दरभंगा (आर्यावर्त डेस्क) 31 मई : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा की अध्यक्षता में गुरुवार को आयोजित शोध परिषद की बैठक में विद्वानों ने गवेषकों के व्यापक हितों का ख्याल रखते हुए कई अहम फैसले लिये. अब न सिर्फ शोध प्रबंध परीक्षण की प्रक्रिया में संशोधन किया जायेगा बल्कि रिसर्च माइथोलोजी को भी मानक पर कस कर देखा जायेगा. दरबार हॉल में आयोजित बैठक में कुलपति प्रो. झा की पहल पर आम सहमति हुई कि पुराने ढर्रे को त्यागकर विभागाध्यक्ष शोध प्रबंध को तीन दिनों के भीतर शोध विभाग में भेज देंगे और यहां से भी तीन दिनों के बाद उसे परीक्षा विभाग भेजा जाएगा. परीक्षा विभाग भी इसी अवधि को मेंटेन करते हुए शोध प्रबंध को वाह्य परीक्षकों को यहां भेज देगा. कुलपति का साफ मानना था कि इससे शोध कार्यों में पारदर्शिता के साथ तेजी आएगी और इसका लाभ अंतोगत्वा गवेषकों को ही मिलेगा. उक्त जानकारी जनसम्पर्क पदाधिकारी निशिकांत प्रसाद सिंह ने दी. बैठक में प्रतिकुलपति, कुलसचिव कर्नल नवीन कुमार के अलावा पूर्व कुलपति प्रो. रामचन्द्र झा व प्रो. उपेंद्र झा वैदिक, प्रो. वाचस्पति शर्मा त्रिपाठी, डीन प्रो. शिवाकांत झा, प्रो. उमेश शर्मा, प्रो. सुरेश्वर झा, प्रो. मोहन मिश्र, प्रो. शशिनाथ झा, प्रो. शक्तिनाथ झा, डॉ. प्रजापति त्रिपाठी, प्रो. श्रीपति त्रिपाठी, डॉ. विश्राम तिवारी, डॉ. विनय कुमार मिश्र,डॉ. मीना कुमारी, डॉ. हरेन्द्रकिशोर झा, डॉ. सत्यवान कुमार, डॉ. भगीरथ मिश्र, डॉ. दयानाथ झा, डॉ. शैलेन्द्र मोहन झा, डॉ. पुरेन्द्र वारिक समेत कई विद्वान उपस्थित थे.
गुरुवार, 31 मई 2018
दरभंगा : शोध प्रबंधन परीक्षण की प्रक्रिया में संशोधन होगा
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