- बिहार के 10 जिलों पर सहरसा का एक प्रखंड भारी
- 22 अरब भुगतान के बावजूद बिहार में 14276 परिवारों को ही 100 दिन का काम
पटना 07 (अप्रैल ) ग्रामीण इलाकों में जरुरतमंद लोगों को प्रति वर्ष एक निश्चित अवधि का रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लागू किये गये महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत बिहार के सहरसा जिले का एक प्रखंड खर्च करने के मामले में पटना समेत दस जिलों से आगे निकल गया है। बिहार में वितीय वर्ष 2016-17 में कुल 2201 करोड़ खर्च हुये हैं, जो प्रति जिला औसत 57 करोड़ और प्रति प्रखंड औसत 04 करोड़ है। सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड ने पिछले दो साल में 58 करोड़ 36 लाख खर्च किये हैं, जो राज्य में एक रिकार्ड है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में इस प्रखंड ने कुल 40 करोड़ 73 लाख रूपये खर्च किये है जबकि सवा चार करोड़ रूपये बकाया है। वहीं, वित्त वर्ष 2015-16 में प्रखंड में मनरेगा योजना के तहत कुल 17 करोड़ 63 लाख खर्च किया था। जिला एवं प्रखंड स्तर पर सर्वाधिक खर्च तथा मानव दिवस एवं महिला रोजगार के चार रिकार्ड सहरसा जिला के खाते में है जबकि 100 दिन रोजगार उपलब्ध कराने में नीचे से 18वें स्थान पर है। मनरेगा के तहत सर्वाधिक खर्च करने के मामले में सहरसा जिला न सिर्फ पूरे राज्य में अव्वल रहा बल्कि कई नये रिकार्ड बना दिये। दस प्रखंडो वाले इस जिले ने वितीय वर्ष 2016-17 में करीब 145 करोड़ का कार्य कराया है। इसमें 120 करोड़ भुगतान और 24 करोड़ 67 लाख बकाया है। इससे पूर्व वित्त वर्ष 2015-16 में कुल 66 करोड़ का कार्य कराया गया था। यानी महज दो वितीय वर्ष में दो अरब 11 करोड़। सहरसा का एक प्रखंड सिमरी बख्तियारपुर कुल खर्च और बकाया में राज्य के दस जिलों से आगे निकल गया है। यहां 2016-17 में करीब 45 करोड़ का काम हुआ जिसमें करीब 41 करोड़ का भुगतान हो चुका है। सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड से बिहार के 12 जिले यथा पटना, रोहतास, भोजपुर, मुंगेर, कैमूर, किशनगंज, लखीसराय, शिवहर, अरवल, खगड़िया, शेखपुरा और सिवान आदि पीछे है। मनरेगा में खर्च करने के मामले में दूसरे स्थान पर समस्तीपुर (102 करोड़ खर्च 30 करोड़ बकाया) और तीसरे स्थान पर 11 प्रखंड़ों वाला बक्सर जिला (83 करोड़ खर्च 14 करोड़ बकाया) है। सहरसा सर्वाधिक मानव दिवस सृजन एवं अधिकतम परिवारों एवं महिलाओं को रोजगार देने में प्रथम है। यहां कुल 372311 जॉब कार्डधारी परिवारों में 93 हजार (25 प्रतिशत) को रोजगार मिला, जबकि राज्य का औसत 16 प्रतिशत है। महिलाओं को राजेगार देने में भी यह जिला अव्वल (सवा 19 लाख) है। जिलों का औसत महिला मानव दिवस साढ़े नौ लाख है। 100 दिनों के रोजगार देने में सहरसा (266) राज्य के औसत 375 से बहुत पीछे है। इस 11 प्रखंड़ों वाला बक्सर जिले का वित्त वर्ष 2016-17 में सवा 83 करोड़ खर्च और सवा 14 करोड़ बकाया है। इस जिले ने कुल 02 लाख 80 हजार जॉब कार्डधारी परिवारों के विरूद्ध 53 हजार 526 परिवारों (19 प्रतिशत) को रोजगार दिया जबकि 100 दिन रोजगार वाले परिवारों की संख्या 283 है। बिहार में 1 करोड़ 40 लाख जॉब कार्डधारी परिवारों के विरुद्ध 22 लाख 76 हजार परिवारों को रोजगार मिला, जिससे 08 करोड़ 40 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ है। 100 दिनों का रोजगार प्राप्त करने वाले परिवारों की संख्या मात्र 14276 है। यह कुल जॉब कार्डधारी परिवारों की तुलना में करीब एक प्रतिशत है। वर्ष 2016-17 में नोटबंदी के बावजूद बिहार में कुल 2878 करोड़ का कार्य हुआ जिसमें 22 अरब का भुगतान हो चुका है। वितीय वर्ष 2016-17 में 38 जिलों में खर्च किये गये 2201 करोड़ रुपये वर्ष 2015-16 के कुल खर्च 1625 करोड़ से 576 करोड़ अधिक है। 2015-16 में कुल बकाया मात्र 92 करोड़ था जबकि 2016-17 में 678 करोड़ बकाया है। बिहार में कुल जॉब कार्ड धारी 01 करोड़ 40 लाख है। इनमें अनुसूचित जाति 35 लाख 53 हजार, अनुसूचित जनजाति 02 लाख 40 हजार एवं अन्य 01 करोड़ 2 लाख हैं। इनमें से 29 लाख 79 हजार परिवारों (21.27 प्रतिशत)ने जॉब मांगी, लेकिन जॉब मिला मात्र 22 लाख 76 हजार 988 परिवारों (16.25 प्रतिशत) को। जॉब कार्ड होने के बावजूद 07 लाख 2 हजार 198 परिवारों को मांगने के बावजूद रोजगार नहीं मिला। बिहार जैसे लेबर बेस्ड राज्य में मात्र 14276 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार मायने नहीं रखता, क्योंकि 2201 करोड़ में से महज 25 से 28 लाख रूपये (अकुशल और कुशल मजदूरी मिलाकर) 100 दिनी रोजगार वाले परिवारों के यहां जाना कोई मायने नहीं रखता। 38 जिलों में औसतन 375 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार। 100 दिन रोजगार में सारण जिला 1734, औरंगाबाद 1355, समस्तीपुर 1082, और जहानाबाद 869 है।

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