मैं सुल्तानपुर में तब पूरावक्ती वामपंथी राजनैतिक कार्यकर्ता था जब अचानक संजय गांधी विमान दुर्घटना में मारे गये और राजीव गांधी राजनीति में ज़बरन उतारे गये । अमेठी तब तक सुल्तानपुर जिले की तहसील भर थी । शरद यादव अमेठी में विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर राजीव गांधी का अमेठी बाई इलेक्शन में मुकाबला करने पहुँचे थे । रघु ठाकुर उनके चुनाव इंचार्ज थे । मैंने भी तमाम नुक्कड़ों और गंवई जुटौले मेले ठेले में शरद यादव के पक्ष में प्रचार में हिस्सा लिया था !
फिर 1984-85 में मैं पत्रकारिता में आ गया । अमर उजाला के बाद चौथी दुनिया के लखनऊ संवाददाता के तौर पर कई बार मैंने राजीव गांधी के अमेठी दौरदौरे को कवर किया । 1987-88 में ऐसे ही एक दौरे में एक गाँव में राजीव गांधी के पूछने पर एक गंवई युवा ने जवाब दिया “का हाल होई जे जेतना बड़ा आदमी ओतनई बड़ा चोर “ राजीव गांधी अवाक् , टाल कर आगे बढ़ गये पर वीपी सिंह के स्तीफे से उपजे उस समय के वातावरण में मेरे जैसे व्यवस्था के आलोचक पत्रकार के लिये यह ज़बरदस्त टिप्पणी थी ! मेरे संपादक रामकृपाल जी ने तब इसे पहले पेज पर प्रमुखता से “जितना बड़ा आदमी उतना बड़ा चोर” शीर्षक से ही छापा और इस खबर पर दिल्ली में मिलने पर मेरी पीठ भी ठोंकी थी ।इसके बाद के राजीव गांधी के दौरों में राजीव शुक्ला के सौजन्य से मुझे मिली एंट्री बंद हो गई ! शाहबानो प्रसंग पर राजीव गांधी की राजनैतिक अपरिपक्वता ने देश का बड़ा नुक़सान किया , यह मेरा मत है , अनवरत है । बीजेपी जो आज २ से २८२ तक पहुँची है उसकी बुनियाद शाहबानो के मामले में संसद का समर्पण है ।
राजीव गाँधी निश्चित ही भले इन्सान थे और उनका असर उनके बच्चों में है । दुर्भाग्य से मैं उनसे उनके जीते जी आलोचक के तौर पर ही आमने सामने रहा । उनकी हृदयविदारक मृत्यु पर मुझे निजी तौर पर बहुत ही आत्मग्लानि हुई । शायद इसी प्रतिक्रिया में मैं सोनिया गांधी को सम्मान की दृष्टि से ही देख पाता हूँ और उनके बारे में हर अभद्र टिप्पणी मुझे बेध जाती है । एक बार मैं उत्तरी इटली में सोनिया गांधी के पारिवारिक मूल स्थान मायनो के नज़दीक के करीब एक नेचुरल गैस सिलिंडर फ़ैक्टरी में गया था । कौतूहलवश इस परिवार के बारे में पूछने पर वहाँ के लोगों में कुछ ख़ास प्रतिक्रिया न लगी । युरोप के लोग सारी दुनिया में फैले हुए हैं वे इसे सहजता से ही लेते हैं ! जैसा सब कह रहे हैं वही मैं भी दोहराऊँगा कि राजीव गांधी राजनीति के लिये फ़िट न थे , भले आदमी थे । राजनीति ने उन्हे कम उम्र में मार दिया !
--शीतल पी सिंह--
वरिष्ट पत्रकार

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