रांची 10 अप्रैल, झारखंड में पलामू जिले के सीता चुआं जंगल में हाल ही में इनामी नक्सली अजय यादव सहित तीन कट्टर नक्सलियों के मारे जाने के विरोध मे भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) माओवादियों आज प्रस्तावित बंद का मिलाजुला असर रहा। नक्सली बंद का उग्रवाद प्रभावित चतरा में व्यापक असर देखा गया। इस दौरान पिपरवार, अशोका, मगध और अम्रपाली कोयला परियोजना मे खनिजों का उत्पादन, ढुलाई एवं डिस्पैच पूरी तरह से प्रभावित रहा। राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) और भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (भेल) के संयंत्रों में भी पूरे दिन सन्नाटा पसरा रहा। सभी पेट्रोल पम्प बंद नजर आये। चतरा से होकर गुजरने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग 99 और 100 पर यात्री एवं मालवाहक वाहनों का परिचालन पूरी तरह बंद रहा। बन्द से रेलवे एवं सेंट्रल कोल्डफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) की कोयला परियोजनाओं को करोड़ो रुपये का नुकसान होने की संभावना है। चतरा के पुलिस अधीक्षक अंजनी कुमार झा के निर्देश पर जिले मे संचालित कोल परियोजनाओ में बड़ी संख्या में जिला बल के जवानों के अलावा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 190 बटालियन की टुकड़ियां चप्पे-चप्पे में तैनात कर दी गई थी। नक्सल प्रभावित थाना क्षेत्रों में बख्तरबंद वाहनों से नक्सली गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।
इस बीच डालटनगंज से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, पलामू जिले में नक्सल बंद का ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक असर रहा। गैर सरकारी के साथ-साथ सरकारी कार्यालय और प्रतिष्ठान बंद रहे। जिले के हरिहरगंज और मोहम्मदगंज थाना क्षेत्र में बैंक और सरकारी कार्यालय नहीं खुले। सड़कों पर अघोषित कर्फ्यू जैसा माहौल रहा। हैदरनगर थाना क्षेत्र में बंद का व्यापक असर देखा गया। इस क्षेत्र की मुख्य सड़कों पर बड़े वाहनों का परिचालन बिलकुल ठप रहा। केवल इक्के-दुक्के दोपहिया वाहन चलते रहे। राष्ट्रीय राजमार्ग 98 पर स्थित छत्तरपुर में भी बंद का असर देखा गया। जिला मुख्यालय डालटनगंज में भी बंद का असर पड़ा। दुकानें तो खुली रहीं, लेकिन वहां अन्य दिनों की तरह भीड़भाड़ कम रही। बंदी का सबसे ज्यादा प्रभाव सड़क यातायात पर पड़ा। डालटनगंज-रांची और डालटनगंज औरंगाबाद मुख्य पथ पर किसी तरह के यात्री बसों का परिचालन नहीं हुआ। सभी बसें यात्री पड़ाव में खड़ी रही। रेलवे की ओर से बंद को देखते हुए कई स्तरों पर ऐहतियात बरती गयी। पटरियों की जांच कर ट्रेनों को रवाना किया गया। नक्सल प्रभावित बड़े स्टेशनों पर सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए थे।

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