236 आंगनबाड़ी केंद्रों में ताला जकड़ कर सेविका और सहायिका आयी थीं
दानापुर.चप्पा-चप्पा गूंज उठा है आंगनबाड़ी के नारों से, जालिम कबतक जुल्म करोंगे शौषण के बौछारों से...आदि गगनभेदी नारों से दानापुर प्रखंड गूंज उठी. सोमवार को 236 आंगनबाड़ी केंद्रों में ताला लटका रहा. 236 सेविका और 236 सहायिका 15 सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन के मूड में है. बिहार आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की जिला अध्यक्ष कुमारी रंजना यादव ने कहा कि यहां की चढ़ाई पर सुनवाई नहीं होने पर लम्बी लड़ाई की तैयारी है.आप ही बता दें कि आंगनबाड़ी केंद्रों में तीन माह से खाद्यान्न आपूर्ति नहीं की जा रही है.बच्चों के साथ सेविका और सहायिका परेशान हैं. 2016 का 9 माह का मानदेय,2017 का 4 माह का मानदेय और 2018 का 4 माह का मानदेय अवरूद्ध है. वहीं प्रखंड अध्यक्ष अंजू देवी का कहना है कि जन्म-मृत्यु का पंजीयन करना है.प्रति पंजीयन पर 10 रू.मिलना है.हमलोग निष्ठापूर्वक कार्य कर रहे हैं.बतौर प्रोत्साहन के रूप में 2014 से आजतक 4 सालों में फुट्टवल कौढ़ी भी नहीं मिली है.बीच-बीच में 3750 रु.में दम नहीं 18 हजार से कम नहीं नारा गूंजता रहा.सेविका को 3750 और सहायिका को 1875 रू.मानदेय मिल रहा है.इस मानदेय से समाज में मान देता ही नहीं है.बिहार राज्य आंगनबाड़ी संयुक्त संघर्ष समिति संयोजक मंडल की कुमारी गीता का कहना है कि गोवा,तेलांगना व अन्य राज्यों की भांति बिहार सरकार द्वारा भी 7000 रू.सेविका को एवं 4500 सहायिका को अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दिया जाय.
आगे कहती हैं कि एक ओर केंद्र व राज्य सरकार समाज के सभी वर्गों को समेकित विकास हेतु विभिन्न प्रकार की योजनाएं चला रही है वहीं दूसरी तरफ आंगनबाड़ी सेविकाओं व सहायिकाओं को बहुत ही निम्न मानदेय देकर एक से अनेक कार्य निष्पादित किया जाता है.इस बढ़ती मंहगाई में सरकार के अंतर्गत कार्यरत पदाधिकारियों/कर्मचारियों को सातवे वेतन आयोग की अनुशंसानुसार वेतनवृद्धि के साथ -साथ समय- समय पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर मंहगाई भत्ता की बढ़ी राशि भी दी जा रही है.विडम्बना यह है कि सेविकाओं/सहायिकाओं द्वारा की गई संघर्षों के बावजूद भी उनके मानदेय में वृद्धि नहीं किया जाना सरकार की सोच पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है.अनेक प्रकार के दबावों ,चयन मुक्ति की धमकी,डरा-धमकाकर काम करवाना,शोषण -उत्पीड़न ,निरीक्षण के नाम पर मनमाने ढंग से आरोपित करते हुए चयन मुक्त किया जाना, निर्धारित चार घंटे की कार्यावधि के विपरित 8 घंटे से अधिक काम लिया जाना,सेवा शर्तों के अलावे सभी प्रकार के कार्यों में पदाधिकारियों के मौखिक आदेश झोक देना आम रूटीन है.
संयोजन मंडल की कुमारी शोभा सिन्हा ने 15 सूत्री मांगों की चर्चा की है.आंगनबाड़ी सेविका/सहायिकाओ को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देते हुए सेविका को क्लास lll एवं सहायिका को IV के रूप में समायोजित किया जाय.जबतक सरकारी कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता सेविका 18000 रू.एवं सहायिका को 12000 रू.मानदेय राशि दिया जाय.54 दिन हड़ताल उपरांत 16 मई ,2017 को हुए समझौता के आलोक में लम्बित मांगों का शीघ्र निष्पादन किया जाय.गोवा,तेलांगना व अन्य राज्यों की भांति बिहार सरकार द्वारा भी 7000 रू.सेविका एवं 4500 रू.सहायिका को अतिरिक्त राशि दिया जाय.सेविकाओ को पर्यवेक्षिका एवं को सेविका के पद पर शत प्रतिशत पदों पर पदोन्नति दी जाय तथा उम्र सीमा समाप्त किया जाय.सेवानिवृति के पश्चात 5000 मासिक पेंशन या एक मुश्त पांच लाख सहायता राशि एवं बीमा का लाभ सुनिश्चित किया जाय.आंगनबाड़ी सेविका/सहायिका चयन मार्ग दर्शिका एवं दण्डनिरूपण की प्रक्रिया कानून सम्मत बनाया जाय.चार घंटा से अधिक काम के लिए मजबूर न किया जाय,अन्यथा काम का समय 8 घंटा निर्धारित किया जाय.समान काम के लिए समान वेतन प्रणाली लागू किया जाय तथा मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाओं को भी समान मानदेय दिया जाय.हड़ताल अवधि का मानदेय न काटकर छुट्टी एवं कार्य में समायोजन किया जाय.निर्धारित कर्तव्यों के अतिरिक्त अन्य कार्यों में प्रतिनियुक्त नहीं करने से संबंधित विभागीय परिपत्र सं.768 दिनांक 27.02.2012 का अनुपालन सुनिश्चित किया जाय.यदि अपरिहार्य हो तो प्रतिनियुक्ति संबंधी लिखित आदेश एवं कार्य अनुरुप अनुमान्य पारिश्रमिक का भुगतान अनिवार्य से किया जाय.मंहगाई के आलोक में मकान किराया भत्ता की राशि में समुचित वृद्धि कर भुगतान की प्रक्रिया का सरलीकरण करते हुए नियमित भुगतान तथा लम्बित मानदेय का शीघ्र भुगतान सुनिश्चित किया जाय.बिना भौतिक सत्यापन के पोषाहार राशि की वसुली पर तुरंत रोक लगाई जाय एवं वसूल की गई राशि को शीघ्र वापस किया जाय.आंगनबाड़ी का किसी तरह का निजीकरण नहीं किया जाय और जीविका ,गैर सरकारी संगठनों स्वयं सहायता समूहों ,कारपोरेट आदि को सौंपने की साजिश पर रोक लगायी जाय.

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