पटना 24 जुलाई, बिहार बालू मजदूर एवं नाविक संघ, ऐक्टू और भाकपा-माले के संयुक्त तत्पवावधान में आज सैकड़ों की संख्या में बालू मजदूरों ने बिहार विधानसभा के समक्ष आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया. इसको नेतृत्व बिहार बालू मजदूर एवं नाविक संघ के राज्य सचिव गोपाल सिंह, राज्य अध्यक्ष रामकुमार सिंह, सुरेश सिंह, संघ के अध्यक्ष भोला यादव आदि नेताओं ने किया. प्रदर्शनकारियों को माले विधायक महबूब आलम, सुदामा प्रसाद एवं खेग्रामस के राज्य सचिव गोपाल रविदास ने भी संबोधित किया. प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए नेताओं ने कहा कि ग्रीन ट्रिब्यूनल के तहत मछलियों के प्रजनन का हवाला देकर सरकार ने जुलाई महीने से लेकर सितंबर महीने तक सोन नदी सहित सभी नदियों से बालू निकासी पर रोक लगा दी है. जबकि यह तथ्य से बिलकुल परे है. मछलियां अपना प्रजनन किनारों पर करती हैं धारा के बीच नहीं. जबकि बालू निकासी का काम नदी के बीच से होता है. दूसरी ओर अब यह कहा जा रहा है कि नदी का पूरा बालू ठेकेदार का है, इसलिए नाव द्वारा कोई दूसरा व्यक्ति बालू नहीं निकाल सकता. जबकि नदी किनारे रह रहे लोगों का यह नैसर्गिक अधिकार है, जिसे आज छीना जा रहा है.
पिछले साल की अभूतपूर्व बालू बंदी का नतीजा हम सभी ने देखा है. हजारों बालू व निर्माण मजदूर तबाह हो गए. उनके पास इस रोजगार के अलावा कोई दूसरा रोजगार नहीं था. उनके सामने भूखमरी की स्थिति पैदा हो गई थी. सरकार की ओर से लाखों मजदूर परिवारों के लिए किसी भी प्रकार की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई थी. इस साल भी फिर वही दृश्य सामने आ राह है. बालू निकासी पर रोक की वजह से एक बार फिर हजारोें परिवारों के सामने गंभीर संकट उपस्थित हो गए हैं. नेताओं ने कहा कि आज के प्रदर्शन के जरिए हम मांग करने आए हैं कि बालू मजदूरों के नैसर्गिक अधिकारों का हनन करना सरकार बंद करे और उन्हें अपना जीवन-यापन करने के लिए पहले की तरह बालू निकालने का अधिकार चालू किया जाना जाए. साथ ही, बालू निकालने में ठेका प्रथा की समाप्ति होनी चाहिए. यह भी कहा कि यदि सरकार इस पर अविलंब कार्रवाई नहीं करती तो हम और व्यापक आंदोलन में जाएंगे.

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