में पार्टी के वरिष्ठत नेता काॅ. स्वदेश भट्टाचार्य भी शामिल हुए.


भाकपा-माले ने अपने शोक संदेश में कहा है कि काॅ. रमेश चंद्र पांडेय अपने छात्र जीवन में ही कम्युनिस्ट आंदोलन से जुड़ गये थे. उनके बड़े भाई विंदेश चंद्र पांडेय आरा के प्रतिष्ठित वकील और सीपीआइ-एम के बड़े  नेता थे. उन्हीं के संरक्षण में काॅ. रमेश चंद्र पांडेय का राजनीतिक प्रशिक्षण हुआ और वे जल्द ही एक प्रतिबद्ध कम्युनिस्ट कार्यकर्ता के बतौर आरा शहर के शहरी गरीबों के बीच काम करने लगे. जब 1967 में नक्सलबाड़ी का किसान विद्रोह हुआ और उसकी चिंगारी भोजपुर पहंुची, तो उससे रमेशचंद्र पांडेय अछूते न रह सके. दरअसल उनके बड़े भाई विंदेेश चंद्र पांडेय, रमाकांत द्विवेदी रमता, बबन तिवारी, परमहंस तिवारी, सुराजी तिवारी आदि सीपीआइ-एम के सभी प्रतिष्ठित नेता नक्सलवादी विद्रोह से गहरे तौर पर प्रभावित हुए और सीपीआइ-एम के भीतर इन लोगों ने गंभीर बहस छेड़ दी. भोजपुर में मास्टर जगदीश के नेतृत्व में ‘हरिजनिस्तान’ बनाओ आंदोलन से भी काॅ. पांडेय काफी प्रभावित हुए. भाकपा-माले के प्रति उनका आकर्षण व लगाव काफी गहरा होता गया.  1979 में विशेष राष्ट्रीय सम्मेलन केे बाद पार्टी ने जनांदोलन की लाइन ली और इसी के तहत 1981 में बिहार प्रदेश किसान सभा की स्थापना हुई. काॅ. रमेश चंद्र पांडेय सीपीआइ-एम के अन्य तमाम काॅमरेडों के साथ पार्टी से जुड़ गए और बिहार प्रदेश किसान सभा के मोर्चे पर काम करने लगे. जल्द ही उन्होंने किसान सभा के राज्यस्तरीय नेता के रूप में ख्याति हासिल कर ली. उन्होंने बिहार प्रदेश किसान सभा के राज्य अध्यक्ष की भी जिम्मेवारी निभाई. 1985 में पार्टी के फैसले के तहत उन्होंने आईपीएफ के बैनर से बड़हरा विधनसभा से चुनाव लड़ा और सम्मानजनक वोट हासिल किया. अपने राजनीतिक जीवन में वे कई बार जेल भी गये. 2000 तक वे किसान सभा के कार्यालय सचिव की जिम्मेवारी में रहे. उसके बाद वे पार्टी राज्य कार्यालय में आ गये और अपनी मृत्यु के दिन तक राज्य कार्यालय की महत्पूर्ण जवाबदेहियों को निभाते रहे.


काॅ. पांडेय 2003 से ही किडनी के मरीज थे, बावजूद इसके बीमारी उनके राजनीतिक काम में कभी बाधा नहीं बनी. पिछले एक साल से उनकी तबीयत ज्यादा खराब चल रही थी और एक महीने से वे डायलिसिस पर थे. वरिष्ठ कामरेडों से लेकर पार्टी संपर्क में आए नए-नए साथियों, खासकर छात्रों का उनको सहज सम्मान हासिल था. वे जहां भी रहे अपने आसपास के मुहल्ले के लोगों खासकर गरीब-गुरबों के साथ एकरूप हो जाने का उनमें अद्भुत गुण था. वे हम सबके प्रेरणास्रोत हैं. संपूर्ण पार्टी और खासकर पार्टी के राज्य कार्यालय के लिए यह अपूरणीय क्षति है. उन्हें अंतिम विदाई! काॅमरेड रमेशचंद्र पांडेय अमर रहें!

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