'परसनल इज पोलिटिकल' का मुहावरा युग सत्य - सुधा अरोड़ा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 30 जुलाई 2018

'परसनल इज पोलिटिकल' का मुहावरा युग सत्य - सुधा अरोड़ा

  • हिन्दू कालेज में सुधा अरोड़ा का रचना पाठ

sudha-arora-in-hindu-college
दिल्ली (आर्यावर्त डेस्क) । 'स्त्री मुखर हुई है, उसकी शक्ति ज्यादा धारदार हुई है, तो उसके संघर्ष भी गहन और लंबे होंगे। आज भी उसका संघर्ष थमा नहीं है। वह संघर्ष कर रही है, पुरुषों के मोर्चे पर पुरुषों के साथ और अपने मोर्चे पर पुरुषवादी स्त्रियों के साथ भी। वक्त के बदलने के साथ संघर्ष का स्वरूप भी बहुत कुछ बदल गया है। बस नहीं बदला तो स्‍त्री के संघर्ष की प्रकृति।' उक्त विचार सुप्रसिद्ध कथाकार सुधा अरोड़ा ने हिन्दू कालेज में हिंदी साहित्य सभा के एक कार्यक्रम में व्यक्त किये।  'लेखक से भेंट' शीर्षक से हुए इस आयोजन में अरोड़ा ने कहा कि यह संघर्ष दोहरा तिहरा नहीं, चहुँमुखा है और लंबा भी। यह बहुत जल्‍दी समाप्‍त होने वाला नहीं है। यह चल रहा है और आगे भी चलेगा। सकारात्‍मक उर्जा, शक्ति, प्रकृतिगत लचीलेपन और दूरदर्शिता से स्त्री स्थितियों को बदल पाने में सक्षम होगी। किसी भी प्रगतिशील समाज के विकास और उन्‍नति के लिए यह जरूरी भी है। उन्होंने इस कार्यक्रम में अपनी दो बहुचर्चित कहानियों 'रहोगी तुम वही' तथा 'सत्ता संवाद' का पाठ भी किया। 'रहोगी तुम वही' में पितृसत्तावादी मनोरचना के संवादों को श्रोताओं ने भरपूर सराहा।  कहानी के एक संवाद में उन्होंने कहा -  'तुमने तुमने आपना यह हाल कैसे बना लिया? चार किताबें लाकर दीं तुम्हें, एक भी तुमने खोलकर नहीं देखी। ...ऐसी ही बीवियों के शौहर फिर दूसरी खुले दिमागवाली औरतों के चक्कर में पड़ जाते हैं, और तुम्हारे जैसी बीवियाँ घर में बैठकर टसुए बहाती हैं? ...पर अपने को सुधारने की कोशिश बिलकुल नहीं करेंगी।' इसके बाद उन्होंने हालिया प्रकाशित अपने कविता संग्रह 'कम से कम एक दरवाजा' से दो कविताओं का पाठ भी किया। रचना पाठ के बाद युवा विद्यार्थियों से सवाल -जवाब सत्र में उन्होंने कहा कि यह संक्रमण का समय है जब चीज़ें बदल रही हैं ऐसे में समस्याओं का श्वेत श्याम में स्पष्ट विभाजन नहीं हो सकता।  वहीं एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 'परसनल इज पोलिटिकल' का मुहावरा युग सत्य है क्योंकि इसने हमें चीज़ों को साफ़ देखने का रास्ता बताया है। इससे पहले विभाग की प्रभारी डॉ रचना सिंह ने अरोड़ा का स्वागत किया। संयोजन कर रहे छात्र विनीत कांडपाल ने लेखक परिचय प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में विभाग के अध्यापक डॉ हरींद्र कुमार, डॉ बिमलेन्दु तीर्थंकर और डॉ पल्लव सहित अनेक विद्यार्थी तथा शोधार्थी उपस्थित थे। विभाग के वरिष्ठ अध्यापक डॉ रामेश्वर राय ने पुस्तकें भेंट कर अरोड़ा का अभिनन्दन किया।  अंत में  छात्र सौरभ ने सभी का आभार व्यक्त किया।   

कोई टिप्पणी नहीं: