- देशभर में 98 हाई स्कूल जैसुइट द्वारा संचालित
बेतिया (प.चम्पारण).यहां के लोग प्रतिष्ठित स्कूलों में बच्चों का नामांकन करवाना चाहते हैं.उनका प्रथम लक्ष्य ईसाई मिशनरी स्कूल ही रहता है.अगर यहां पर बच्चों का नामांकन नहीं हो सका.तो परिणाम मनगढ़ंत आरोप लगाना शुरू कर देते हैं. एक नया मामला प्रकाश में आया है. स्कूल में नामांकन नहीं होने पर एक पिता ने प्राचार्य को बुरी तरह से अदालती जाल में फंसा दिया है.ईसाई बच्चों को नामांकन नहीं करते हैं मिशनरी बच जाते हैं मगर गैर ईसाई बच्चों को नामांकन नहीं करने की चपेट में पड़ गये हैं.अब परिणाम भुगतने को तैयार रहे. खैर , याजक और गैर याजक वर्ग के बीच में लाखों आपसी खींचतान हो,मगर आदतन ईसाई समुदाय मजबूर हो जाता है.कारण ईसाई जनता प्रहरी हैं किसी भी बाहरी आघात को सहन नहीं करते हैं.कुछ भी मिशनरियों पर होता है तो तुरंत आवाज उठाने में पीछे नहीं रहते हैं. मगर गैर याजकों के ऊपर आफत आने पर मिशनरी विश्लेषण करने लगते हैं कि इश्यु क्या है? इस समय आफत फादर जौर्ज नेडूमेटम,येसु समाजी पर आयी है. उनके खिलाफ बेतिया कोर्ट में मुकदमा दर्ज किया गया है.इसकी जानकारी बेतिया के ईसाइयों को हुई, तो बेतिया से लेकर देश-प्रदेश के भी ईसाई समुदाय आश्चर्य में पड़ गये हैं कि संत जेवियर हायर सेक्रेडरी स्कूल के प्राचार्य फादर जौर्ज नेडुमेटम काे स्कूल में नामांकन नहीं होने पर मुकदमा दर्ज कर दिया है.नामांकन लेने के लिए डोनेशन की मांग, मारपीट, टीका नहीं लगाने का मसला बनाकर धर्म का आवरण चढ़ा दिया गया. खुब मिर्च मशाला जोड़कर मुकदमा कर दिया गया है.इससे ईसाई समुदाय आक्रोशित हैं. इन लोगों ने लगे हाथ बिहार के सीएम नीतीश कुमार से मांग कर दी है कि इसे जल्द से जल्द सलटा दें.वहीं कह दिया है कि आपका लगाम ढीला पड़ जाने से ईसाई अल्पसंख्यक संस्थानों पर भी हिंदुत्व कार्ड खेला जाने लगा है.इस तरह की शुरूआत की अंत होनी चाहिये. मालूम हो कि स्कूल परिसर में सरस्वती पूजा करने की इजादत प्राचार्य जौर्ज ने नहीं दी.इसका खामियाजा देखने को मिल रहा है. इस संदर्भ में फादर जौर्ज नेडुमेटम का कहना है कि जिनका नामांकन नहीं होता है तो ऐसे लोग झूठ का सहारा लेते रहते हैं.उन्होंने ऐसी द्यटना से इंकार किया है.
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