नयी दिल्ली, 10 अप्रैल, भारत ने कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा मृत्युदंड सुनाये जाने को लेकर आज पाकिस्तान के समक्ष कड़ा विरोध जताया और कहा कि अगर न्याय के मूलभूत सिद्धांतों एवं अंतर्राष्ट्रीय नियमों को दरकिनार कर जाधव को मौत की सजा दी गयी तो इसे उनकी सुनियाेजित हत्या समझी जायेगी। विदेश सचिव एस जयशंकर ने यहां पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित को आज तलब किया और उन्हें भारत का विरोध पत्र सौंपा जिसमें साफ तौर पर कहा गया कि श्री जाधव का पिछले साल ईरान से अपहरण किया गया था और पाकिस्तान में उनकी मौजूदगी के बारे में कभी भी विश्वसनीय जानकारी नहीं दी गयी। भारत सरकार ने अपने उच्चायोग के माध्यम से बार बार उनसे अंतर्राष्ट्रीय नियमों के अनुरूप राजनयिक संपर्क स्थापित करने की अनुमति मांगी गयी। 25 मार्च 2016 से 31 मार्च 2017 के बीच ऐसे 13 औपचारिक अनुरोध किये गये लेकिन पाकिस्तान सरकार ने उन्हें नहीं स्वीकार किया। विरोध पत्र में कहा गया कि श्री जाधव के विरुद्ध विश्वसनीय सबूत नहीं होने के बावजूद एेसी कार्रवाई बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह भी बहुत अहम बात है कि इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायुक्त काे श्री जाधव के विरुद्ध विधिक कार्यवाही की कभी कोई जानकारी नहीं दी गयी। इन परिस्थितियों में पाकिस्तानी सेना की प्रेस विज्ञप्ति में श्री जाधव को बचाव के लिये वकील उपलब्ध कराया जाने की बात पूरी तरह से बेमानी है। पत्र में कहा कि अगर भारतीय नागरिक के विरुद्ध यह सज़ा कानून के मूलभूत सिद्धांतों की अनदेखी करके तामील की जाती है तो भारत की सरकार और जनता इसे सोची समझी हत्या का मामला मानेंगे।
सोमवार, 10 अप्रैल 2017
जाधव की मौत की सजा, सोची समझी हत्या का मामला : विदेश सचिव
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