बेगूसराय : डाक बम सेवा शिविर का उद्घाटन सम्पन्न। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 28 जुलाई 2018

बेगूसराय : डाक बम सेवा शिविर का उद्घाटन सम्पन्न।

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बेगूसराय (अरुण कुमार) आज श्रावण प्रतिपदा रोज शनिवार से रावणेश्वर महादेव (हृदय पीठ)में प्रथम सोमवारी के जलाभिषेक हेतु शिव भक्तों की यात्रा का श्रीगणेश।इस अवसर पर बेगूसराय नगरवासी की ओर से डाकबम सेवा समिति ने बाबा नगरी जानेवालों(काँवरिया) भक्तों के निःशुल्क सेवा की भावना से तंगेश्वर में वैदिक रीति से सविध गणेश,हनुमान,सूर्यादि पंचदेवता एवं नावग्रहादि पूजनोपरान्त,मंत्रोच्चारण के साथ पी एच ई डी मंत्री बिहार सरकार विनोद नारायण झा द्वारा ध्वजारोहण कर डाकबम सेवा शिविर का उद्घाटन समारोह सम्पन्न किया गया।इस शिविर का मुख्य उद्देश्य बाबा नगरी जानेवाले सभी काँवरियों की निःशुल्क सेवा जल,दवा शर्वत तथा फल मेवा आदि से किया जाएगा।इसमे खासकर डाकबमों के लिये विशेष व्यवश्था रहेगा।इस आयोजन पर बेगूसराय से को-ऑपरेटिव कॉलेज के पूर्व प्राध्यापक जंतु विज्ञान विभाग डॉ उपेन्द्र प्रसाद सिंह,श्रीकृष्ण महिला कॉलेज की प्राचार्या स्वपना चौधरी,जिला पार्षद बलराम सिंह,ए बी भी पी के सत्यदेव सिंह,प्रो•रामकुमार,चर्चित पत्रकार भवेश कुमार आदि ने अपना वहुमूल्य समय देकर उपस्थिति दर्ज करायी।आज से ही सुल्तानगंज गंगा घाट में स्नान कर जलपात्रों में जल भर कर बाबा बैद्यनाथ के जलाभिषेक के लिये भक्तों की अपार भीड़ लग जाती है।रास्ते का दृश्य ऐसा मनोरम लगता है जिसका विवरण करना संभव ही नहीं यह देखने से समझ में आता है।सुल्तानगंज से बाबा नगरी बैद्यनाथधाम तक ऐसी कतार भक्तों की लग जाती है कि यदि कोई जलपात्र में जल भरकर हाथों हाथ बढ़ाते जाय तो बाबा को जल चढ़ गया समझें।सुल्तानगंज की भी अपनी महात्म्य है,प्रथम तो यहाँ बाबा के ही रूप में बाबा अजगैबीनाथ की मन्दिर बीच गंगा में बनी हुई है। दूसरी बात यह कि यहीं के जल से बाबा बैद्यनाथ को अभिषेक करने का महत्व है।कारण की यहाँ उत्तर वाहिनी गंगा हैं।ऐसी मान्यता है कि उत्तर वाहिनी गंगा का जल शुद्धातिशुद्ध माना गया है।शायद इसीलिये यहाँ के जल की अत्यधिक मान्यता है महादेव के अभिषेक के लिये।भक्तों के तन पर पूरे महीने पीताम्बरी वस्त्र और बोल बम,नमः शिवाय,बम बम महादेव आदि के साथ अधिकाधिक बोले जाने वाले मंत्र बोलबम के नारों से 105 किलोमीटर की धरती सुल्तानगंज से बाबाधाम तक गुंजायमान रहनेवाली है।इस नगरी को रावणेश्वर हृदयपीठ के नाम से सभी जानते हैं।कहा जाता है कि रावण के तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न होकर वर देने को प्रकट हो रावण से वर मांगने को कहा गया तो रावण ने शिव को अपने साथ लंका में चलने को कहा।शिव तो औढर दानी हैं उन्होंने रावण को एक लिङ्ग प्रदान किया और कहा कि इसी में मैं हूँ इसे तुम अपने साथ लंका ले जाओ किन्तु शर्त यह है कि इस लिङ्ग को कहीं भी जमीन पर नहीं रखोगे,जहाँ कहीं इसे जमीन पर रखे तो यह लिङ्ग वहीं पर स्थापित हो जाएगी।और रावण को लघुशंका लगने के कारण लिङ्ग को वहीं वीरान जंगल मे रखना पड़ा और यह ज्योतिर्लिङ्ग वहीं स्थापित हो गया।आज इस बाबा नगरी को सभी बाबा बैद्यनाथधाम के नाम से जानते हैं।

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