बिहार मुजफ्फरपुर में दलितों के मंदिर प्रवेश पर रोक और मार-पीट की घटना निंदनीय: माले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 7 मई 2017

बिहार मुजफ्फरपुर में दलितों के मंदिर प्रवेश पर रोक और मार-पीट की घटना निंदनीय: माले

  • माले जांच टीम ने किया घटनास्थल का दौरा,  माले की पहल पर आज 7 मई को दलित समाज ने एकताबद्ध होकर मंदिर में किया प्रवेश.

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पटना 7 मई, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने मुजफ्फरपुर जिले के सकरा प्रखंड के विशनपुर बघनगरी में भूमिहार जाति के सामंती मनबढ़ुओं द्वारा कौशल मांझी की शादी में बिलौकी की रस्म अदायगी व पूजा के लिए भोलेनाथ मंदिर में दलित समुदाय के पुरुष व महिलाओं के प्रवेश के दौरान उनपर बर्बर हमले की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा है कि यह बेहद शर्म का विषय है कि आजादी के इतने वर्षों बाद और बिहार में तथाकथित सामाजिक न्याय की सरकार के बावजूद मंदिरों में दलितों का प्रवेश बाधित किया जा रहा है. जब वे मंदिर प्रवेश करने की कोशिश करते हैं तो महिलाओं तक को बुरी तरह पीटा जा रहा है. उन्होंने कहा कि सामंती मनबढ़ुए भाजपा के सामाजिक आधार के लोग हैं, जिन्हें तथाकथित सामाजिक न्याय की सरकार का भी संरक्षण हासिल है. इस जिले में पिछले 1 साल में दलित उत्पीड़न की कई लोमहर्षक घटनायें घटी हैं. पारू में सामंती मनबढ़ुओं ने दलित युवकों के मुंह में मोटरसाइकिल चोरी के झूूठे आरोप में मुंह में पेशाब कर दिया था, तो मुजफ्फरपुर के सेंट्रल स्कूल में अधिक नंबर लाने के कारण दलित छात्र को सामंती-अपराधी घराने के एक दूसरे छात्र ने बर्बर तरीके से पिटाई की थी और वैशाली जिले में बलात्कार के बाद हत्या की शिकार हुई डीका कुमारी भी मुजफ्फरपुर की ही थी. 


इस गांव में भूमिहार जाति के सामंतों द्वारा दलितों के उत्पीड़न का लंबा इतिहास रहा है. 1990 में जब दलितों ने सामंतों के इशारे पर वोट देने से इंकार किया था, तब उनके साथ मारपीट की गयी व उनके घर जला दिए गए थे. भाजपा-जदयू के शासन में 2011-12 में सामंतों के खेत में बकरी चरने के आरोप में लोगों की पिटाई की गयी थी, पासवान जाति के दो बच्चों की हत्या भी कर दी गयी थी. लेकिन प्रशासनिक संरक्षण की वजह से मामले को रफा-दफा कर दिया गया. एक तरफ जहां भाजपा समर्थित सामंती-अपराधी दलितों पर लगातार हमले कर रहे हैं, तो दूसरी ओर दलित-गरीबों के वोट से सत्ता प्राप्त करने वाली नीतीश सरकार भी इन मसलों पर लगातार चुप्पी ही बरत रही है. यही वजह है कि सामंती-अपराधियों के मनोबल में कोई कमी नहीं आ रही है. घटना की माले की जिलास्तरीय टीम ने जांच की, जिसमें राज्य कमिटी सदस्य शत्रुघ्न सहनी, सकरा प्रखंड के सचिव सुरेश यादव व काॅ. मुन्ना शामिल थे. जांच टीम ने कौशल मांझी और उनके परिजनों से मुलाकात की, जिनके उपर बर्बर तरीके से हमले किए गए थे. जांच टीम ने मांग की है कि सभी अपराधियों कामेश्वर मिश्र, श्री नाथ मिश्र, अमन कुमार, छेमनारायण मिश्र, शिवकुमार मिश्र आदि को अविलंब गिरफ्तार किया जाए. जांच टीम ने पीड़ित मुसहर टोली में बैठक कर कहा कि मंदिर में प्रवेश से दलितों को रोकना घोर अन्याय व सामाजिक न्याय की धज्जियां उड़ाना है, इसलिए लोग संगठित होकर मंदिर प्रवेश करें और सामंती मनबढ़ुओं को पीछे धकेलने का काम करें. इस आह्वान पर आज 7 मई को बड़ी संख्या में दलित समाज के लोगों ने एकताबद्ध होकर मंदिर प्रवेश किया. आने वाले दिनों में इस अमानवीय घटना के खिलाफ संकल्प सभा आयोजित करने का भी फैसला किया गया है.

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