पटना, 26 अप्रैल, बिहार में सड़क हादसों में कमी लाने के उद्देश्य से नई सड़कों के साथ अंडरपास और फुट ओवरब्रिज का निर्माण होगा। विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा की अध्यक्षता में गठित सड़क सुरक्षा से संबंधित उच्चस्तरीय कमिटी ने आज यहां अपना प्रतिवेदन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को समर्पित किया। श्री कुमार ने कमेटी का प्रतिवेदन के अवलोकन करने के बाद कहा, “राज्य में सड़कों की जो संरचनायें हैं, उसमें आवश्यक सुधार सड़क सुरक्षा को देखते हुये निर्धारित समय सीमा के अन्दर सुनिश्चित किया जाय। अब राज्य में जो भी नयी सड़के बनें, उसमें अंडरपास और फुट ओवरब्रिज की भी जरूरत के मुताबिक व्यवस्था होनी चाहिये। इसी तरह फुट ओवरब्रिज का डिजाइन और स्लोप ऐसा होना चाहिए जिससे दिव्यांग भी आसानी से इस तरफ से उस तरफ जा सके।” मुख्यमंत्री ने सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यकतानुसार दुर्घटना स्थलों, ब्लैक स्पॉटों पर आदेशात्मक, सचेतक एवं सूचनात्मक सड़क चिन्हों का प्रयोग सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि जहां-जहां आबादी का घनत्व ज्यादा है तथा अगल-बगल गाँव, स्कूल अथवा बसावट हों एवं आम नागरिक अपनी रोजी-रोटी या जीविकोपार्जन हेतु सड़क पार करते हों, वैसे स्थानों पर संभावित दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए पथ निर्माण विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग तथा राष्ट्रीय उच्च पथ रैम्प के साथ फुट ओवरब्रिज का निर्माण हो जिससे इसका उपयोग सामान्य जन के साथ-साथ दिव्यांग भी कर सके। श्री कुमार ने कहा कि गंभीर सड़क हादसों में वर्तमान समय में धारा-304(।) (भा0द0वि0) के अन्तर्गत कांड अंकित किये जाते है, जो जमानतीय धारा है। इसमें अधिकतम 02 वर्ष की सजा का प्रावधान है। न्यायालय द्वारा कभी-कभी मात्र दंड के रूप में जुर्माने की राशि अदा करने के पश्चात दोषी चालकों को मुक्त किया जाता है। इस धारा में आवश्यक सुधार की आवश्यकता है। इस संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कड़े कानून की अनुशंसा की है। इस संबंध में विधि विभाग से परामर्श लेकर सजा बढ़ाये जाने के लिए आवश्यक कार्रवाई किये जाने के फलस्वरूप दुर्घटनाओं में कमी लायी जा सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क सुरक्षा नीति एवं कार्ययोजना के तहत सूचना, शिक्षा एवं संचार को महत्वपूर्ण मानते हुये नीति का निर्माण किया जाय ताकि सड़क दुर्घटनाओं में कमी लायी जा सके। इसके लिए विद्यालयों में शैक्षणिक कार्यक्रम, विद्यार्थी निकायों एवं संगठनों एवं अकादमिक संस्थाओं के साथ मिलकर विभिन्न वर्गों के बीच जागरूकता अभियान, प्रिंट एवं दृश्य मीडिया के माध्यम से खतरनाक चालन एवं इससे होने वाले परिणाम की जानकारी, नियमों के पालन के लिए प्रोत्साहन कार्यक्रम का आयोजन करना सुनिश्चित किया जाय।
श्री कुमार ने संबंधित अधिकारियों को चालक अनुज्ञप्ति के निर्गमन में मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों को कड़ाई से लागू करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि सुयोग्य चालकों को ही अनुज्ञप्ति निर्गत की जाय ताकि सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके। आवश्यकतानुसार कम्प्यूटर बेस्ड सिमुलेटर की सभी जिलों में व्यवस्था की जाय। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को आपात चिकित्सा उपलब्ध कराना स्वास्थ्य विभाग का एक महत्वपूर्ण दायित्व है। सभी प्रकार के एम्बुलेंस की संख्या बढ़ाई जाय ताकि सड़क दुर्घटना में घायलों को त्वरित चिकित्सा प्रदान किया जा सके। मुख्यमंत्री ने कमिटी द्वारा प्राप्त अनुशंसाओं को लागू करने का निर्देश देते हुये कहा कि करीब 12 करोड़ की आबादी वाले 94 हजार किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुये राज्य के अर्द्ध शहरी और ग्रामीण सभी क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुये कुछ अलग तरीके से सोचने और करने की आवश्कता है तभी हादसों में कमी आयेगी। उल्लेखनीय है कि सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुये नीतीश कुमार के निर्देश पर विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई गई थी, जिसमें प्रधान सचिव (गृह विभाग), प्रधान सचिव (शिक्षा विभाग), प्रधान सचिव ( पथ निर्माण विभाग) प्रधान सचिव (स्वास्थ्य विभाग) अपर पुलिस महानिदेशक (अपराध अनुसंधान विभाग) समेत कई अन्य विभागों के अधिकारी इसके सदस्य थे।
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