नयी दिल्ली 18 जून, ऐतिहासिक अप्रत्यक्षकर सुधार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ने अर्थव्यवस्था का औपचारीकरण किया है जिसके परिणाम स्वरूप मिलने वाली सूचना से न केवल अप्रत्यक्ष करों के संग्रह में वृद्धि होगी बल्कि प्रत्यक्ष करों का संग्रह भी बढ़ेगा। पहले केंद्र सरकार के पास छोटे उत्पाद निर्मार्ताओं और खपत के बारे में बहुत कम सूचना थी क्योंकि उत्पाद कर केवल विनिर्माण के चरण पर लगता था जबकि राज्यों के पास स्थानीय व्यापारियों के राज्य से बाहर के कामकाज के बारे में बहुत कम जानकारी थी। जीएसटी के तहत एक ही तरह के आँकड़े केंद्र और राज्यों को बिना किसी अवरोध के प्राप्त होंगे जिससे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों का संग्रह और अधिक प्रभावी बनेगा। करदाताओं की संख्या में वृद्धि के संकेत मिल रहे हैं। जून-जुलाई 2017 के बीच में 6.6 लाख नये एजेंटों ने जीएसटी में पंजीकरण के लिये आवेदन किया है। ये लोग पहले कर ढाँचे के बाहर थे। इस संख्या में लगातार वृद्धि की उम्मीद है क्योंकि अर्थव्यवस्था के नियमतीकरण से होने वाले फायदे बढ़ रहे हैं। वस्त्र उद्योग की पूरी श्रृंखला अब जीएसटी के तहत है। इसके अलावा भूमि और भवन निर्माण क्षेत्र में लेन-देन का एक हिस्सा 'काम के लिये ठेका देना' भी कर ढाँचे के अंदर आ गया है जो कि उन भवनों का संदर्भ रखता है जिनका निर्माण किया जा रहा है। यह सीमेंट, इस्पात और दूसरे क्रय-विक्रय के नियमतीकण की प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता लायेगा जो पहले कर ढाँचे से बाहर रहते थे।
मंगलवार, 19 जून 2018
जीएसटी से अर्थव्यवस्था नियमित बनी, करदाताओं की संख्या बढ़ी
Tags
# देश
# व्यापार
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
व्यापार
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author Details
सम्पादकीय डेस्क --- खबर के लिये ईमेल -- editor@liveaaryaavart.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें