नयी दिल्ली. 10 अप्रैल, सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए एक नया आयोग गठित सम्बन्धी संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा ने आज पारित कर दिया और इसके साथ ही राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1993 को निरस्त करने से सम्बन्धित विधेयक को भी मंजूरी दे दी। संविधान संशोधन विधेयक को मत विभाजन में दो के मुकाबले 360 मतों से मंजूरी दी गयी। इससे पहले सदन ने विपक्षी सदस्यों के दो संशोधनों को मत विभाजन से तथा कुछ अन्य को ध्वनिमत से नामंजूर कर दिया। नये विधेयक में सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए संवैधानिक दर्जा प्राप्त नये आयोग को गठित करने का प्रावधान है।
तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि प्रस्तावित कानून को लाकर केंद्र सरकार राज्यों की शक्ति को छीनना चाहती है।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के नौ न्यायाधीशों की पीठ ने 1993 में पिछड़ा वर्ग के हितों के अधिकार राज्य सरकारों को दिए हैं लेकिन इस विधेयक के जरिए केंद्र खुद को ज्यादा मजबूत बनाना चाहता है।
बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब ने भी विधेयक का विरोध किया और कहा कि राज्यों की शक्ति छीनने के प्रस्ताव का वह कड़ा विरोध करते हैं।
उन्होंने कहा कि विधेयक में कई कमियां हैं, इसलिए इसे ज्यादा मजबूत बनाने के लिए स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए।
उनका आरोप था कि सरकार हरियाणा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में हो रहे आंदोलन के मद्देनजर राजनीतिक लाभ अर्जित करने के लिए यह विधेयक लेकर आयी है।
तेलुगु देशम पार्टी के राममोहन नायडु ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि विधेयक में कुछ और प्रावधान करके इसमें पिछड़ा वर्ग के लोगों के हितों के लिए पर्याप्त व्यवस्था करने की जरूरत है।
राज्यों के अधिकारों के संबंध में उन्होंने कहा कि राज्यों के अधिकारों को कम नहीं किया जाना चाहिए।
तेलंगाना राष्ट्र समिति के बी नरसैया गौड़ा ने भी विधेयक का समर्थन किया लेकिन कहा कि पिछड़ा वर्ग के पदों को नहीं भरे जाने पर चिंता जतायी।
उनका कहना था कि इस वर्ग के हितों को साधने के लिए बजट आवंटन बढ़ाया जाना चाहिए।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की पी करुणाकरन ने विधेयक का समर्थन किया लेकिन कहा कि राज्यों के अधिकारों पर किसी भी तरह से हमला नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस सूची में किसे जोड़ना है और किसे हटाना है यह अधिकार राज्यों के ही रहने चाहिए। वाईएसआर की रेणुका बुट्टा ने कहा कि क्रीमी लेयर पर विचार करने का आग्रह करते हुए कहा कि निजी क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग के लोगों को बढ़ावा देने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन देना चाहिए।
भाजपा के गणेश सिंह ने कहा कि 2004 से 2012 के दौरान अन्य पिछड़ा वर्ग अायोग को हजारों शिकायतें मिली लेकिन मात्र 37 का निराकरण किया गया।
उन्होंने कहा कि इस स्थिति को देखते हुए यह आयोग आवश्यक था।
समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने आरोप लगाया है कि इस आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के बहाने सरकार नयी जातियों को इसमें शामिल करना चाहती है और यदि एेसा किया गया तो समाजवादी पार्टी सड़कों पर उतरने को मजबूर होगी।
उन्होंने क्रीमी लेयर की सीमा हटाने और बैक लॉग की भर्ती के लिए विशेष अभियान चलाने की मांग की है।
राष्ट्रीय जनता दल के जयप्रकाश नारायण यादव ने विधेयक को मंडल आयोग के लिए मौत का वारंट करार दिया।
चर्चा में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के उपेंद्र कुशवाहा तथा कई अन्य सदस्यों ने ओबीसी की जनगणना को प्रकाशित करने की मांग की।
चर्चा में धनंजय भीमराव महादिक, शेरसिंह गुबाया, असदुद्दीन आेवैसी, पीडी राई, कौशलेंद्र कुमार तथा सिराजुद्दीन अजमल ने भी हिस्सा लिया।

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