झारखंड के समग्र विकास में समन्वित प्रयास जरूरी : रघुवर दास - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 8 अप्रैल 2018

झारखंड के समग्र विकास में समन्वित प्रयास जरूरी : रघुवर दास

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दुमका 07 अप्रैल, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य के समग्र विकास में समन्वित प्रयास की आवश्यकता पर बल देते हुए आज कहा कि शासन, प्रशासन के साथ समाज के सभी वर्ग के लोगों को आगे आने का आह्वान किया है। श्री दास आज दुमका स्थित राजभवन में आयोजित जिले विभिन्न विभागों के वरीय पदाधिकारियों के साथ समीक्षात्मक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि गरीबी ही असामाजिक तत्वों को जन्म देती है। युवाओं को रोजगार से जोड़ना उनकी सरकार का उद्देश्य है। उनकी सरकार युवाओं को रोजगार से जोड़कर उनका आर्थिक विकास एवं बेहतर समाज का निर्माण सरकार का उद्देश्य से कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा,“ संतालपरगना में समस्याऐं बहुत अधिक है लेकिन जादू की छड़ी से उसे दूर नहीं किया जा सकता है। इन समस्याओं को दूर करने के लिए राज्य सरकार युवाओं को रोजगार से जोड़कर उनका आर्थिक विकास और बेहतर समाज का निर्माण करने के उद्धेश्य से कार्य कर रही हैं। शासन, प्रशासन के साथ समाज के सभी वर्ग के लोग अपने-अपने स्तर से कार्य करें,तभी राज्य का समग्र विकास संभव है।”

श्री दास ने कहा कि जिला प्रशासन तथा शासन के साथ समाज के सभी वर्ग के लोग सभी अपने-अपने स्तर से कार्य करें तभी राज्य का समग्र विकास संभव है। उन्होंने अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि विभिन विभाग के अधिकारियों को समाज का भला करने की जिम्मेदारी दी गई है। राज्य के अधिकारी अपने-अपने कार्य क्षेत्र में कुछ ऐसा कार्य करें जिससे अपने कार्य स्थल से जाने के बाद भी लोग उन्हें याद रखें। मुख्यमंत्री ने कहा कि अशिक्षा, अज्ञानता के कारण ही संथाल परगना पिछड़ा है। शिक्षकों के अभाव में शिक्षण कार्य बाधित ना हो। शिक्षित युवाओं को पढ़ाने का कार्य दिया जा सकता है। इससे जीरो ड्रॉपआउट के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा । इससे गांव के युवाओं को रोजगार भी उपलब्ध होगा। श्री दास ने कहा कि संताल परगना में कुपोषण एक बड़ी समस्या है। कुपोषण को खत्म करने के लिए सखी मंडल को घर-घर जाकर स्थानीय भाषा में लोगों को जागरूक करना होगा। इसके लिए स्थानीय भाषा में बुकलेट लोगों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए जिसे पढ़कर इस समस्या को समाज से खत्म किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि विद्यालय के शिक्षक भी बच्चों को कम से कम एक घंटा कुपोषण के संबंध में लोगों को बताएं ताकि आने वाले समय में कुपोषण समाप्त हो और एक स्वस्थ्य समाज का निर्माण किया जा सके।

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